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Updated on: 14 March, 2020 5:37 PM IST

कृषि क्षेत्र में जैविक कीटनाशक दवाइयों के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए केन्द्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति ने रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में जैव कीटनाशकों के पंजीकरण के लिए सरल दिशा-निर्देश जारी किए हैं. कीटनाशक अधिनियम, 1968 की धारा 9 (3 बी) के अंतर्गत अनंतिम पंजीकरण के दौरान आवेदक को रसायनिक कीटनाशकों के विपरीत जैविक कीटनाशकों की व्यावसायिक बिक्री की अनुमति होगी.

रसायन मुक्त कृषि उत्पादन को बढ़ावा (Chemical free agricultural production boosted)

भारत सरकार परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई), पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (एमओवीसीडीएनईआर) और पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना (सीआईएसएस) की जैविक कृषि योजना के माध्यम से पर्यावरण अनुकूल प्रक्रियाओं के साथ टिकाऊ कृषि उत्पादन की दिशा में काम कर रही है. इनके माध्यम से जैविक बीज और खाद के इस्तेमाल तथा रसायन मुक्त कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है. इससे लोगों की सेहत में भी सुधार होगा.

परम्परागत कृषि विकास योजना  के तहत प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये की सहायता

परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत 3 साल की अवधि के लिए प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये की सहायता उपलब्ध कराई जा रही है, जिसमें से डीबीटी के माध्यम से किसानों को 31 हजार रुपये (62 प्रतिशत) उपलब्ध कराए जा रहे हैं. यह सहायता जैव उर्वरकों, जैव कीटनाशकों, वर्मीकम्पोस्ट, वानस्पतिक अर्क, उत्पादन/खरीद, फसल बाद प्रबंधन आदि के लिए दी जा रही है.

पूर्वोत्तर क्षेत्र जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन के तहत 25 हजार रुपये की सहायता

एमओवीसीडीएनईआर के अंतर्गत जैविक सामग्रियों, बीज/पौध रोपण सामग्री के वास्ते 3 साल के लिए प्रति हेक्टेयर 25 हजार रुपये की सहायता दी जा रही है.

व्यक्तिगत/निजी एजेंसियों लागत की 25 प्रतिशत तक सहायता (Personal / private agencies assistance up to 25% of the cost)

पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना के अंतर्गत भारत सरकार सालाना 200 टन क्षमता वाली जैविक उर्वरक इकाई की स्थापना के लिए राज्य सरकार/सरकारी एजेंसियों को 160 लाख रुपये प्रति यूनिट की अधिकतम सीमा के आधार पर 100 प्रतिशत सहायता उपलब्ध कराकर जैविक उर्वरकों के उत्पादन को प्रोत्साहन दे रही है. इसी प्रकार व्यक्तिगत/निजी एजेंसियों को पूंजी निवेश के रूप में 40 लाख रुपये प्रति यूनिट की सीमा के साथ लागत की 25 प्रतिशत तक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है. यह सहायता राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है.

योजनाओं के अंतर्गत व्यय  (Expenditure under schemes)

परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत पिछले 3 साल (2016-17, 2017-18, 2018-19) और वर्तमान वर्ष (2019-20) के दौरान क्रमशः 152.82 करोड़ रुपये, 203.46 करोड़ रुपये, 329.46 करोड़ रुपये और 226.42 करोड़ रुपये का व्यय किया जा चुका है. तो वहीं एमओवीसीडीएनईआर के अंतर्गत पिछले 3 साल (2016-17, 2017-18, 2018-19) और वर्तमान वर्ष (2019-20) के दौरान क्रमशः 47.63 करोड़ रुपये, 66.22 करोड़ रुपये, 174.78 करोड़ रुपये और 78.83 करोड़ रुपये का व्यय किया जा चुका है. इसके अलावा पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना के अंतर्गत 2016-17 और 2017-18 के दौरान नाबार्ड ने कोई धनराशि का वितरण नहीं किया. हालांकि 2018-19 के दौरान 276.168 लाख रुपये का वितरण किया गया.

जैव कीटनाशकों के उपयोग को प्रोत्साहन (Promotion of use of bio-pesticides)

जैव कीटनाशकों के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए एकीकृत पेस्ट प्रबंधन योजना के अंतर्गत किसान क्षेत्र विद्यालय (फार्मर फील्ड स्कूल) और मानव संसाधन विकास कार्यक्रम (2 और 5 दिन) के माध्यम से किसानों को शिक्षित किया जा रहा है. केन्द्र और राज्य सरकारों की प्रयोगशालाओं में भी जैव कीटशानकों (ट्राइकोडर्मा, मेटाझिझियम, ब्यूवेरिया आदि) का विस्तार और उनका किसानों को वितरण किया जा रहा है. एकीकृत पेस्ट प्रबंधन के अंतर्गत बीते 5 साल (2015-16 से 2019-20) के दौरान 3472 फार्मर फील्ड स्कूल और 647 मानव संसाधन विकास कार्यक्रमों का आयोजन किया जा चुका है. इनके माध्यम से 1,04,160 किसानों और 25,880 कीटनाशक विक्रेता और राज्य सरकार के अधिकारी प्रशिक्षण हासिल कर चुके हैं.
उपरोक्त सभी जानकारी केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को राज्य सभा में एक लिखित जवाब के माध्यम दिया.

English Summary: Government is giving 50 thousand rupees assistance for promotion of use of bio-pesticides and fertilizers
Published on: 14 March 2020, 05:42 PM IST

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