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Updated on: 23 July, 2025 11:52 AM IST
डिजिटल प्लेटफॉर्मों के जरिए किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में सरकार के प्रयास (Image Source: Freepik)

भारत सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए लगातार डिजिटल माध्यमों का विस्तार कर रही है. वर्ष 2016 में शुरू की गई राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) योजना इसका एक बड़ा उदाहरण है. इस योजना के तहत किसानों को पारदर्शी तरीके से देशभर के बाजारों से जोड़ने का प्रयास किया गया है, ताकि वे अपनी उपज उचित मूल्य पर ज्यादा खरीदारों को बेच सकें.

अब सरकार एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) को भी डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे ई-नाम, ओएनडीसी (ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स) और जीईएम (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) से जोड़ रही है. इसका उद्देश्य किसानों को सीधे ऑनलाइन बाजार में प्रवेश दिलाकर उन्हें बेहतर दाम दिलाना है.

फसल की कीमत में किसानों की हिस्सेदारी कितनी?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के एक अध्ययन में यह सामने आया है कि किसानों को उपभोक्ता मूल्य का बहुत छोटा हिस्सा ही मिलता है. एक वर्किंग पेपर के अनुसार:

  • टमाटर में किसानों को केवल 33%
  • प्याज में 36%
  • आलू में 37%
    की हिस्सेदारी मिलती है.

इसी तरह, एक अन्य अध्ययन में बताया गया कि:

  • केले में किसानों को 31%,
  • अंगूर में 35%,
  • और आम में 43% का ही हिस्सा मिलता है.

यह अंतर मार्केटिंग लागत, बिचौलियों के मार्जिन और फसल के खराब होने जैसे कारणों से होता है.

सरकार की योजनाएं: भंडारण और मार्केटिंग पर ज़ोर

केंद्र सरकार का फोकस सिर्फ उत्पादन बढ़ाने पर नहीं है, बल्कि मार्केटिंग सिस्टम को मजबूत करने और फसल के खराब होने को कम करने पर भी है. इसके लिए कई योजनाएं लागू की जा रही हैं:

एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF)

  • छोटे और सीमांत किसानों, एपीएमसी मंडियों, कृषि निर्यात समूहों आदि को शीतगृह (कोल्ड स्टोरेज) बनाने के लिए सहायता दी जा रही है.
  • 30 जून 2025 तक AIF के अंतर्गत 8258 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है, जिससे 2454 कोल्ड स्टोरेज परियोजनाएं मंजूर की गई हैं.
English Summary: Government efforts towards increasing income of farmers through digital platforms
Published on: 23 July 2025, 11:59 AM IST

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