भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें आधुनिक खेती की ओर प्रोत्साहित करने के लिए सरकार समय-समय पर नई योजनाएं लागू करती रहती है। इसी क्रम में राजस्थान सरकार ने गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत किसान यदि वर्मी कंपोस्ट यूनिट लगाते हैं, तो उन्हें ₹10,000 प्रति यूनिट का अनुदान (Subsidy) दिया जाएगा।
अभी तक देश में किसान रासायनिक खादों का अत्यधिक उपयोग कर रहे थे, जिससे न केवल खेती की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा था, बल्कि मानव स्वास्थ्य पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव देखा जा रहा था। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है, ताकि किसानों को जैविक खेती की ओर प्रेरित किया जा सके।
वर्मी कंपोस्ट क्या है?
वर्मी कंपोस्ट एक जैविक उर्वरक है, जिसे केंचुओं द्वारा जैविक कचरे जैसे गोबर, सूखी पत्तियां, रसोई का कचरा आदि से तैयार किया जाता है। यह प्राकृतिक खाद पोषक तत्वों से भरपूर होती है और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में बेहद सहायक होती है।
वर्मी कंपोस्ट बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह प्राकृतिक होती है। इसमें केंचुए कार्बनिक पदार्थों को तोड़ते हैं, जिसके परिणामस्वरूप एक उच्च गुणवत्ता वाला, गंधहीन और पौष्टिक उर्वरक तैयार होता है। इसे तैयार होने में लगभग डेढ़ से दो महीने का समय लगता है। किसान यदि इस खाद का उपयोग अपने खेतों में करते हैं, तो मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है और फसलें अधिक उपज देने लगती हैं।
फसलें देंगी बंपर पैदावार
सरकार का उद्देश्य इस योजना के माध्यम से किसानों को रासायनिक खादों के दुष्प्रभावों और जैविक खादों के लाभों के बारे में जागरूक करना है।
जो किसान अपने खेतों में रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग कर रहे हैं, उनकी फसलों की उत्पादकता में गिरावट आ रही है, साथ ही स्वास्थ्य संबंधी जोखिम भी बढ़ रहे हैं।
ऐसे में यदि किसान गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना से जुड़ते हैं और वर्मी कंपोस्ट का उपयोग अपनाते हैं, तो उन्हें न केवल अनुदान का लाभ मिलेगा, बल्कि खेती से बेहतर और टिकाऊ उपज भी प्राप्त होगी।
आवेदन कैसे करें?
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इच्छुक किसानों को सबसे पहले राजस्थान सरकार के “मित्र पोर्टल” पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
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इस योजना का लाभ “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर दिया जाएगा।
पात्रता शर्तें इस प्रकार हैं:
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किसान के पास कम से कम 6 महीने पुरानी जमाबंदी (जमीन का रिकॉर्ड) होना चाहिए
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किसान के पास कम से कम तीन गोवंश (गाय या बैल) होना अनिवार्य है।
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जो किसान इन शर्तों को पूरा करते हैं, वे इस योजना के तहत अनुदान प्राप्त करने के पात्र होंगे।