Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 31 March, 2021 2:14 PM IST
Dushyant Chautala

यह सवाल अभी  उस  नेता से पूछा जाना चाहिए कि जब किसी भी मसले का विरोध या समर्थन करने का पूरा अधिकार हमारे देश के किसान को भारत का संविधान प्रदान करता है, तो आप  इसका विरोध करने वाले आखिर कौन होते हैं? यह सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए कि आपको अन्नदाताओं के लिए इस तरह के वाहियात शब्दों का इस्तेमाल करने में तनिक भी लज्जा नहीं आई?

जब हमारे किसान भाई दिन-रात खेतों में मस्तैद रहते हैं, तब जाकर हमारी थाली में अन्न का निवाला परोसा जाता है और ऐसे में अगर कोई अपनी तमाम नैतिक कर्तव्यों को स्वाहा करते हुए हमारे अजीज किसान भाइयों को काली भेड़ें कह दें, तो आप ही बताइए कि हमारे किसान भाई भला कैसे खामोश रहेंगे? क्या आपको या हमें यह गवारा लगेगा कि हमारे किसान भाइयों के लिए कोई आपत्तिजनक शब्द इस्तेमाल करें? जवाब है...नहीं..बेशक, आप बहुत बड़े सूरमा होंगे, लेकिन जब मसला किसानों का आता है, तो उसकी संजीदगी भारत जैसे किसी भी कृषि प्रधान देश में चरम पर पहुंचना लाजिमी है.  

आखिर क्या है पूरा माजरा?

 गौरतलब है कि विगत चार माह से पंजाब और हरियाणा के किसान अनवरत कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत हैं. वे कृषि कानूनों का विरोध कर सरकार से इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं, मगर सरकार का दो टूक कहना है कि इस कानून को वापस नहीं लिया जाएगा. किसानों के आंदोलन को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार में कभी मंत्री रह चुके गोपाल कांडा ने आंदोलनकारी किसानों को काली भेड़े कह दिया.

उन्होंने सभी किसानों को काली भेड़ें कह दिया, जो इस कानून के खिलाफ अपनी आवाज मुखर किए हुए हैं, लिहाजा गोपाल कांडा के इस बयान से खफा हुए किसानों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया, जिसके शिकार देखते ही देखते हुए हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी हो गए. हालात ऐसे बन गए की सिरसा से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच चौटाला को बाहर निकाला गया.

उपमुख्यमंत्री को सिरसा से बाहर निकलवाने के लिए एकाएक राज्य सरकार की तऱफ से हेलीकॉप्टर की व्यवस्था की गई. उधर, किसानों की नजर जब दुष्यंत चौटाला के हेलीकॉप्टर पर पड़ी, तो उन्हें काले झंडे तक दिखाए गए. वहीं, इस तरह के काले झंडे उनके सरकार में कभी मंत्री की भूमिका निभाने वाले गोपाल कांडा को भी दिखाए गए. आक्रोशित किसानों ने उनके खिलाफ नारेबाजी तक की. 

गोपाल कांडा से की माफी की मांग

इसके साथ ही किसान नेता रणधीर जोधका ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि जब तक गोपाल कांडा अपने इस आपत्तिजनक बयान को लेकर किसान भाइयों से माफी नहीं मांग लेते हैं, तब तक हमारा यह आक्रोश कम नहीं होगा. फ उ

English Summary: Gopal kanda said about protesting farmer a kali bhede
Published on: 31 March 2021, 02:24 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now