यह सवाल अभी उस नेता से पूछा जाना चाहिए कि जब किसी भी मसले का विरोध या समर्थन करने का पूरा अधिकार हमारे देश के किसान को भारत का संविधान प्रदान करता है, तो आप इसका विरोध करने वाले आखिर कौन होते हैं? यह सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए कि आपको अन्नदाताओं के लिए इस तरह के वाहियात शब्दों का इस्तेमाल करने में तनिक भी लज्जा नहीं आई?
जब हमारे किसान भाई दिन-रात खेतों में मस्तैद रहते हैं, तब जाकर हमारी थाली में अन्न का निवाला परोसा जाता है और ऐसे में अगर कोई अपनी तमाम नैतिक कर्तव्यों को स्वाहा करते हुए हमारे अजीज किसान भाइयों को काली भेड़ें कह दें, तो आप ही बताइए कि हमारे किसान भाई भला कैसे खामोश रहेंगे? क्या आपको या हमें यह गवारा लगेगा कि हमारे किसान भाइयों के लिए कोई आपत्तिजनक शब्द इस्तेमाल करें? जवाब है...नहीं..बेशक, आप बहुत बड़े सूरमा होंगे, लेकिन जब मसला किसानों का आता है, तो उसकी संजीदगी भारत जैसे किसी भी कृषि प्रधान देश में चरम पर पहुंचना लाजिमी है.
आखिर क्या है पूरा माजरा?
गौरतलब है कि विगत चार माह से पंजाब और हरियाणा के किसान अनवरत कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत हैं. वे कृषि कानूनों का विरोध कर सरकार से इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं, मगर सरकार का दो टूक कहना है कि इस कानून को वापस नहीं लिया जाएगा. किसानों के आंदोलन को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार में कभी मंत्री रह चुके गोपाल कांडा ने आंदोलनकारी किसानों को काली भेड़े कह दिया.
उन्होंने सभी किसानों को काली भेड़ें कह दिया, जो इस कानून के खिलाफ अपनी आवाज मुखर किए हुए हैं, लिहाजा गोपाल कांडा के इस बयान से खफा हुए किसानों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया, जिसके शिकार देखते ही देखते हुए हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी हो गए. हालात ऐसे बन गए की सिरसा से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच चौटाला को बाहर निकाला गया.
उपमुख्यमंत्री को सिरसा से बाहर निकलवाने के लिए एकाएक राज्य सरकार की तऱफ से हेलीकॉप्टर की व्यवस्था की गई. उधर, किसानों की नजर जब दुष्यंत चौटाला के हेलीकॉप्टर पर पड़ी, तो उन्हें काले झंडे तक दिखाए गए. वहीं, इस तरह के काले झंडे उनके सरकार में कभी मंत्री की भूमिका निभाने वाले गोपाल कांडा को भी दिखाए गए. आक्रोशित किसानों ने उनके खिलाफ नारेबाजी तक की.
गोपाल कांडा से की माफी की मांग
इसके साथ ही किसान नेता रणधीर जोधका ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि जब तक गोपाल कांडा अपने इस आपत्तिजनक बयान को लेकर किसान भाइयों से माफी नहीं मांग लेते हैं, तब तक हमारा यह आक्रोश कम नहीं होगा. फ उ