मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए कृषि उपज मंडी समितियों में किसानों की उपस्थिति कम करने का फैसला लिया है. यही कारण है अब प्रदेश में समर्थन मूल्य पर रबी फसल बिक्री की प्रक्रिया में सरलीकरण किया गया है. बता दें अब किसान के घर से ही उनकी उपज खरीद कर उचित मूल्य देने का प्रयास शासन कर रहा है.
अब सरकार के आदेश पर प्रदेश की मंडियों में सरकारी क्रय-विक्रय के अलावा निजी खरीदी केन्द्र भी खोले जाने लगे हैं. यदि कोई व्यक्ति चाहे तो फर्म, संस्था अथवा प्रसंस्करणकर्ता संबंधित मंडी में 500 रुपए देकर निजी खरीदी केन्द्र मंडी में खोल सकता है. बता दें, जिस मंडी में आप निजी खरीदी केन्द्र शुरू करने जा रहे हैं, तो ध्यान दें यदि मंडी लायसेंसी है, तो अलग से प्रतिभूति जमा करने की जरूरत नहीं है. यदि यसेंसी नहीं है, तो उसे एक दिन की खरीदी का घोषणा-पत्र देकर प्रतिभूति जमा करनी होगी.
बता दें, जो भी किसान किसी कारण अपनी उपज मंडी में नहीं ला सकता उन्हें अपनी उपज का नमूना मंडी में लाकर चेक करना होगा उसके बाद विक्रेता स्वयं किसान के घर जाकर उपज खरीदेगा. बता दें, मंडी परिसर के बाहर किसान एवं व्यापारी आपसी सहमति से क्रय-विक्रय कर सकते हैं.
मध्य प्रदेश सरकार के एक कृषि अधिकारी ने बताया कि इस बार कुल फसल खरीदी का 81 प्रतिशत खरीद सौदा पत्रक के माध्यम से हुई है. सौदा पत्रक के माध्यम से सरकार किसान की फसल (उपज ) उसके घर से ही समर्थन मूल्य पर खरीदती है. अभी तक गत वर्ष की तुलना में दोगुना गेहूं खरीदा जा चुका है. पिछली बार इस समय तक तक 1.11 लाख मी.टन गेहूं खरीदा गया था जबकि इस बार लॉकडाउन भी लगा है फिर भी अभी तक 2 लाख 14 हजार मी.टन गेहूं खरीदा जा चुका है.