वैश्विक महामारी कोरोना के चलते देश ही बल्कि महाशक्ति कहे जाने वाले देशों की भी अर्थव्यवस्था बिगड़ चुकी है अगर भारत देश की बात करें तो इसका सबसे ज्यादा असर किसानों पर पड़ा है. इसे एक दुसरे तर्क से भी समझा जा सकता है क्योंकि भारत देश की 50 प्रतिशत से अधिक लोग किसी न किसी रूप से जुड़े हुए हैं. साल 2020 की बात करें तो ये साल किसानों के लिए बेहद निराशा जनक रहा. बता दें फरवरी और मार्च माह में असमय हुई बारिश और ओलावृष्टि के वजह से किसानों की खेतों में पकी हुई फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी. उसके बाद जो कुछ भी बचा था कोरोना के चलते लगे तालाबंदी के कारण किसान भारी नुकसान उठाना पड़ा है.
गौरतलब हो कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार भी किसानों को उक्त समस्याओं से निजात दिलाने के लिए लोन योजना लेकर आई है. इस लोन योजना के माध्यम से किसान अपनी उपज को आधार बनाकर लोन ले सकते है या यूं कह ले की किसानों को अब इस प्रकार का लोन लेने के लिए अपनी भूमि को बैकों में गिरवी नहीं रखना पड़ेगा बल्कि उसके बदले किसानों को ये दिखाना पड़ेगा की इससे पहले वाले सीजन में किसान कितनी की अपनी उपज बेची है उसी आधार बैंक किसान को लोन दे देगी.
बता दें कि राजस्थान के किसान अपनी फसल का रहन रखकर 3 प्रतिशत ब्याज पर लोन ले सकते हैं. बैक किसानों को यह लोन 10 प्रतिशत ब्याज पर देगी. लेकिन किसान को केवल 3 प्रतिशत ही ब्याज चुकाना पड़ेगा. इसका बचा हुआ शेष 7 प्रतिशत ब्याज राजस्थान ब्याज राज्य सरकार द्वारा कृषक कल्याण कोष से वहन किया जाएगा.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को कहा कि किसानों को फसल का बेहतर मूल्य दिलाने, खरीद के लिए सुगम और विकेंद्रीकृत व्यवस्था करने और उपज को रहन रखकर मात्र 3 प्रतिशत ब्याज दर अब किसानों को लोन मुहैया करवाया जाएगा. उन्होंने कहा है कि हमारी सरकार ने किसानों को प्रतिवर्ष 50 करोड़ रुपए का सब्सिडी देने का अहम फैसला लिया है. पहले राज्य सरकार द्वारा केवल 2 प्रतिशत ब्याज वहन किया जाता था जिसे बढ़ाकर अब 7 प्रतिशत कर दिया गया है.