मौसम विभाग की माने तो झारखंड में मानसून 15 जून तक दस्तक देगा, इसे देखते हुए किसान अपनी खरीफ फसल की तैयारी में जुट गए है. किसानों ने अपने खेतों को तैयार करना शुरू कर दिया है. कुछ किसानों ने खेतों में सिंचाई कर बीज का छिड़काव भी शुरू कर दिया है तथा जो किसान केवल बारिश पर निर्भर रहते है वो मानसून की बारिश के बाद ही खेतों में बीज का छिड़काव शुरू करेंगे.
ऐसे में जल्द ही किसानों को राहत मिलने वाली है. झारखंड में खरीफ के सीजन में धान, ज्वार, बाजरा, अरहर, उड़द, दालों समेत तिलहनी और दलहनी आदि की फसलों की खेती की जाती है. इन सबमें सबसे अधिक धान की खेती की जाती है. कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो किसानों को मानसून से पहले खेत की जुताई कर देनी चाहिए.
88 हजार हेक्टेयर जमीन में धान की खेती का लक्ष्य ( paddy cultivation in 88 thousand hectares)
बात करें झारखंड के गुमला की तो, यहां की मिट्टी काफी उपजाऊ है जहां धान की पैदावार अच्छी होती है, बता दें कि जिले के 2 लाख से अधिक किसान यहां खेती करते हैं. कृषि विभाग की तरफ से यहां इस बार निर्धारित क्षेत्र से अधिक जमीन में खेती करने का लक्ष्य रखा है. इस बार धान की फसल के लिए 88 हजार हेक्टेयर जमीन पर खेती करने का लक्ष्य रखा है.
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झारखंड सरकार बीज पर दे रही है 50% सब्सिडी (50 % subsidy on Seeds)
बता दें कि सरकार द्वारा राज्य के किसानों को बीजों पर 50 फीसदी की छूट दी जा रही है. यह अनुदान सरकार की तरफ से चलाए जा रहे बीज विनमय एवं विरतण योजना के तहत दिया जा रहा है. तो वहीं झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य है जहां पर ब्लॉकचैन तकनीक के माध्यम से बीजों पर सब्सिडी दी जा रही है.