उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री, बिहार विजय कुमार सिन्हा द्वारा कृषि भवन, मीठापुर, पटना के सभागार में जल-जीवन-हरियाली अभियान अन्तर्गत राज्यस्तरीय कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सचिव, कृषि विभाग, बिहार संजय कुमार अग्रवाल ने की. प्रत्येक माह के प्रथम मंगलवार को जल-जीवन-हरियाली अभियान के अन्तर्गत विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. जिसमें संवाद के माध्यम से जागरूकता फैलायी जाती है एवं महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाती है.
एक कदम जल संरक्षण की ओर, एक कदम हरियाली की ओर
मंत्री के कहा कि राज्य सरकार द्वारा जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरूआत की गयी है. यह खुशी की बात है कि इस महीने का कार्यक्रम कृषि विभाग के द्वारा आयोजित किया जा रहा है. इस अभियान के माध्यम से जल स्तर को संतुलित बनाकर रखना, जल को प्रदूषण मुक्त रखना, वृक्ष अच्छादन को बढ़ाना तथा नवीकरणीय उर्जा को बढ़ावा देना प्रमुख रूप से लक्षित किया गया है.
सिन्हा ने कहा कि जल होगा तो हरियाली होगी और हरियाली होगा तो जीवन होगी. इसलिए जल-जीवन हरियाली अभियान प्रदेश ही नहीं विश्व के प्रत्येक मानव का अभियान बनना चाहिए. हम सभी की यह जिम्मेदारी है कि इस अभियान को केवल सरकार की पहल न मानकर, इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनायें. अगर हर व्यक्ति जल बचाने और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए छोटा सा भी योगदान दें, तो हम इस धरती को आने वाली पीढ़ियों के लिए हरा-भरा और जल समृद्ध बना सकते है. मैं जल-जीवन-हरियाली अभियान की सफलता की कामना करता हूँ.
जलवायु अनुकूल कृषि के लिए जरूरी है जल-जीवन-हरियाली
उन्होंने कहा कि जल-जीवन-हरियाली का आपस में गहरा संबंध है. जल के बिना जीवन की कल्पना असंभव है और हरियाली जल तथा पर्यावरण संतुलन को बनाये रखने में सहायक होती है. 20 नवम्बर 2019 को राज्य में एक नयी शुरूआत की गयी जब मुख्यमंत्री के द्वारा जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम की शुरूआत 08 जिलों के लिए की गयी थी. जैसा मौसम वैसा फसल चक्र के सूत्र वाक्य के साथ मुख्यमंत्री के द्वारा देश और दुनिया को एक नया संदेश दिया गया. बिहार में चलाये जा रहे जल-जीवन-हरियाली अभियान की चर्चा आज भारत में ही नहीं, पूरे विश्व में हो रही है. वर्तमान में वर्षा की अनियमितता, तापमान में परिवर्तन, भू-जल का स्तर गिरने से फसलों की उत्पादकता में ह्रास हो रहा है. इसलिए इस योजना की आवश्यकता और अधिक बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से होने वाले संकट से बचने के लिए हमे तैयार रहना होगा. इससे जुड़ी हुई योजनाओं का शत्-प्रतिशत लाभ किसानों तक पहुँचाना होगा, ताकि किसानों के जीवन-स्तर में सुधार हो सके तथा फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हो सके.
मंत्री ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान में कृषि विभाग के साथ ग्रामीण विकास विभाग, शिक्षा विभाग, नगर विकास एवं आवास विभाग, लघु जल संसाधन विभाग, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, जल संसाधन विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, ऊर्जा विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, पंचायती राज विभाग, भवन निर्माण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग प्रत्यक्ष रूप से और राज्य सरकार के सभी विभाग अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं. यह अभियान जल संरक्षण, हरित क्षेत्र के विस्तार और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने के लिए 15 विभागों के सहयोग से संचालित किया जा रहा है. इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरूआत की गई है. वर्तमान समय में जल संकट, पर्यावरणीय असंतुलन और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों को देखते हुए यह पहल अत्यंत आवश्यक एवं प्रासंगिक है.
जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत सार्वजनिक जल संरचनाओं, तालाब, पोखर, कुँआ, नदी, नाला, आहर, पाइन के जीर्णोंद्धार के साथ-साथ नये जल-स्रोतों का सृजन किया जा रहा है. सरकारी भवनों की छत पर वर्षा जल के संचयन तथा सौर ऊर्जा को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है.
जैविक खेती एवं फसल अवशेष प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण में सहायक
कृषि विभाग द्वारा कई योजनाएं इस अभियान में सम्मिलित किया गया है. जैविक खेती आज के समय की माँग है. जैविक खेती में उर्वरक एवं रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता है. इसके उत्पाद स्वास्थ्यवर्द्धक होते हैं. जैविक खेती को बढ़ावा देने एवं किसानों के आय में वृद्धि तथा उन्हें उचित बाजार एवं विपणन की व्यवस्था हेतु बिहार राज्य जैविक मिशन का गठन किया गया है. यह योजना जल-जीवन हरियाली अभियान के अन्तर्गत एक महत्वाकांक्षी पहल है. जैविक कोरिडोर जिलो में मुख्य रूप से सब्जी की खेती की जाती है. इसके अतिरिक्त विशिष्ट फसलों यथा- काला गेहूँ, कतरनी चावल, बैगनी, पीले एवं हरे रंग का फूलगोभी, ब्रोकली, लाल, पीला एवं हरा शिमला मिर्च, ड्रैगन फूट की खेती की जा रही है.
फसल अवशेष प्रबंधन किसानों को फसल अवशष जलाने के बदले उसका खेत में ही प्रबंधन कर खाद के रूप में उपयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से फसल अवशेष प्रबंधन की योजना कार्यान्वित की जा रही है. इस योजना में हैप्पी सीडर, स्ट्रा बेलर-रैक रहित, रोटरी मल्चर, स्ट्रा रीपर, सुपर सीडर, स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम एवं रीपर कम बाइन्डर का उपयोग किया जाता है. राज्य सरकार ड्रीप तथा स्प्रीक्लर सिंचाई को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान दे रही है. जल-छाजन क्षेत्रों में नये जल स्रोतो के सृजन के लिए 90 प्रतिशत तक अनुदान का प्रावधान किया गया है. नए जल स्रोतो के सृजन से सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि हुई है.
जल है तो कृषि है, कृषि है तो जीवन है
सचिव, कृषि विभाग ने जल संरक्षण पर बल देते हुए कहा कि जल है तो जीवन है, जीवन है तो सब कुछ है. जल के बिना जीवन की कल्पना भी असंभव है. उन्होंने आगे कहा कि जल है तो कृषि है, कृषि है तो जीवन है. वास्तव में, जल कृषि की आत्मा है और कृषि हमारे भोजन, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि का आधार है. यदि जल संरक्षित रहेगा, तो कृषि समृद्ध होगी और समाज की आवश्यकताएँ पूरी होंगी. अतः जल संरक्षण के प्रति सभी को जागरूक होना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए जल और कृषि दोनों सुरक्षित रह सकें.