आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत कुछ दिनों पहले ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1955 से जारी आवश्यक वस्तु अधिनियम यानी एसेंशियल कमोडिटी एक्ट में बदलाव करने की बात कही थी. जिसपर मोदी कैबिनेट ने बुधवार को मुहर लगा दी है. यानी अब 65 साल से चला आ रहा आवश्यक वस्तु अधिनियम अब बदला जाएगा. इसके अंतर्गत अब पूरे देश में किसानों के लिए वन नेशन वन मार्केट होगा. यानी अब किसान अपनी उपज कभी भी कहीं भी बेच सकेंगे. बता दें कि कैबिनेट की मुहर के बाद अब आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव के लिए मोदी सरकार अध्यादेश लाएगी.
तैयार होगा केंद्रीय कानून
किसानों के फसलों की उपज को अच्छा कीमत दिलवाने के लिए पर्याप्त विकल्प प्रदान करने को एक केंद्रीय कानून तैयार किया जाएगा. इसके संकेत कुछ दिनों पहले ही सरकार द्वारा दिए जा चुके हैं. इससे बाधा रहित अंतरराज्यीय व्यापार और कृषि उपज के ई-ट्रेडिंग की रूपरेखा तैयार की जा सकेगी. गौरतलब है कि ऐसा हो जाने के बाद देश के किसान अपनी पैदावार को किसी भी राज्य में कहीं भी बेच सकेंगे. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आवश्यरक वस्तु अधिनियम को 1955 में केंद्र सरकार के द्वारा बनाया गया था. हालांकि किसानों को उनकी पैदावार का अच्छा कीमत मिल सके उस लिहाज से इसमें बदलाव किया जाएगा. इससे कृषि क्षेत्र को ज्यादा प्रतिस्पार्धी बनाने में मदद मिलेगी.
आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अबतक क्या होता था
आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत जो भी चीजें आती हैं केंद्र सरकार उनकी बिक्री, दाम, सप्लाई और डिस्ट्रीब्यूशन को स्वयं कंट्रोल करती है. उसका अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) भी तय करती है. इनमें कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं, जो जीवन के लिए जरूरी हैं. ऐसी चीजों को आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल किया जाता है. केंद्र सरकार को जब भी यह पता चल जाए कि एक तय वस्तु की आवक मार्केट में मांग के मुताबिक काफी कम है और इसकी कीमत लगातार बढ़ रही है तो वो एक निश्चित समय के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम को उस पर लागू कर देती है. इसके अलावा उसकी स्टॉक सीमा तय कर देती है. ताकि कालाबाजारी न हो.
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