इस साल गणतंत्र दिवस (Republic Day 2022) की झाकियों में एक झांकी गोबर से धन (Gobar Dhan) उत्पन्न करने के उद्देश्य से निकाली गयी थी. देश में प्राकृतिक चीज़ों (Natural) को लेकर लोगों का रुझान काफी तेज़ी से बढ़ रहा है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) मध्य प्रदेश के इंदौर (Indore, Madhya Pradesh) में एशिया के सबसे बड़े बायो-सीएनजी संयंत्र (Asia's largest Bio-CNG plant) का उद्घाटन करने जा रहे हैं. शहर से आठ किलोमीटर दूर देवगुराड़िया गांव स्थित इस प्लांट में कचरे से बनने वाले बायो-सीएनजी से इंदौर में करीब 400 बसें जल्द चलेंगी.
बायो-सीएनजी प्लांट - "गोबर-से-धन" के मॉडल (Bio-CNG Plant - Gobar Se Dhan Model)
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे, जिसे "गोबर-से-धन" के मॉडल (Gobar Dhan Model) के रूप में पेश किया गया है.
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बता दें कि कचरे के पहाड़ के लिए मशहूर देवगुराड़िया का ट्रेंचिंग ग्राउंड (Devguradiya's Trenching Ground) अब 'सिटी फारेस्ट' (City Forest) में तब्दील होकर स्वच्छता का प्रतीक बन गया है.
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यहां 15 एकड़ के ट्रेंचिंग ग्राउंड में 150 करोड़ रुपये के निवेश से बायो-सीएनजी प्लांट (Bio-CNG Plant) स्थापित किया गया है.
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इसके अलावा, यह सुविधा बड़ी मात्रा में उच्च गुणवत्ता वाली खाद (High Quality Fertilizer) का भी उत्पादन करेगी.
3R मॉडल पर काम करता है इंदौर (Reuse, Recycle, Reduce Model)
शहर की आबादी 35 लाख है और 700 टन तरल कचरा और 400 टन सूखा कचरा दैनिक सुरक्षित निपटान के लिए सुविधाएं बनाई गई हैं. इंदौर को केंद्र के स्वच्छ सर्वेक्षण में भारत का सबसे स्वच्छ शहर नामित किया गया क्योंकि यह रीसायकल के "3R मॉडल" (3R Model of Recycle) पर काम करता है.
18,000 किलोग्राम होगा बायो-सीएनजी का उत्पादन (Bio-CNG to be produced at 18,000 kg)
स्थानीय नागरिक अधिकारियों (Local Civic Authorities) द्वारा एशिया में इस तरह की सबसे बड़ी सुविधा के रूप में जाना जा रहा है. खास बात यह यह है कि गोबर धन संयंत्र (Gobar Dhan Plant) प्रतिदिन 18,000 किलोग्राम बायो-सीएनजी (Bio CNG) का उत्पादन करेगा.
इंदौर बायो-सीएनजी प्लांट के प्रोजेक्ट हेड नितेश त्रिपाठी (Nitesh Tripathi, Project Head of Indore Bio-CNG Plant) ने बताया कि "नगर निगम अलग किए गए कचरे को इकट्ठा करता है और जैविक कचरे को ट्रेंचिंग ग्राउंड में पहुंचाता है, जहां इसे एक गहरे बंकर में रखा जाता है. इसके बाद कचरे को ग्रैब क्रेन के साथ प्री-ट्रीटमेंट क्षेत्र में ले जाया जाता है, जहां इसे मिलिंग तकनीक के माध्यम से घोल में बदल दिया जाता है”.
बायो-सीएनजी संयंत्र की विशेषताएं (Features of Bio-CNG Plant)
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह तकनीक डेनमार्क (Denmark) से आयात की गई है.
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इसके बाद घोल को डाइजेस्टर के अंदर रखा जाता है, जहां इसे बायोगैस बनाने के लिए संसाधित किया जाता है.
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बायो-सीएनजी तैयार करने में लगभग 20 से 25 दिन लगते हैं.
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इस बायोगैस में 55-60% मीथेन होता है.
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बायोगैस को सीएनजी में बदलने के लिए 95% मीथेन की आवश्यकता होती है.
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इसलिए, सफाई और उन्नयन के बाद यह बायो-सीएनजी में परिवर्तित हो जाता है. तैयार सीएनजी के लिए एक फिलिंग स्टेशन भी बनाया गया है जहां नगर निगम की सिटी बसों को सीएनजी मिल सके.
इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह (Indore Collector Manish Singh) ने कहा कि "हम सभी सिटी बसों को सीएनजी में बदलने की योजना बना रहे हैं. इससे वायु गुणवत्ता को शुद्ध करने में भी मदद मिलेगी. इसके अलावा, 550 मीट्रिक टन की कुल क्षमता के साथ, संयंत्र 96 प्रतिशत शुद्ध मीथेन गैस के साथ सीएनजी का उत्पादन करेगा".
5 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मिलेगा ईंधन (Fuel will be available at the rate of Rs 5 per kg)
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यह संयंत्र प्रतिदिन लगभग 18,000 किलोग्राम बायो-सीएनजी और 100 टन उच्च गुणवत्ता वाली खाद का उत्पादन करेगा.
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संयंत्र में उत्पादित कुल ईंधन का आधा सार्वजनिक परिवहन वाहनों को बाजार दर से 5 रुपये प्रति किलोग्राम कम पर उपलब्ध कराया जाएगा. जबकि शेष खुले बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा.
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प्लांट को 18 महीने में बनना था लेकिन कोविड-19 की चुनौतियों के बावजूद 15 महीने में बनकर तैयार हो गया है.