भारत में कपास का इतना अधिक उत्पादन होने के बाद भी अंतरराष्ट्रीय बाजार (International market) में कपास के निर्यात में भारी कमी देखी गई है. आपको बता दें कि कपास को सबसे अधिक भारत के खानदेश क्षेत्र में पसंद किया जाता है और इसी क्षेत्र में कपास का सबसे अधिक उत्पादन भी किया जाता है.
सूत्रों के मुताबिक, इस साल खानदेश में कपास के उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की गई है, जिसका असर देश-विदेश के बाजार में साफ देखने को मिल रहा है. इस विषय में किसानों का कहना है कि, इस साल कपास की खेती में कीटों का प्रकोप सबसे अधिक हुआ है और साथ ही बारिश के कारण भी फसल को बहुत नुकसान पहुंचा है. जिसके कारण से किसानों को कपास की खेती से अच्छी उपज प्राप्त नहीं हुई है. यह भी बताया जा रहा है कि खानदेश में कपास की खेती अच्छी नहीं होने से निर्यात में लगभग 80 फीसदी की गिरावट हुई है.
कपास की खेती में लगे रोग (diseases in cotton cultivation)
किसानों के मुताबिक, इस साल कपास की खेती (cotton cultivation) में सबसे अधिक प्रभाव गुलाबी सुंडी का देखने को मिला है. इसके प्रभाव से कपास का रकबा बहुत कम हो जाता है. देखा जाए तो अकेले जलगांव जिले में 8 लाख 50 हजार से अधिक हेक्टेयर में किसान कपास की खेती करते है. लेकिन इस जिले में भी बॉलवर्म के प्रकोप के चलते किसानों को इस बार कपास में भारी नुकसान हुआ है. इसके बचाव के लिए जिले में 1 जून के बाद से कपास की खेती करने का निर्णय किसान भाइयों ने लिया है. ऐसा करने से फसल में लगने वाले कीटों का प्रभाव कम होगा.
इस दिन से किसान करेंगे कपास की खेती
किसानों की परेशानियों को देखते हुए कृषि विभाग (Agriculture Department) का कहना है कि, किसान भाई इस बार कपास की खेती को खरीफ के सीजन में करना शुरू करेंगे. जहां पिछले 5 सालों से कपास के उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की गई है.
कृषि विभाग ने सभी किसान भाइयों से खरीफ के सीजन (Kharif season) में कपास की खेती करने की अपील की है और साथ ही कीटों के प्रभाव को कम करने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी किसानों का मार्गदर्शन करेंगे. इसके अलावा कृषि विभाग 1 जून से ही किसानों को कपास की खेती करने के लिए बीज देंगी. ताकि किसान समय से पहले इसकी खेती न कर सके.