खरीफ फसलों की कटाई के साथ ही रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की तैयारी होनी शुरू हो जाती है. बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार भी इसकी खेती पर विशेष ध्यान देती है.कई किसानों के लिए रबी सीजन (Rabi Season) की मुख्य फसल गेहूं है, इसलिए इसकी खेती सबसे अधिक क्षेत्रों में की जाती है.
किसान गेहूं की उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई प्रयास करते हैं, ताकि फसल से अधिक उपज प्राप्त की जा सके. इसके लिए भारतीय कृषि वैज्ञानिकों द्वारा कई गेहूं की किस्में भी विकसित की जा रही है, जिनको अलग-अलग क्षेत्रों में उनकी जलवायु और मिट्टी के अनुरूप तैयार किया गया है. इस बात की विशेष ध्यान रखा गया है कि जगह के अनुकूल किस्मों को तैयार किया जाए. इसमें गेहूं की DBW 332 (करण आदित्य) शामिल है, जिससे अब भारत सरकार ने रजिस्टर्ड भी कर लिया है. आज हम आपको इस लेख में गेहूं की DBW 332 (करण आदित्य) की बुवाई संबंधी जानकारी देने वाले हैं.
गेहूं की DBW 332 (करण आदित्य) किस्म
इस किस्म को आईसीएआर-आईआईडब्ल्यूबीआर, करनाल, हरियाणा के अनुसंधान केंद्र में विकसित किया गया है. इसके सफल परीक्षण के बाद रजिस्टर्ड भी कर लिया गया है.
DBW 332 (करण आदित्य) किस्म की ख़ासियत
इसमें उर्वरकों की उच्च खुराक (150% आरडीएफ एनपीके + 15 टन / हेक्टेयर एफवाईएम) और विकास नियामकों के आवेदन के साथ शुरुआती बुवाई की स्थिति में बेहतर प्रदर्शन करने वाले उच्च इनपुट के लिए जिंक (35.7 पीपीएम) और आयरन (39.2 पीपीएम) और प्रोटीन (12.2%) के साथ बायोफोर्टिफाइड भी मौजूद हैं. साथ ही इस पौधे की ऊंचाई 97 सेमी है और इसकी उपज है.
बीज की मात्रा (Seed quantity)
इस किस्म की बीज बुवाई में 40 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज लगेगा. साथ ही इसके बुवाई का समय 25 अक्टूबर से 5 नवंबर तक का है.
मिट्टी का चुनाव (Soil selection)
इस किस्म की बुवाई सभी प्रकार की मिट्टी की जा सकती है, लेकिन दोमट से भारी दोमट मिट्टी में उपयुक्त मानी जाती है. अगर जल निकास की सुविधा अच्छी है, तो मटियार दोमट और काली मिट्टी भी उपयुक्त रहती है. गेहूं की खेती काली मिट्टी में करने पर सिंचाई की जरूरत कम पड़ती है. इसके अलावा, भूमि का पीएच मान 5 से 7.5 के बीच में होना चाहिए.
खेत की तैयारी (Farm preparation)
अगर खेती की मिट्टी भुरभुरी होगी, तो अंकुरण अच्छी तरह होगा. किसानों को खरीफ की फसल काटने के बाद खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए, ताकि फसल के अवशेष और खरपतवार मिट्टी मे दबकर सड़ जाए. इसके बाद 2 से 3 जुताई देशी हल-बखर या कल्टीवेटर से करनी चाहिए. ध्यान रहे कि हर जुताई के बाद पाटा देकर खेत समतल बना लें.
DBW 332 (करण आदित्य) से उत्पादन
अगर किसान इस किस्म की बुवाई कर फसल की अच्छी तरह देखभाल करते हैं, तो फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सकता है. इससे किसानों को प्रति एकड़ लगभग 78.3q प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त हो सकता है.
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गेहूं की कई ऐसी उन्नत किस्मों से किसान आज अच्छा मुनाफ़ा कमा रहें हैं.