सोमवार को कृषि जागरण टीम ने अलीगढ़ के बैरमगढ़ी गांव में प्रगतिशील किसान ओमवीर सिंह के जेंडर-स्मार्ट डेमो फार्म का दौरा किया. इस दौरान पेप्सिको इंडिया के प्रतिनधि समेत कई लाभार्थी किसान भी उपस्थित रहे. इस दौरान शाहवान अली, कंट्री मैनेजर-इंडिया, रेज़ोनेंस ग्लोबल ने बताया पेप्सिको इंडिया 'आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने के लिए महिलाओं में निवेश - एक वैश्विक विकास गठबंधन (जीडीए)' के साथ कृषि में लैंगिक समावेशन को आगे बढ़ा रही है. यूनाइटेड स्टेट एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) के सहयोग से 2020 में शुरू की गई, यह पंच-वर्षीय, दो करोड़ अमेरिकी डॉलर वाली साझेदारी वर्तमान में भारत सहित पांच देशों- इंडिया, कोलंबिया, पेरू, पाकिस्तान और वियतनाम में क्रियान्वित की जा रही है.
उन्होंने आगे बताया कि इन पांच देशों में USAID और पेप्सिको ने महिला सशक्तिकरण और किसानों की आमदनी कैसे बढाई जाए, इसके मद्देनजर इस प्रोजेक्ट को शुरू किया है. अगर इंडिया की बात करें तो यह प्रोजेक्ट 2022 में शुरू हुआ था. फिलहाल, एक साल पूरा हो चुका है और दूसरा साल भी मई माह में पूरा होने वाला है. वही, प्रोजेक्ट के तहत हम मुख्यतः जेंडर स्मार्ट फार्म स्टार्ट करते हैं.
जेंडर स्मार्ट फार्म एक डेमो फार्म होते हैं जोकि पेप्सिको के जो किसान हैं उनके यहां हम प्रदर्शन करते हैं. इसके अंतर्गत हम किसानों को नई तकनीक के बारे में बताते हैं जैसे- ड्रिप इरिगेशन सिस्टम. इसके अलावा, महिला किसानों के साथ जुड़कर उन्हें नए फार्म मशीनरी के बारे में बताते हैं, जैसे- सौर-संचालित व्हील आधारित स्प्रेयर्स, जो पारंपरिक, भारी स्प्रेयर की तुलना में अधिक सुलभ विकल्प प्रदान करता है. इसके साथ ही बैग में खाद बनाने की ट्रेनिंग आदि देते हैं.
उन्होंने बताया, आमतौर पर ट्रेनिंग के तहत हम तीन तरह की ट्रेनिंग करते हैं- पहला- पेप्सिको का जो आलू है उसको बीज के तौर पर इस्तेमाल करने से पहले कैसे काटना चाहिए. बीज शोधन यानी बीज उपचार कैसे करना चाहिए. दूसरा- जो कीटनाशक हैं उनका आलू की फसल में कीट एवं रोग लगने पर कैसे इस्तेमाल करना चाहिए. तीसरा- एक ट्रेनिंग आलू की हार्वेस्टिंग यानी खुदाई से पहले के लिए दी जाती है. इसके अंतर्गत किसानों को बताया जाता है कि आलू की खुदाई कब करनी चाहिए. क्योंकि पेप्सिको का जो आलू होता है, वह सामान्य आलू नहीं होता है. यह चिप्स ग्रेड आलू होता है. इसका एक पैमाना बनाया गया है. दरअसल, पेप्सिको कंपनी 40 एमएम से कम साइज के आलू किसानों से नहीं खरीदती है. ऐसे में यह सारी जानकारी किसानों और मजदूरों को देनी जरुरी होती है, क्योंकि अगर जमीन का रकबा ज्यादा होता है, तो किसान सभी जगह नजर नहीं रख पाते हैं. ऐसी परिस्थिति में मजदूर ही खेतों में रहते हैं.
इसके अलावा, हम जेंडर पर कुछ ट्रेनिंग करते हैं जिसका नाम एम्पोवेरेड वर्कर्स ट्रेनिंग/Empowered Workers Training है. इसके अंतर्गत हम कई कार्य करते हैं, जैसे-
डिजिटल लिटरेसी- महिलाओं को बुनियादी डिजिटल साक्षरता, तकनीक और इंटरनेट के माध्यम से चीजों को समझने की जानकारी देते हैं.
फाइनेंशियल लिटरेसी- जो नजदीकी बैंक होते हैं उस बैंक के मैनेजर को बुलाकर महिला किसानों को यह बताते हैं वह क्रेडिट कैसे ले सकती हैं. साथ ही उनके लिए क्या स्कीम्स शुरू की गई हैं.
सरकारी योजनाओं की जानकारी- जो भी पुरुष या महिला किसान हैं उनके लिए सरकार के द्वारा क्या सरकारी योजनाएं हैं. इसके अलावा, इन सरकारी योजनाओं का लाभ वह कैसे उठा सकते हैं उसके बारे में जानकारी देते हैं. जैसे- आयुष्मान कार्ड, लेबर कार्ड, ड्रिप इरिगेशन योजना, पीएम कुसुम योजना, वृद्धा पेंशन योजना और सोलर योजना समेत कई योजनाएं हैं.
इस दौरान अनुकूल जोशी, डायरेक्टर, एग्रो-पेप्सिको इंडिया, ने कहा, “जीडीए के माध्यम से पेप्सिको और यूएसएआईडी का सहयोग आलू आपूर्ति श्रृंखला में लैंगिक समानता, महिलाओं की आर्थिक स्थिति और कृषि उत्पादकता को बढ़ाने पर केंद्रित है. कृषि में महिलाएं एक महत्वपूर्ण श्रमबल हैं, सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ उनकी क्षमता और ज्ञान को बढ़ाने से स्थिरता और पेप+ लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी. इस प्रयास के केंद्र में जेंडर स्मार्ट फार्म पहल है, जो साक्ष्य आधारित, ऑन-फार्म दृष्टिकोण पेश करती है, जिससे पुरुष और महिला दोनों किसानों को लाभ होता है. इस पहल से प्राप्त आंकड़ों और दृष्टिकोण के साथ, हम महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने, रिजनरेटिव कृषि प्रथाओं को शुरू करने और भारत में हमारी कृषि आपूर्ति श्रृंखलाओं के भीतर आजीविका में सुधार के महत्वपूर्ण लाभों पर प्रकाश डाल रहे हैं.”
वही, जीडीए लाभार्थी आरती सिंह, पत्नी हरवीर सिंह (पेप्सिको के अनुबंधित किसान) ने कहा, “इस कार्यक्रम के तहत प्रदान की गई सशक्त पहल और प्रशिक्षण ने न केवल हमारी कृषि प्रथाओं को बेहतर बनाया है बल्कि आर्थिक सशक्तिकरण के लिए दरवाजे भी खोले हैं, जिससे हमारे जीवन और समाज पर सकारात्मक बदलाव आया है. लैंगिक समानता और टिकाऊ कृषि के प्रति पेप्सिको की प्रतिबद्धता वास्तव में हमारी कृषि यात्रा में बदलाव ला रही है.”