भारत में पवित्र नदियों यानी गंगा, यमुना और गोदावरी नदी की सफाई को लेकर सरकार के समक्ष कई तरह के सवाल किए जाते हैं. इसी क्रम में केंद्र सरकार ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट (Namami Gange Project) को तैयार किया है. जिसके तहत इन नदियों की सफाई व अन्य कई कार्यों पर ध्यान दिया जाएगा.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत सरकार नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करके गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों में प्रदूषण की चुनौतियों को हल करने में राज्य सरकार के प्रयासों का समर्थन कर रही है. यह भी बताया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट के तहत, जल उपचार, अपशिष्ट प्रबंधन, रिवर फ्रंट प्रबंधन (घाट और श्मशान), निरंतर प्रवाह बनाए रखने के साथ-साथ ग्रामीण स्वच्छता, जैव विविधता संरक्षण सहित गंगा नदी की सफाई और अन्य कई कार्यों के लिए योजना तैयार की गई है.
नमामि गंगे मिशन के लिए 20,000 करोड़
बता दें कि यमुना नदी सहित गंगा और उसकी सहायक नदियों की सफाई के लिए नमामि गंगे मिशन (एनजीएम) चरण- I (Namami Gange Mission (NGM) Phase-I) के तहत 20,000 करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया गया है. इसके अलावा भारत सरकार ने इस प्रोजेक्ट के कार्यों को ध्यान में रखते हुए साल 2026 तक 22,500 करोड़ रुपये के बजट के साथ नमामि गंगे मिशन-II को मंजूरी दे दी है, जिसमें कई परियोजनाओं को शामिल किया गया है. जैसे कि- देनदारियों के लिए 11,225 करोड़ रुपये और नई परियोजनाओं के लिए 11,275 करोड़ रुपये है. इसके अलावा सर्वे से यह भी पता चला है कि इस साल अक्टूबर 2022 तक, 32,898 करोड़ रुपये की स्वीकृत लागत पर कुल 406 परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से 224 परियोजनाएं पूरी हो चुकी है.
गोदावरी नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए 207.41 करोड़ का बजट
राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (NRCP) की केंद्र प्रायोजित योजना के तहत आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना राज्यों में गोदावरी नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए कुल 207.41 करोड़ रुपये की लागत स्वीकृत की गई है. अब तक 185.46 MLD कुल क्षमता के 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) ज्यादातर राज्यों के 7 अलग-अलग शहरों में स्थापित किए गए हैं. वर्तमान में 50 एमएलडी के एसटीपी के निर्माण के लिए मार्च, 2022 में 88.43 करोड़ रुपये की लागत से "आंध्र प्रदेश के राजामहेंद्रवरम में गोदावरी नदी के प्रदूषण निवारण" परियोजना को भी मंजूरी दी गई है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राज्य सरकार की जल संबंधित एजेंसियों द्वारा विभिन्न स्तरों पर परियोजनाओं की सतत निगरानी की जाती है. इसके अलावा, बाधाओं (जैसे विभिन्न अनुमतियां, भूमि एनओसी, वन मंजूरी आदि) को हल करने और कार्य में प्रगति में तेजी लाने के लिए महानिदेशक, एनएमसीजी और जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के सचिव के स्तर पर नियमित/आवधिक समीक्षा भी की जा रही है.