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Updated on: 11 June, 2025 12:53 PM IST
‘100% शुद्धता’ के झांसे पर रोक (Image Source: Freepik)

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य कंपनियों को चेतावनी दी है कि वे अपने प्रोडक्ट्स के पैकेट, लेबल और विज्ञापनों में '100%' जैसे शब्दों का प्रयोग न करें. एफएसएसएआई का कहना है कि '100% शुद्ध', '100% नेचुरल' या '100% फ्रूट जूस' जैसे दावे उपभोक्ताओं को भ्रमित कर सकते हैं, क्योंकि इनका कोई स्पष्ट वैज्ञानिक या कानूनी आधार नहीं है.

नियमों के अनुसार, कोई भी भ्रामक दावा ग्राहकों को गुमराह कर सकता है और यह उपभोक्ता हितों के खिलाफ है. ऐसे में अब कंपनियों को अपने उत्पादों की ब्रांडिंग में अधिक जिम्मेदारी और सावधानी बरतनी होगी.

नियमों के अनुसार नहीं है '100%' शब्द का इस्तेमाल

खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 और पैकेजिंग-लेबलिंग नियम 2018 में '100%' शब्द की कोई तय परिभाषा नहीं है. ऐसे में यह शब्द ग्राहकों को गुमराह करने वाला माना गया है और इसके इस्तेमाल को नियमों के विरुद्ध बताया गया है.

कंपनियों को मिल चुका है साफ निर्देश

एफएसएसएआई ने जून 2024 में फलों का रस बनाने वाली कंपनियों को निर्देश दिया था कि वे '100% फल का रस' जैसे दावों को अपने उत्पादों से हटाएं. इससे पहले डाबर कंपनी के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एफएसएसएआई ने यह दलील भी दी थी कि उनका दावा भ्रामक है.

विज्ञापन और लेबलिंग में अब होगी पारदर्शिता

एफएसएसएआई का साफ कहना है कि किसी भी विज्ञापन या लेबल में दी गई जानकारी सच, सटीक और ग्राहकों के लिए स्पष्ट होनी चाहिए. कोई भी भ्रमित करने वाला दावा या ऐसी भाषा जो दूसरी कंपनी की छवि को नुकसान पहुंचाए, उसे मंजूरी नहीं दी जाएगी.

ब्रांडिंग में अब दिखानी होगी सावधानी

इस निर्णय के बाद कंपनियों को अब अपनी ब्रांडिंग और मार्केटिंग में ज्यादा सावधानी बरतनी होगी. उपभोक्ताओं को सही और प्रमाणिक जानकारी देना जरूरी होगा, ताकि वे अपने स्वास्थ्य और भरोसे के साथ समझदारी से चुनाव कर सकें.

English Summary: FSSAI strict action Ban on the use of words like 100 percent now companies give precise and clear message rule
Published on: 11 June 2025, 12:56 PM IST

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