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Updated on: 13 October, 2018 12:00 AM IST
Crop Disease

महाराष्ट्र में वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए खतरे वाले आर्मीवार्म नामक कीट की मौजूदगी पाई गई है. इसकी पुष्टि पुणे स्थित नेशनल ब्यूरो ऑफ़ एग्रीकल्चर कीट रिसोर्सेज ने की है. एंटोमोलॉजिस्ट ने गन्ना की फसलों पर इस कीट की उपस्थिति का पता लगाया है. 

हालाँकि इस भारतीय सर्वोच्च संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कीट चावल पर नहीं आता अथवा स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है. सर्वप्रथम मई में इस कीट का पता कर्नाटक में चला. बाद में तमिलनाडु, तेलांगना, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में 'आर्मीवार्म' की उपस्थिति पायी गई.

संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार इसे फसल के वनस्पति चरण के दौरान देखा गया है. हालाँकि, इसने इस अवधि में ज्यादा नुकसान नहीं पहुँचाया है. उनके मुताबिक यह ना केवल मक्के की फसल पर पाया गया है बल्कि गन्ने की फसल में इसकी मौजूदगी दर्ज़ हुई है. कई राज्यों तक इसके तेज़ी से पहुँचने से जाहिर होता है कि यह भारत में काफी पहले ही आ चुका था.

महाराष्ट्र में कृषि विभाग ने इस संबंध में जरुरी दिशा-निर्देश जारी करने को कहा है. अभी तक किसानों को इस कीट को नष्ट करने के बारे में जानकारी नहीं है.

आर्मीवार्म को वैज्ञानिक रूप से 'स्पोडोप्टेरा फ्रूगुइपरडा' के रूप में जाना जाता है. यह मुख्य रूप से अमेरिका के उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है.

यह एक ही रात में सौ किलोमीटर से अधिक दूरी तक उड़ सकता है. मादा कीट अपने जीवनकाल में 1000 तक अंडे दे सकती है. वैज्ञानिकों के अनुसार अगर इसको लार्वा चरण में ही नष्ट नहीं किया तो यह फसलों को भारी नुकसान पहुँचाता है.

यह कीट मक्का पसंद करती है लेकिन चावल, गन्ना, सब्जियों और कपास समेत अस्सी से अधिक प्रजाती की फसलों को भी खाती है. इस कीट का सबसे पहले मध्य और पश्चिमी अफ्रीका में असर देखने को मिला था.

इसके बाद यह तेज़ी से अफ्रीका के बाकी हिस्सों में फ़ैल गया था.फ़िलहाल, वैज्ञानिक इस कीट के अन्य फसलों में फैलने की संभावना से चिंतित हैं. साथ ही इस बात की भी संभावना जताई जा रही है कि भारत के बाद यह एशिया के बाकी हिस्सों में भी फ़ैल सकता है.

English Summary: Fresh Armwarm pests, spreading in sugarcane after maize, are fatal for cultivation
Published on: 13 October 2018, 09:14 PM IST

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