देश में कोरोना महामारी के दौरान सरकार द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना चलाई गई थी, जिसके तहत निम्न तथा गरीब तबके के परिवारों को मुफ्त में राशन दिया गया, मार्च 2022 में सरकार ने इस योजना की अवधि को बढ़ाकर सितंबर 2022 तक कर दिया था, लेकिन बजट से अधिक खर्चा आने के कारण वित्त मंत्रालय ने इस योजना पर चिंता जाहिर की है.
वित्त विभाग के मुताबिक पीएमजीकेएवाई (PMGKAY) को जारी रखने से वित्तीय बोझ काफी बढ़ रहा है, विभाग के ऊपर पहले से ही उर्वरक सब्सिडी (यूरिया और गैर-यूरिया दोनों) में भारी वृद्धि, रसोई गैस पर सब्सिडी, पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कमी और विभिन्न उत्पादों पर सीमा शुल्क में कमी का बोझ बना हुआ है, जिससे गंभीर स्थिति पैदा हो रही है, जो कि वित्तिय कोष के लिए चिंताजनक है.
व्यय विभाग ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी के 6.4 फीसदी (16.61 लाख करोड़ रुपये) पर तय किया गया है यह ऐतिहासिक मानकों के हिसाब से बहुत अधिक है और इसका विपरीत असर दिख सकता है. पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.71 फीसदी पर था जो बेहतर टैक्स रेवेन्यू के दम पर संशोधित आकलन 6.9 फीसदी से कम रहा.
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वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा जारी आंकड़ों से साफ है कि अब सरकार की तरफ से चलाई जा रही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) का लाभ सिंतबर के बाद मिलना बंद हो सकता है, बता दें कि सरकार ने अवधि को बढ़ाकर सितंबर तक किया है, हांलाकि सरकार की तरफ से अभी तक इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है.