हमारे देश में किसान फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक यूरिया का इस्तेमाल करते हैं. देखा जाए तो किसान तीनों सीजन यानी कि खरीफ, जायद और रबी सीजन की फसलों में यूरिया को डालते हैं. देश के सभी किसानों को उनकी फसल के लिए प्राप्त मात्रा में यूरिया मिल सके इसके लिए केंद्र सरकार हमेशा किसानों के साथ खड़ी रहती है. देश में यूरिया की खपत (urea consumption) सुनिश्चित करनी की पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होती है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बिहार के किसान इस समय यूरिया की संकट का सामना कर रहे हैं. देखा जाए तो यूरिया की खरीद के लिए किसान दुकानों के बाहर लंबी-लंबी कतारें लगाकर खड़े हैं. लेकिन फिर भी ज्यादातर किसानों को यूरिया न मिल पाने की वजह से दुकान से खाली हाथ लौटना पड़ रहा है.
50 किलो की बोरी हुई 400 रुपए की
राज्य में यूरिया की कमी का असर इनकी कीमतों पर साफ देखा जा सकता है. जहां पहले राज्य में एक 50 किलो की बोरी किसानों को 260 रुपए में मिल रही थी. वहीं ये अब यहां के किसानों को 400 रुपए में बेची जा रही है. यह भी जानकारी मिल रही है कि यहां के कुछ लोग बोरी को खरीदकर स्टॉक करके कालाबाजारी भी कर रहे हैं. ताकि वह इसे दूसरे किसानों को बेचकर मोटी कमाई कर सकें.
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अधिकारियों ने 6200 दुकानों पर मारे छापे
राज्य में दिन पर दिन यूरिया की किल्लत (shortage of urea) को देखते हुए सरकारी अधिकारियों ने अलर्ट जारी कर दिया है. ताकि जितना जल्दी हो सके यूरिया की संकट से उबरा जा सके और इसकी कालाबाजारी को भी तुरंत रोका जा सके. इसी कड़ी में अधिकारियों ने राज्य में लगभग 6200 उर्वरकों की दुकानों पर छापेमारी मारी और करीब 117 लोगों के खिलाफ FIR भी दर्ज की है.