सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) 1 फरवरी यानी कल से माल ढुलाई लागत सहित 2,350 रुपये प्रति क्विंटल के आरक्षित मूल्य पर साप्ताहिक ई-नीलामी शुरू करेगी. बता दें कि एफसीआई थोक खरीदारों को 25 लाख टन गेहूं बेचना चाहती है. यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि देश में लगातार बढ़ते गेहूं और गेहूं के आटे की कीमत पर लगाम लगाने के प्रयास में भारत सरकार ने ओपन सेल मार्केट स्कीम (OMSS) के तहत खुले बाजार में 30 लाख टन गेहूं बेचने तक योजना तैयार की है. ताकि देश में आम जनता को गेहूं से संबंधित परेशानी का सामना न करना पड़े.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि FCI इलेक्ट्रॉनिक नीलामी के माध्यम से आटा चक्की जैसे थोक उपभोक्ताओं को 30 लाख टन में से 25 लाख टन तक ही बाजार में बेचा जाता है, जबकि 2 लाख टन राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को और 3 लाख टन संस्थानों और राज्य के स्वामित्व वाले सार्वजनिक उपक्रमों को रियायती दरों पर दिया जाएगा.
1 फरवरी से होगी ई-नीलामी
एफसीआई के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अशोक के मीणा के अनुसार, ई-नीलामी 1 फरवरी को होगी, जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान इसकी घोषणा की. जिसमें उन्होंने कहा कि गेहूं के लिए आरक्षित मूल्य 2,350 रुपये प्रति क्विंटल और माल ढुलाई लागत तय की जाएगी. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि एक खरीदार न्यूनतम 10 टन और अधिकतम 3,000 टन के लिए बोली जमा करने की सुविधा उपलब्ध होगी.
एफसीआई अध्यक्ष के अनुसार, क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश दिया गया है कि वे गेहूं की ई-नीलामी के लिए निविदाओं का विज्ञापन करने के साथ-साथ स्थानीय आटा मिलों, डीलरों और गेहूं आधारित उत्पादों के उत्पादकों को एफसीआई प्लेटफॉर्म पर साइन अप करने के लिए प्रोत्साहित करें और साथ ही उन्हें ई-नीलामी में भाग लेने के लिए मदद करें. मिली जानकारी के मुताबिक, देश में 26 जनवरी तक खाद्यान्न की खरीद और वितरण के लिए सरकार की प्रमुख एजेंसी FCI के बफर स्टॉक में लगभग 156.96 लाख टन गेहूं था.
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ओएमएसएस नीति के अनुसार, सरकार कभी-कभी बड़े उपभोक्ताओं और निजी डीलरों को निर्धारित दरों पर खुले बाजार में खाद्यान्न, विशेष रूप से गेहूं और चावल बेचने के लिए एफसीआई को अनुमति देती है. देखा जाए तो मंदी के मौसम के दौरान आपूर्ति बढ़ाने और समग्र खुले बाजार की कीमतों को कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है. घरेलू उत्पादन में मामूली कमी और केंद्रीय पूल के लिए एफसीआई की खरीद में बड़ी गिरावट के बाद केंद्र ने कीमतों को नियंत्रित करने के प्रयास में पिछले साल मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.