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Updated on: 18 December, 2023 2:32 PM IST

Wheat Procurement: विभिन्न राज्यों से प्राप्त फीडबैक के अनुसार चालू रबी सीजन में गेहूं की बुआई 15 दिसंबर तक 307.32 लाख हेक्टेयर (एलएच) के रकबे में पूरी की जा चुकी है. ये देश में गेहूं की कुल खेती का लगभग 92 प्रतिशत है. हालांकि, लगातार बदल रही मौसम गतिविधियों ने किसानों की चिंताएं जरूर बढ़ा दी हैं. क्योंकि, बुवाई के बाद तापमान में मामूली वृद्धि भी उपज को प्रभावित कर सकती है. देश में इस बार मौसम की गतिविधियां तेजी से बदल रही हैं. दिसंबर का आधा महीना खत्म होने के बाद भी देश के अधिकतर क्षेत्र में ठंड की इतनी तीव्रता देखने को नहीं मिल रही है. 

हालांकि गेहूं के तहत घाटा कवरेज इस सप्ताह बढ़कर 3 प्रतिशत हो गया है, जो 8 दिसंबर तक 1 प्रतिशत से भी कम था. बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस महीने के अंत तक रकबा पिछले साल के स्तर के करीब पहुंच सकता है. हालांकि, ये पिछले साल के मुकाबले ये रकबा कम ही रहने का अनुमान है. पिछले साल, गेहूं का कुल क्षेत्रफल 343.23 लाख हेक्टेयर था, जो 2021 से थोड़ा की अधिक था. नए आंकड़ों से पता चलता है कि गेहूं का रकबा एक साल पहले के 293.01 लाख हेक्टेयर की तुलना में 3 प्रतिशत कम होकर 284.15 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग सभी राज्यों में गेहूं का रकबा पिछले कुछ सालों में कम हुआ है.

गेहूं खरीद के लिए 1 जनवरी से शुरू होगा पंजीकरण

भारतीय खाद्य निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अशोक मीना ने कहा कि जहां तक ​​बिहार और उत्तर प्रदेश का सवाल है, वहां चिंता की कोई बात नहीं है. क्योंकि क्षेत्र कवरेज पिछले वर्ष के समान ही है. उन्होंने कहा कि हमने 1 जनवरी से किसान पंजीकरण शुरू करने का फैसला किया है. अनाज की आवक के आधार पर जल्द से जल्द खरीद शुरू करने की कोशिश की जाएगी, भले ही खरीद का मौसम 1 अप्रैल से शुरू होता है. उन्होंने यह भी कहा कि गेहूं खरीद की तैयारी पर राज्यों के साथ चर्चा के लिए खाद्य मंत्रालय अगले महीने वार्षिक बैठक बुला सकता है. 2023 के दौरान सभी रबी फसलों के तहत बोई गई फसलों का रकबा 16 दिसंबर तक 567.04 लाख तक पहुंच गया है, जो सामान्य क्षेत्र का लगभग 90 प्रतिशत है. हालांकि, यह अभी भी एक साल पहले की समान अवधि के 587.33 एलएच से 3 प्रतिशत कम है.

दालों का रकबा 8 प्रतिशत घटा

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, रबी दलहनी फसलों का रकबा 139.98 लाख हेक्टेयर की तुलना में 8 प्रतिशत कम होकर 128.54 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, क्योंकि मसूर और चना दोनों का क्षेत्रफल कम हो गया है. प्रमुख रबी दलहन चना का बुआई क्षेत्र 98.01 लाख घंटे से 10 प्रतिशत कम होकर 88.48 लाख हेक्टेयर और मसूर का बुआई क्षेत्र 16.84 लाख हेक्टेयर से थोड़ा कम होकर 16.75 लाख हेक्टेयर रह गया है.

इसी तरह सरसों की अधिक बुआई से तिलहनी फसलों के रकबे पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है. सरसों का रकबा पहले ही सामान्य क्षेत्रफल 73.06 लाख घंटे से अधिक हो चुका है और 92.46 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो एक साल पहले के 90.17 लाख हेक्टेयर से 3 प्रतिशत अधिक है. सभी रबी तिलहनों का रकबा 99.11 लाख प्रति हेक्टेयर बताया गया है, जो पिछले साल के 98.08 लाख हेक्टेयर से अधिक है, जिसमें मूंगफली का क्षेत्रफल 91,000 हेक्टेयर कम है. हालांकि मूंगफली एक खरीफ फसल है, जो सर्दियों के दौरान कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में उगाई जाती है.

इसके अलावा धान का रकबा 11.64 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 12.89 लाख हेक्टेयर था. आंकड़ों के मुताबिक, धान की सबसे ज्यादा बुवाई तमिलनाडु में हुई है. वहीं, मोटे अनाजों में, बुआई क्षेत्र 43.37 लाख हेक्टेयर से 1 प्रतिशत से भी कम बढ़कर 43.61 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है.ज्वार का रकबा 19.98 लाख प्रति हेक्टेयर दर्ज किया गया है, जो कि 20.35 लाख हेक्टेयर से 2 प्रतिशत कम है और मक्के का रकबा एक साल पहले के 14.45 लाख हेक्टेयर से 4 प्रतिशत बढ़कर 15 लाख हेक्टेयर हो गया है. जबकि, जौ की बुआई पिछले साल के बराबर है और 8.01 लाख तक पहुंच गई है.

English Summary: FCI made a plan for wheat procurement for next year registration of farmers will start from 1st January Gehu Kharid
Published on: 18 December 2023, 02:36 PM IST

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