आमतौर पर किसान सब्जी, धान और गेहूं की खेती करते हैं, लेकिन अधिक समय तक इस तरह की खेती करने से मिटटी की उर्वरा शक्ति काफी प्रभावित हो जाती है. इस वजह से खेत की मिटटी की उतपादन क्षमता कमजोर हो जाती है.
इन्हीं समस्याओं को देखते हुए लखनऊ के कृषि विभाग ने मसालों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं. वहीं, सरकार मसालों की खेती (Spice Cultivation) के प्रति अभियान चला रही है. सरकार का कहना है कि मसालों की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी. यह उत्पादन के साथ – साथ आर्थिक स्तिथि में भी काफी सुधार लाएगी.
मसालों की खेती है फायदे का सौदा (Masala Farming Profit)
"मसालों की खेती के लिए अच्छे जीवाश्म और दोमट बालुई मिटटी अच्छी मानी जाती है, जिसका पी.एच मान 6.5 – 7.5 के बीच होना चाहिए. इस संबंध में विशेषज्ञों का मानना है कि मसालों की खेती किसानों के लिए एक बेहतरीन कमाई का सौदा है. ऐसे में धनिया, मेथी, कलौंजी आदि की बुवाई नवम्बर के पहले सप्ताह में कर देना चाहिए. बताया जा रहा है कि पूरे प्रदेश में मसालों की खेती से किसानों की आय बढ़ाने के लिए नवंबर में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा.
मसालों की उन्नत किस्में (Improved Varieties Of Spices)
अगर धनिया की उन्नत किस्मों की बात करें, तो इसमें पंत हरितमा, आजाद धनिया और सुगुना शामिल हैं. वहीं, मेथी की अजमेर मेथी-पांच, कस्तूरी मेथी, पूसा अर्ली बंचिंग उन्नत किस्में हैं. इसके साथ ही अजवाइन की सिलेक्शन-1, सिलेक्शन-2, गुजरात अजवाइन-1 किस्मों की बुवाई अच्छी उपज देंगी.
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इसेक अलावा कलौंजी की उन्नत किस्मों को देखा जाए, तो इसमें आजाद कलौंजी, पंत कृष्णा, एनएस -32 का नाम शामिल है. इन सभी किस्मों से किसान भाई अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं.
जानकारी के लिए बता दें धनिया की उपयुक्त किस्मों से प्रति हेक्टेयर 15 से 20 क्विंटल उपज मिल सकती है. वहीँ, मेथी की किस्मों से प्रति हेक्टेयर 10 क्विंटल उपज प्राप्त कर सकते हैं. यह किस्में अधिक और अच्छी पैदावार देने की क्षमता रखती हैं.