पिछले कुछ समय से सुनते चले आ रहे हैं कि किसानों को अपनी फसलों के उपज का सही मूल्य न मिल पाने के कारण वह आत्महत्या कर लेते है. अब ऐसे सभी किसानों का भी कर्ज माफ़ किया जायेगा. एक अनुमान के अनुसार गत पांच सालों में राजस्थान में 150 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है. इसमें से 70 से ज़्यादा किसान अकेले हाड़ौती संभाग से आते है. अब राज्य सरकार कर्जमाफी से पहले इन किसानों के आकड़ों को जुटाएगी.
राजस्थान सचिवालय में शुक्रवार को कर्जमाफी की पात्रता, रूपरेखा और मापदंड के लिए विभागीय कमेटी की दूसरी बैठक सम्पन्न हुई. इस बैठक में पूरी तरह से राहुल गाँधी का किसान मॉडल छाया रहा. कर्जमाफी के मुद्दे को 6 मंत्रियों ने धरातल पर लाने के लिए गहन विचार किया.
बैठक के बाद कमेटी के संयोजक शहरी विकास मंत्री शान्तिकुमार में बताया कि मुख्य सचिव कलेक्टर्स से भूमि विकास बैंक और सहकारी बैंकों के उन लघु और सीमांत किसानों के आंकड़े मंगाएंगे, जिन किसानों ने इन बैंकों से 30 नवंबर 2018 के पहले फसलों के लिए ऋण ले रखा है. मंत्री ने आगे बताया कि कितने किसानों ने बैंकों से कर्ज़ लिया है और उनकी कर्ज की कितनी राशि है. इसके लिए बैंकों को निर्देश दिए जा चुके है जिससे प्रदेश के लघु और सीमांत किसानों के दो लाख तक के ऋण माफ़ किये जायेंगे.
अन्य राज्यों से भी मंगवाया जा रहा है ब्यौरा
शहरी विकास मंत्री ने बताया कि किसान ऋणमाफी के लिए धन की व्यवस्था कर ली जाएगी. हमें अब वित्तीय संसाधन की चिंता नहीं करनी चाहिए. हमारी सरकार किसानों के 2 लाख तक के कर्ज माफ़ करने के लिए वचनबद्ध है. मध्य प्रदेश और पंजाब से ऋण माफी संबंधी मापदंडों का पूरा ब्यौरा आ गया है, लेकिन अन्य राज्यों से ब्यौरा आना बाकी है.