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Updated on: 30 August, 2024 5:54 PM IST
मछली पालन के लिए जागरुकता अभियान

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के वैज्ञानिकों ने मत्स्य बीज उत्पादन तथा चौर विकास माध्यम से मछली पालन के लिए जागरुकता पैदा करने के उद्देश्य से दरभंगा के किसानों को प्रक्षेत्र भ्रमण करवाया. इस दौरान लगभग 30 किसान थे, जिनमें से 6 महिलाओं ने भी मछली पालन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. जहां उन्होंने कई तरह की तकनीकों व अन्य जरूरी जानकारी प्राप्त की.

डॉ. विवेकानंद भरती, वैज्ञानिक ने किसानों को चौधरी मत्स्य बीज केंद्र, जनदाहा, वैशाली ले जाकर मत्स्य बीज उत्पादन के लिए वास्तविक संरचना स्थापित करने, मत्स्य बीज परिवहन का तरीका और तालाब में बीज संचयन की विस्तृत जानकारी दी.

उन्होंने मस्त्य पालकों को तालाब के पानी और मिट्टी की जाँच के विभिन्न तरीकों के बारे में भी जानकारी किसानों के तालाब पर ही दी.  समेकित मछली पालन हेतु चौर के उपयोग के लिए डॉ. तारकेश्वर कुमार, वैज्ञानिक ने किसानों को जागरूक किया. चौर को फायदेमंद तरीके से समेकित मत्स्य पालन में रूपांतरण को किसानों को दिखाने के लिए शाहजादापुर चौर, समस्तीपुर ले जाया गया.  प्रगतिशील किसानों द्वारा तालाब का प्रबंधन देखकर और उनके अनुभव से सभी किसान मत्स्य पालन के प्रति काफी प्रेरित हुए. प्रगतिशील किसानों ने कहा कि मत्स्य पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसके द्वारा किसान किसी भी आपातकालीन परिस्थिति में मछली बेच कर अच्छी-खासी आय प्राप्त कर सकता हैं. मत्स्य पालन के अलावा किसी अन्य कृषि व्यवसाय में इस तरह की आपातकालीन रुपये की व्यवस्था नहीं की जा सकती है.  

अतः वैज्ञानिक तरीके से मछली का बीज उत्पादन और मत्स्य पालन का व्यवसाय किसी भी तरह से नुकसानदेह नहीं है. किसानों को अग्रसर होकर वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार मस्त्य पालन करना चाहिए. प्रगतिशील किसान के तौर पर प्रक्षेत्र भ्रमण के समय वैशाली के मत्स्य बीज उत्पादक त्रिपुरारी चौधरी, चौर मस्त्य विकास में शामिल समस्तीपुर के सुनील कुमार और कौशल कुमार उपस्थित थे.

English Summary: Farmers visited the field through Agricultural Research Campus Patna farmers latest news
Published on: 30 August 2024, 05:56 PM IST

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