मोदी सरकार भले ही अपने आप को किसानों की हितैषी होने का दम भरती है. लेकिन बार-बार हो रहे किसानों के विद्रोह से ऐसा प्रतीत होता है, मानों बीजेपी के शासन में खेतीबाड़ी की हालत दयनीय है. अभी कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से दिल्ली की तरफ निकलने वाली किसानों की पैदल यात्रा और विरोध की खबरे ठंड़ी भी नहीं हुई थी कि अब किसानों ने यूपी गेट पर क्रांति दिवस मनाकर सरकार का विरोध करना शुरू कर दिया है.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक पिछले साल हुई किसान क्रांति पदयात्रा की बरसी पर भारतीय किसान यूनियन के कुछ कार्यकर्ताओं ने यूपी गेट पर पहुंचकर सरकार का विरोध करना शुरू कर दिया है. इस बीच प्रशासन के साथ किसानों की तीखी बहस एवं धक्का-मुक्की भी हुई और देखते ही देखते वो दिल्ली की सीमा में घुसने के लिए बैरिकेडिंग पर चढ़ गये.
गौरतलब है कि दो अक्तूबर 2018 को किसानों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर भारतीय किसान यूनियन ने हर साल इसे क्रांति दिवस के रूप में मनाने का फैसाला किया है. इस मौके पर किसानों ने कहा कि "हमने फिलहाल यूपी गेट पर मात्र महापंचायत की है, लेकिन सरकार इसी तरह हमारी मांगों की अनदेखी करती रही तो आगे उग्र आंदोलन भी हो सकता है." उन्होनें कहा कि "बढ़ते हुए महंगाई में भी फसलों के उचित दाम किसानों को नहीं मिल रहे हैं, जिस कारण किसान परेशान है."
बता दें कि पिछले साल 2 अक्टूबर के दिन ही महात्मा गांधी के जन्मदिन पर जब हजारों किसान दिल्ली में एकत्र हुए थे तो उन्हें दिल्ली में घुसने से ही रोक दिया गया था. किसानों के विरोध करने पर उनपर लाठीचार्ज एवं पानी की बौछार की गई थी. इतना ही नहीं विरोध को कुचलने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले और तेज़ आवाज़ में साईरन भी बज़ाया था.