मानसून में Kakoda ki Kheti से मालामाल बनेंगे किसान, जानें उन्नत किस्में और खेती का तरीका! ये हैं धान की 7 बायोफोर्टिफाइड किस्में, जिससे मिलेगी बंपर पैदावार दूध परिवहन के लिए सबसे सस्ता थ्री व्हीलर, जो उठा सकता है 600 KG से अधिक वजन! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Karz maafi: राज्य सरकार की बड़ी पहल, किसानों का कर्ज होगा माफ, यहां जानें कैसे करें आवेदन Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Krishi DSS: फसलों के बेहतर प्रबंधन के उद्देश्य से सरकार ने लॉन्च किया कृषि निर्णय सहायता प्रणाली पोर्टल
Updated on: 4 October, 2022 3:13 PM IST
up agromet advisory

मौसम विभाग ने उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए सलाह दी है कि वह इस प्रकार अपनी फसल का ध्यान रखकर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. तो वहीं राज्य के कुछ जिलों के लिए सलाह दी है कि वह सब्जी की बुवाई शुरू कर दे. पशुओं के देखभाल के लिए मौसम विभाग ने सलाह दी है.

फतेहपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, चित्रकूट और कौशांबी के किसानों के लिए सलाह

मौसम विभाग की मानें को तो धान की फसल में वर्षा ना होने पर 6-7 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करते रहें. बेहतर उपज के लिए फूल आने के समय पर्याप्त नमी बनाए रखें.
हरे चने और उड़द की फसल 12-15 किग्रा/हेक्टेयर की दर से बोएं और बुवाई से पहले बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें.
सोयाबीन की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए अलाक्लोर 50 ईसी 4 लीटर प्रति हेक्टेयर को 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
तोरिया, पत्ता गोभी और फूलगोभी की बुवाई करने के लिए सही समय है.
केले में पौधों से 50 सेमी की दूरी पर 55 ग्राम यूरिया डालें.
लाइव स्टॉक जनरल चिकन - पोल्ट्री को नमी और रिसने से बचाएं.

बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर और महाराजगंज जिले के किसानों के लिए सलाह

खरीफ फसल मक्के की पकी हुई फसल को काटकर धूप में सुखा लें.
धान की परिपक्व फसलों की कटाई करना शुरू कर दें. धान से खरपतवार हटा दें और ऊपर से ड्रेसिंग करते समय खेत में 2 से 3 सेमी से अधिक पानी नहीं होना चाहिए.
दलहनी फसल में जल निकासी का उचित प्रबंध किया जाना चाहिए.
मूंगफली की फसल में सफेद जिबर/दीमक का प्रकोप होने की संभावना रहती है, इसलिए इसकी रोकथाम के लिए फाइप्रोनिल 0.3% ग्रा. साफ मौसम में 20 किग्रा/हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.
तोरिया, ज्वार, मक्का, बाजरा और ग्वार की बुवाई हरे चारे के रूप में शुरू करें. आलू की अगेती किस्मों की बुवाई के लिए उर्वरकों और बीजों की व्यवस्था कर लें.
आवश्यकता अनुसार आम, अमरूद, नींबू, अंगूर, बेर और पपीते के बाग की सिंचाई करें.
लाइव स्टॉक जनरल भैंस/गाय- गर्भवती भैंसों/गायों को ढलान पर बांधें. पौष्टिक चारा और अनाज खिलाएं. दिन में 3-4 बार साफ और ताजा पानी दें.

जिला: वाराणसी, आजमगढ़, गाजीपुर, चंदौली, सोनभद्र, मिर्जापुर, संत रविदासनगर, जौनपुर और मौस के किसानों के लिए सलाह

खैरा रोग के नियंत्रण के लिए, जिंक सल्फेट @ 25 किग्रा / हेक्टेयर बेसल के रूप में डालें. नाइट्रोजन की एक चौथाई खुराक तैयार करें. खड़ी फसलों से अत्यधिक वर्षा जल को बाहर निकाल दें.
अरहर की फसल (लाल चना/अरहर) में पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था करें. सब्जियां सामान्य भारी वर्षा की स्थिति में ज्वार के खेत में अतिरिक्त वर्षा जल को हटा दें
आम सामान्य आम, अमरूद और नींबू, अंगूर, बेर और पपीते के बागों की आवश्यकतानुसार सिंचाई करें.
दिन के समय पशुओं को छायादार स्थान या पेड़ की छाया में बांध दें. पशुओं को हरा और सूखा चारा के साथ पर्याप्त मात्रा में अनाज दें. जानवरों को दिन में 3-4 बार साफ और ताजा पानी देना चाहिए

जिला- जालौन, झांसी, ललितपुर, महोबा, बांदा और हमीरपुर के किसान इस प्रकार रखें अपनी फसल का ध्यान

खड़ी फसलों से अत्यधिक वर्षा जल की निकासी कर लें.
हरे चने और काले चने की फसल में निराई करनी चाहिए.
मूंग, मटर, तिल की बुवाई के लिए समय अनुकूल है.
मूंगफली की बुवाई के 35-40 दिन बाद दूसरी निराई करनी चाहिए.सब्जियों के लिए खेत की तैयारी और अगेती मटर की बुवाई अक्टूबर के पहले या दूसरे सप्ताह में कर लेनी चाहिए.
सब्जी नर्सरी में उचित जल निकासी बनाए रखी जानी चाहिए.
सामान्य फल आम, अमरूद, लीची, आंवला, नींबू, जामुन, बेर, केला और पपीता आदि के बागों की आवश्यकतानुसार सिंचाई करें.
पशुधन सामान्य गाय - पशुओं को सूखा रखना चाहिए, दुधारू पशुओं को संतुलित आहार देना चाहिए. पशुओं को छायांकित स्थान पर रखना चाहिए, टीकाकरण करना चाहिए.

जिला- बाराबंकी, सुल्तानपुर, अमेठी, फैजाबाद, बस्ती, रायबरेली, अंबेडकरनगर, संत कबीरनगर, गोरखपुर, देवरिया और बलिया के किसानों के लिए जरूरी सलाह

खड़ी फसलों में एकत्रित अत्यधिक जल की निकासी कर लें.
बेहतर फसल स्थापना और अधिक उपज के लिए समय पर खरपतवार प्रबंधन आवश्यक है.
तिल की बुवाई यथाशीघ्र पूर्ण करें. तो वहीं यह समय सरसों की अगेती बुवाई के लिए बेहद अनूकूल है.
प्याज के बीज वाली जगह पर खरपतवार हटा दें. क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी @ 4 मिली/लीटर पानी में सिंचाई के पानी का छिड़काव करें.
लीची, आम, अमरूद, नींबू, अंगूर, बेर और पपीते के बाग में आवश्यकतानुसार पौधे और सिंचाई करें.
दुधारू पशुओं को सूखा चारा (50:50) के अनुपात में खिलाएं और प्रतिदिन 20-30 ग्राम खनिज मिश्रण और नमक दें.

जिला: कन्नौज, हाथरस, मथुरा, आगरा, एटा,मैनपुरी, फिरोजाबाद, इटावा, औरैया, कानपुर-ग्रामीण, कानपुर-शहरी, उन्नाव, लखनऊ, सीतापुर, हरदोई, खीरी और कांशीराम नगर के किसानों के लिए सलाह

चावल और मक्का की फसलों में सिंचाई को स्थगित कर दें और फसलों से अत्यधिक वर्षा जल को बाहर निकाल दें.
तिल, अरहर, काला चना, हरा चना : सिंचाई को स्थगित कर दें और खड़ी फसलों से हमारे अत्यधिक वर्षा जल को बहा दें.
बैंगन, भिंडी, फूलगोभी टमाटर, मिर्च, आदि का रोपण कर दें.
सिंचाई को स्थगित कर दें और खड़ी फसलों से हमारे अत्यधिक वर्षा जल को बहा दें, तथा सामान्य फल आवश्यकता अनुसार आम, अमरूद, नींबू, अंगूर, बेर और पपीते के बाग की सिंचाई करें.
दिन के समय पशुओं को छायादार स्थान या पेड़ की छाया में बांध दें. पशुओं को हरा और सूखा चारा के साथ पर्याप्त मात्रा में अनाज दें. जानवरों को दिन में 3-4 बार साफ और ताजा पानी देना चाहिए.
मुर्गी को नमी से बचाएं और उचित रोशनी प्रदान करें और बर्तनों की धूल और गंदगी को साफ करें.

जिला मेरठ, पीलीभीत, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, अलीगढ़, बुलंदशहर, मुरादाबाद, ज्योतिबा फुले नगर, बिजनौर, बदायूं, बरेली, रामपुर, शाहजहांपुर, फर्रुखाबाद, शामली, संभल और हापुड़ी के किसानों के लिए सलाह

अरहर की फसल (लाल चना/अरहर) में पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था करें. फसल खरपतवार रहित होनी चाहिए.
अत्यधिक वर्षा होने पर गन्ने के खेतों से जल निकासी की उचित व्यवस्था करें. वर्षा न होने की स्थिति में सिंचाई करनी चाहिए. गन्ने को गिरने से बचाने के लिए सबसे पहले फसल को बांधें.
भिंडी और अरबी की पूरी बुवाई करें. सभी सब्जियों में उचित जल निकासी प्रदान करें. आवश्यकता अनुसार आम, अमरूद, नींबू, अंगूर, बेर और पपीते के बाग की सिंचाई करें.
दिन के समय पशुओं को छायादार स्थान या पेड़ की छाया में बांध दें. पशुओं को हरा और सूखा चारा के साथ पर्याप्त मात्रा में अनाज दें. जानवरों को दिन में 3-4 बार साफ और ताजा पानी देना चाहिए.

English Summary: Farmers of UP should start sowing vegetables in these districts, take care of your crop in this way
Published on: 04 October 2022, 03:18 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now