हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों से बात की थी. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा मुख्यमंत्री का किसानों से संवाद करने का मुख्य उद्देश्य कोरोना महामारी के चलते देश में लगे लॉकडाउन से उनकी किसानी में आ रही समस्याओं को जानना था.
इस दौरान ही मुख्यमंत्री ने किसानों को अवगत कराया था कि प्रदेश में जल संरक्षण बहुत जरूरी है. उन्होंने किसानों से अपील की थी कि इस बार प्रदेश के किसान धान की खेती न करें. अब इसमें एक नया अपडेट आया है कि हरियाणा सरकार ने सात जिलों में पट्टे वाली जमीन पर धान की खेती करने से मना कर दिया है. सरकार ने यह फैसला भूमिगत जलस्तर में आ रही लगातार कमी के कारण लिया है. बता दें, राज्य में पिछले करीब पांच वर्षों के दौरान औसतन 2.20 मीटर पानी का स्तर नीचे चला गया है.
धान की पैदावार पर रोक लगा दी (Paddy cultivation banned)
इस साल सरकार ने ‘जल ही जीवन है’ मिशन पर और सख्ती करते हुए पट्टे वाले किसानों पर शिकंजा कसा है. बता दें कि सरकार ने पट्टे वाली जमीन पर किसानों को धान की खेती करने से साफ़ मना कर दिया है. विकास एवं पंचायत विभाग हरियाणा के प्रधान सचिव द्वारा करनाल, कैथल, जींद, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर व सोनीपत जिलों के उपायुक्तों, डीडीपीओ तथा बीडीपीओ के नाम एक पत्र जारी किया है, जिसमें साफ़ लिखा है कि हरियाणा के उपरोक्त सात जिलों में पट्टे पर जमीन लेकर धान की पैदावार पर रोक लगा दी है.
जलस्तर में गिरावट की वजह से 2019 में शुरू किया गया “जल ही जीवन है” मिशन (“Jal hi Jeevan Hai” mission launched in 2019 due to fall in water level)
कई जिले तो ऐसे हैं जहां भूमिगत जल स्तर पांच मीटर से नीचे जा चुका है. हरियाणा में भूमिगत जलस्तर में बहुत तेजी से गिरावट आ रही है, यही कारण है कि सरकार ने पिछले साल ही जल ही जीवन है मिशन शुरू किया था.
फसल विविधिकरण पायलट प्रोजेक्ट हुआ था शुरू (Crop diversification pilot project was started)
इसके आलावा सरकार ने धान बाहुल्य जिलों में किसानों के लिए फसल विविधिकरण पायलट प्रोजेक्ट चालू किया था.
बता दें कि पायलट प्रोजेक्ट तहत मक्का, अरहर, तिल, ग्रीष्म मूंग, कपास, तिल आदि फसलों की पैदावार को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है.
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