बंदरों के झुंड फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं. वही किसानों के द्वारा भागने पर यह हमलावर हो जाते हैं. ऐसे में किसान अपनी फसलों की सुरक्षा को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं. कुछ ऐसी ही स्थिति पहले जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले के किसानों की थी. लेकिन अब इसमें बदलाव आ गया है. दरअसल, बंदरों के आतंक से परेशान होकर जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में अधिक से अधिक महिलाएं फूलों की खेती को अपनी आजीविका के रूप में अपना चुकी हैं और आत्मनिर्भर बनने के लिए अपने खेतों में गेंदा के फूल उगाना पसंद कर रही हैं.
उन्हें केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत वैज्ञानिक औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की 'मिशन फ्लोरीकल्चर' योजना द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है, जिसके तहत महिलाओं सहित अधिकांश किसानों को प्रासंगिक प्रशिक्षण दिया जाता है, और कार्यशालाओं और मुफ्त हाइब्रिड सीड्स के माध्यम से आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है.
डॉ. इकरा के अनुसार, गेंदा की खेती मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी है और बंदरों से नुकसान नहीं होता है, इसलिए इसे बंदरों के आतंक से प्रभावित क्षेत्रों में पसंद किया जाता है. एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्लोरीकल्चर विशेषज्ञ तेजिंदर सिंह ने बताया, "बटोत में पिछली बार, 100-150 किसानों ने गेंदा की खेती की थी. इस बार, ऐसा लगता है कि यह आंकड़ा बढ़ रहा है. यहां महिलाएं मक्के आदि की पारंपरिक खेती से दूर हो रही हैं और गेंदे की खेती में गहरी दिलचस्पी ले रही हैं क्योंकि यह सुविधाजनक, आकर्षक, कम समय लेने वाला और दिलचस्प है क्योंकि उन्हें फूल बहुत पसंद हैं.“
पारंपरिक फसलों से पहले तैयार हो जाती है गेंदे की फसल
गेंदे के फूल की फसल मक्के और दूसरी पारंपरिक फसलों से पहले तैयार हो जाती है और मार्केटिंग की कोई समस्या नहीं है क्योंकि कटरा में जहां माता वैष्णो देवी का प्रसिद्ध मंदिर है और जम्मू शहर में भी फूल जल्दी बिक जाते हैं जिसे 'मंदिरों का शहर' कहा जाता है.
बटोत तहसील में सभी महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप- 'शहर की दुनिया' की अधिकांश सदस्यों ने गेंदे की खेती को अपनाया है और अन्य महिलाओं को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया है.
एक किसान ने एएनआई को बताया, "मैं एक फूलवाला हूं...यह आंखों को बहुत सुकून देने वाला है. इसके साथ काम करना आसान है. हम बहुत मेहनत से मक्के की खेती करते थे. हमें इसकी खेती में दिक्कतें आ रही थीं. अब आसानी है."
उन्होंने कहा, "हम जम्मू और कटरा में फूल बेचते हैं क्योंकि हमारे पास मंदिर हैं. कृषि विभाग हमें मुफ्त बीज उपलब्ध करा रहा है और इसके अधिकारी हमें प्रशिक्षण देते हैं और अक्सर मौके पर आते हैं."