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Updated on: 21 September, 2023 4:51 PM IST
Dumped Wheat in Market

Farmer's wheat loss: इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (आईसीआरआईईआर) ने अनुमान लगाया है कि बढ़ती मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा बाजार में गेहूं डंप करने के बाद देश में किसानों को लगभग 40,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ हैं. इस बड़े नुकसान के बाद, आईसीआरआईईआर (ICRIER) ने यह चेतावनी दी है कि अगर सरकार की ऐसी प्रतिबंधात्मक नीतियां आने वाले समय में धान, दाल और गन्ना पर भी लगाती है तो यह किसानों के खरीद के सीजन में उन्हें और भी ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है.

आकड़ों के अनुसार, 2022-23 में देश में कुल 112 मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ था और 2023-24 के रबी सीज़न में एक क्विंटल गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,125 रुपये और खुले बाजार में 2,673 रुपये पर बेचा गया था.

गेहूं उत्पादन करने वाले किसानों को हुए नुकसान का कारण बताते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने इस साल फरवरी में खुले बाजार में बिक्री योजना (ओएमएसएस) शुरू की थी, जिसके तहत गेहूं को 2,350 रुपये प्रति क्विंटल और फिर 2150 रुपये प्रति क्विंटल की कम कीमत पर बेचा गया था ताकि इस घरेलू कीमतों को स्थिर किया जा सकें.

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इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बाजार के इस हस्तक्षेप के बिना, किसान गेहूं की बिक्री से संभावित रूप से 2,673 रुपये में कर सकते थे जो 548 रुपये अधिक थी.इं डियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस ने सरकार को सुझाव दिया है कि किसानों की कमाई को नुकसान पहुंचाए बिना घरेलू मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने का दूसरा उपाय सोचा जा सकता है और व्यापार नीति को विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग किया जा सकता है ताकि किसानों को आगे इस तरह के होने वाले एक बड़े नुकसान से बचाया जा सके.

English Summary: Farmers Lost Rs 40,000 Crore After Govt Dumped Wheat in Market
Published on: 21 September 2023, 04:56 PM IST

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