Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 22 October, 2022 3:54 PM IST
Farmers exploited due to increase in support price

भारत सरकार जहां देश के किसान भाइयों के साथ खड़े होने का वादा करती है वहीं यह खबर सामने आ रही है कि केन्द्र सरकार ने 18 अक्टूबर 2022 को रबी फसलों (गेहूं ,चना, जौ , सरसो आदि) के समर्थन मूल्य में लगभग 2-7 प्रतिशत बढ़ोतरी का ऐलान किया है. 

देखा जाए तो यह बढ़ोत्तरी कृषि लागत वार्षिक महंगाई दर (8.6%) से भी बेहद कम है. बता दें कि इसके चलते किसानों को पिछले वर्ष के मुकाबले प्रति क्विंटल गेहूं में 63 रुपये, चने में 345 रुपये, सरसों में 34 रुपये, जौ में 40 रुपये और कुसुम मे 259 रुपये का आर्थिक नुकसान होगा.

घोषित समर्थन मूल्य-2022-23

गेहूं की खरीद पर 3000 करोड़ से ज्यादा नुकसान

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि केन्द्र सरकार द्वारा इन घोषित समर्थन मूल्यों पर केवल गेहूं की सरकारी खरीद (50 करोड़ क्विंटल) पर ही किसानों  को 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होगा. इसी तरह पिछले कई वर्षों से जहां केन्द्र सरकार कृषि लागत महंगाई दर से कम पर समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी घोषित करके किसानों का लगातार शोषण करती आ रही है वहीं दूसरी ओर जानबूझ कर सरकार ने MSP कानून नहीं बनाकर इन समर्थन मुल्यों को बिचौलियों और आढ़तियों पर लागू नहीं किया, जो फसल उपज समर्थन मूल्यों से कम पर खरीदकर किसान, सरकार और उपभोक्ता सभी का शोषण करते है.

केंद्र सरकार की राष्ट्रीय किसान आयोग रिपोर्ट 2006 के मुताबिक फसल समर्थन मूल्य सी-2 + 50 प्रतिशत तक लाभ पर घोषित होना चाहिए. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. बल्कि सरकार तानाशाही तरीके से समर्थन मूल्य A2+FL पर घोषित करके किसानों का खुला शोषण करती रही है, जिससे ये किसानों के लिए भारी अर्थिक नुकसान और कृषि घाटे का सौदा बनता जा रहा है. केन्द्र द्वारा घोषित समर्थन मूल्य के मुकाबले सी-2+50 प्रतिशत लाभ के आधार पर गेहूं का समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 2363 रुपये, चने का 6558 रुपये, सरसों का  5610 रुपये, जौ का 2231 रुपये, मसुर का 6912 रुपये और  कुसुम का 7703 रुपये बनता है.

ये भी पढ़ें: इफको एमसी ने पेश किया 'यूटोरी', मक्का की फसल के लिए सर्वश्रेष्ठ खरपतवारनाशी

इसलिए देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केन्द्र सरकार को राष्ट्रिय हित में MSP  कानून बनाकर फसल समर्थन मूल्य राष्ट्रिय किसान आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सी-2 + 50 प्रतिशत लाभ और वार्षिक कृषि लागत महंगाई दर के आधार पर घोषित करनी चाहिए, जिससे किसानों की आय बढेगी और कृषि क्षेत्र मे नयी तकनीक और रोजगार बढेंगे.

डॉ. वीरेन्द्र सिंह लाठर, पूर्व प्रधान वैज्ञानिक, ICAR- IARI, नई  दिल्ली 

English Summary: Farmers exploited due to increase in support price, know the reason behind it
Published on: 22 October 2022, 04:04 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now