Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 29 November, 2022 5:28 PM IST
सरसों GM को लेकर किसानों ने लिखा पत्र

देश में साल 2020-21 के समय कृषि विरोधी आंदोलन किसानों की हक की सबसे बड़ी लड़ाई मानी जाती है. जैसे कि आप जानते हैं कि इस आंदोलन में किसान भाइयों ने एक साल से भी अधिक समय तक आंदोलन को जारी रखा था. आखिरकार सरकार ने किसानों के लिए तीन कृषि कानूनों को रद्द कर दिया था. इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए ज्यादातर किसान संगठनों ने अब देश में ट्रांसजेनिक फसलों का विरोध करने वाले समूहों से हाथ मिला लिया है. 

ताकि वह किसानों के हक के लिए उनकी बात को सरकार तक पहुंचा सके. इसी क्रम में इन किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने पर्यावरण रिलीज के लिए सरसों जीएम को दी गई मंजूरी को लेकर अपनी बातों को रखा है. तो आइए जानते हैं कि किसानों ने पत्र में क्या कुछ लिखा और इस बार क्या है इनकी मांगे.

किसान एक बार कर सकते हैं आंदोलन

आपको बता दें कि किसानों ने अपने पत्र  में पर्यावरण रिलीज के लिए सरसों जीएम को दी गई मंजूरी को अस्वीकार करने का आग्रह किया है. साथ ही उन्होंने यह भी लिखा है कि अगर सरकार मंजूरी को खारिज नहीं करती है, तो वे केंद्रीय बायोटेक नियामक-जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) के खिलाफ अपने संघर्ष को तेज करने के लिए मजबूर होंगे. बता दें कि सरकार ने अक्टूबर में जीएम सरसों को उत्पादन और परीक्षण बीज के लिए पर्यावरणीय रिलीज की अनुमति दी थी.

जानें किसानों ने क्यों लिखा पत्र

किसान भाइयों का कहना है कि सरकार की इस मंजूरी से जैव विविधता, भोजन, मिट्टी और साथ ही पर्यावरण को भी सबसे अधिक नुकसान पहुंचेगा. इसके अलावा उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है कि सरसों किसानों को कोई आर्थिक लाभ नहीं पहुंचाएगा. बल्कि यह हमारी समृद्ध विरासत को और दूषित करेगा. इससे मिट्टी और पर्यावरण दोनों ही प्रदूषित होगी. उन्होंने यह भी लिखा है कि यह सरसों जैविक किसानों और मधुमक्खी पालकों की आजीविका के अवसरों को पूरी तरह से छीन लेगा. देखा जाए तो आने वाले समय में इससे किसानों व देश दोनों को ही आर्थिक रूप से हानि पहुंच सकती है. इसलिए किसानों ने यहीं पत्र पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर दोनों को भी भेजा है. ताकि इस परेशानी का जल्द से जल्द हल निकाला जा सके.

पत्र पर इन किसान संगठन ने किए हस्ताक्षर

किसानों के द्वारा लिखे गए इस पत्र पर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के विभिन्न गुटों के राकेश टिकैत, जोगिंदर सिंह उगराहन, गुरनाम सिंह चादुनी, तराई किसान संगठन के तेजनेदर सिंह विर्क और अखिल भारतीय किसान सभा के नेता आदि ने हस्ताक्षर कर अपनी मंजूरी दी है. ताकि किसानों की परेशानी को जल्द दूर किया जा सके.

SC से पहले देश की जनता को दिखाया पत्र

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने से एक दिन पहले यानी सोमवार के दिन किसानों ने जीएम सरसों से संबंधित लिखे पत्र को मीडिया के द्वारा जनता को दिखाया. इस दौरान उन्होंने सरकार पर यह आरोप लगाया कि सरकार "जीएम सरसों पर असत्य और गलत बयानों" के साथ सुप्रीम कोर्ट को सक्रिय रूप से गुमराह कर रही है. इस विषय पर कोर्ट को जीएम-मुक्त भारत गठबंधन की कविता कुरुगंती ने कहा, "हम कम से कम पांच क्षेत्रों को सूचीबद्ध कर सकते हैं जहां सरकार सक्रिय रूप से गलत जानकारी दे रही है.

बता दें कि सरसों के इस जीईएसी के फैसले पर कृषि विशेषज्ञों ने भी अपने विचार व्यक्त किए. आईसीएआर के रेपसीड सरसों अनुसंधान निदेशालय (डीआरएमआर) के पूर्व निदेशक धीरज सिंह ने कहा- " देखा जाए तो पिछले एक दशक में भारत में रेपसीड-सरसों का उत्पादन लगभग 38% बढ़ा है.

इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि देश सरसों के तेल की मांग और आपूर्ति के मामले में हम आत्मनिर्भर हैं और साथ ही हमारे यह खाद्य तेल की खपत का केवल 15% सरसों से है. उन्होंने इस बात की भी जानकारी दी कि देश के किसानों के पास पहले से ही बाजार में एक दर्जन से अधिक गैर-जीएम सरसों संकर विकल्प हैं जो उन्होंने अच्छा लाभ पहुंचा रहे हैं.

English Summary: Farmers can once again protest! Know the reason behind this
Published on: 29 November 2022, 05:30 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now