मध्यप्रदेश में गेहूं खरीदी केंद्रों पर कोरोना संक्रमण से बचाव के उपाय देखकर प्रदेश के किसान काफी खुश हैं और आसानी से अपनी उपज को बेच रहे हैं. इतना ही नहीं, सरकार के साथ किसान भी अपनी जिम्मेदारी बेहतर तरीके से समझ रहे हैं और खरीदी केंद्रों पर मास्क लगाकर ही जा रहे हैं. होशंगाबाद जिले के बाबई के एक किसान अमित तिवारी को डर था कि कोरोना वायरस जैसी महामारी के बीच वह अपनी उपज को मंडी तक कैसे पहुंचा सकेंगे. ऐसे में सरकार ने कई किसानों के खेत पर ही जाकर तुलाई करवाई और फिर उसे मंडी ले गए. इसके अलावा वहां के जो किसान खरीदी केंद्र पहुंचे और वहां पर कोरोना से बचाव के उपाय देखें तो वह बहुत खुश हुए और खुशी-खुशी अपनी फसल बेचकर आ गए. इससे किसानों को कोई कठनाई नहीं हुई और गेंहू की फसल को समर्थन मूल्य पर बेचकर राहत महसूस की.
उल्लेखनीय है कि सरकार की तरफ से बनाए गए खरीदी केंद्रों पर 15 अप्रैल से 30 मई तक किसानों की फसल खरीदने की सुविधा दी गई है. कोरोना संक्रमण से बचने के लिए फिजिकल डिस्टेंस बनाकर ही गेहूं की तौल की जा रही है. वहीं, सरकार की कोशिश है कि किसानों को गेहूं का भुगतान 7 दिवस के अंदर कर दिया जाए. सीएम शिवराज सिंह ने गेंहू फसल खरीदने के लिए समर्थन मूल्य 1925 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है. इसके अलाला इस पर बोनस भी दिया जा रहा है. राज्य के अधिकांश किसानों का मानना है कि उन्हें जिला प्रशासन द्वारा उपार्जन केंद्र पर किए गए बेहतर प्रबंधन से उन्हें किसी भी प्रकार की कठनाई का सामना नहीं करना पड़ा. मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में 10 मई तक खरीदी केंद्रों पर 11 हजार 500 किसानों से 86 हजार मीट्रिक टन गेंहू की खरीदी की जा चुकी है.
मंडी में किसान इन बातों का रखें ध्यान
- मास्क पहनकर ही घर से निकले. मुंह पर गमछा बांधकर जाए तो और बेहतर होगा.
- उपज बेचने जाते समय कोशिश करें कि अकेले या सिर्फ एक साथी को लेकर ही जाए. ताकि मंडी में अनावश्यक भीड़ ना हो.
- अगर हो सके तो किसान भाई मंडी में उपज तुलवाने से पहले और बाद में हाथों को अच्छी तरह से धो ले.