हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों से बात की थी. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा मुख्यमंत्री का किसानों से संवाद करने का मुख्य उद्देश्य कोरोना महामारी के चलते देश में लगे लॉकडाउन से उनकी किसानी में आ रही समस्याओं को जानना था. इस दौरान ही मुख्यमंत्री ने किसानों को अवगत कराया था कि प्रदेश में जल संरक्षण बहुत जरूरी है. उन्होंने किसानों से अपील की थी कि इस बार प्रदेश के किसान धान की खेती न करें.
बता दें कि कुछ दिन बाद में हरियाणा सरकार ने कहा जो भी किसान अबकी बार धान की खेती नहीं करेगा उसे 7,000 प्रति एकड़ के हिसाब से सहायता राशि दी जाएगी. उन्होंने कहा कि हम धान बाहुल्य जिलों में किसानों के लिए फसल विविधिकरण पायलट प्रोजेक्ट चालू किया है . बता दें कि पायलट प्रोजेक्ट तहत मक्का, अरहर, तिल, ग्रीष्म मूंग, कपास, तिल आदि फसलों की पैदावार को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है . बैठक के कुछ दिन बाद सरकार ने एक और आदेश जारी किया कि प्रदेश के धान बाहुल्य क्षेत्र में किसान पट्टे वाली जमीन पर खेती नहीं कर सकते है. सरकार ने किसानों से कहा कि हम ऐसा इसलिए कर रहें कि प्रदेश के भूमिगत जलस्तर में बहुत तेजी से गिरावट आ रही है जिनमें से कुछ जिले ऐसे हैं जहां भूमिगत जल स्तर पांच मीटर से नीचे जा चुका है.इसी कारण हमें पिछले साल हीं जीवन है मिशन शुरू किया था. अगर हम ऐसा नहीं करते है तो कुक दिन बाद प्रदेश में पानी की कमी आ जाएगी.
हरियाणा सरकार की उक्त फैसलों पर कुछ किसान संगठनों ने सवाल खड़े कर दिए हैं और सरकार से धान फसल खेती न करने के बदले में 20,000 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से मांग करने लगे हैं. किसान संगठनों का कहना है कि सरकार द्वारा धान की खेती छोड़ने के लिए इतनी कम रकम तर्कसंगत नहीं है. इतने पैसे से कोई भी किसान अच्छी खासी धान की फसल क्यों छोड़ेगा.
राष्ट्रीय किसान महासंघ के संस्थापक सदस्य विनोद आनंद का कहना है कि हरियाणा में किसान प्रति एकड़ औसतन 26 क्विंटल धान पैदा करता है. जबकि राज्य में इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 1835 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है . इसका मतलब ये है कि प्रति एकड़ में 47,710 रुपए का धान पैदा करता हैं. सरकार किसानों को 47,710 रुपए के बदले 7,000 रुपए देना चाहती है. अगर किसान से सरकार को धान की खेती नहीं करवाना है तो कम से कम प्रति एकड़ में होने वाली फसल की आधी रकम मुहैया करवाए.