PM-Kisan: 9.5 करोड़ किसानों के लिए खुशखबरी, पीएम मोदी कल जारी करेंगे पीएम-किसान की 18वीं किस्त केंद्र ने क‍िसानों के ल‍िए खोला खजाना,1 लाख करोड़ रुपये की दो कृषि योजनाओं को मिली मंजूरी, जानें कैसे मिलेगा लाभ Good News: देश में खाद्य तेल उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा, केंद्र सरकार ने इस योजना को दी मंजूरी केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक पपीता की फसल को बर्बाद कर सकता है यह खतरनाक रोग, जानें लक्षण और प्रबंधित का तरीका
Updated on: 9 November, 2021 1:35 PM IST
Premchandra Sharma

हमारे समाज में अगर पुरस्कार की बात करें तो हर किसी को इसकी लालसा होती है. चाहे वो बच्चे हों या बुजुर्ग पुरस्कार पाना हर कोई चाहता है. काम को करने और उसे सफलता पूर्वक अंजाम तक पहुंचाने के लिए की जा रही मेहनत का  इनाम अगर पद्मश्री पुरस्कार मिल जाए तो बात ही अलग है.

स्कूल, कॉलेज के पुरस्कार से लेकर पद्मश्री पुरस्कार तक का सफर किसी भी व्यक्ति के लिए बेहद गौरवान्वित करने वाला होता है.गौरतलब है कि पद्मश्री पुरस्कार 'कार्य में विशिष्टता' की पहचान करने का प्रयास करता है. वहीं, यह कला, साहित्य एवं शिक्षा, खेल, चिकित्सा, सामाजिक कार्य, विज्ञान, इंजीनियरिंग, सार्वजनिक मामलों, सिविल सेवा, व्यापार और उद्योग आदि सभी क्षेत्रों/विषयों में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवाओं के लिए प्रदान किया जाता है. इन पुरस्कारों के लिए नस्ल, व्यवसाय, स्थिति या लिंग को ना देखते हुए सभी को उनके गुणों के आधार पर दिया जाता है.

ऐसी ही कुछ दिलचस्प कहानी उत्तराखंड के प्रेमचंद्र शर्मा की है. खेती और बागवानी के क्षेत्र में सफल और प्रगतिशील किसान प्रेमचंद शर्मा को गत दिन पद्मश्री 2020 से सम्मानित किया गया. आमतौर पर खेती-बाड़ी और बागवानी को आज भी लोग उतनी गंभीरता से नहीं लेते हैं. ऐसे में बागवानी के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार हासिल करना वाकई में काबिले तारीफ है.

प्रेमचंद्र शर्मा ने कृषि क्षेत्र में ये पुरस्कार अपने नाम कर सबको ये सोचने के लिए बाध्य कर दिया है कि कृषि क्षेत्र में भी अच्छे कार्यों के बदौलत अपनी एक अलग पहचान बनाया जा सकता है.   बता दें कि प्रेमचंद शर्मा का जन्म देहरादून जनपद के जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र जौनसार बावर के चकराता ब्लाक के गांव अटाल में वर्ष 1957  में हुआ. महज पांचवीं तक शिक्षा प्राप्त करने वाले प्रेमचंद को किसानी विरासत में मिली है. कम उम्र में ही वह अपने पिता स्व. झांऊराम शर्मा के साथ खेतीबाड़ी से जुड़ गए थे. इनकी मनोबल को बढ़ने और यहाँ तक के सफर को पूरा करने के लिए कई अन्य पुरस्कारों का भी अहम् योगदान रहा है.

ये भी पढ़ें: 66 किसानों को ‘किसान श्री’ और 5 किसानों को ‘गौरव पुरस्कार’ से किया सम्मानित

प्रगतिशील किसान प्रेमचंद शर्मा को अब तक कई पुरस्कार मिल चुके हैं. प्रेमचंद ने परंपरागत खेती में लागत के मुताबिक लाभ न होता देख नए प्रयोग किए. इसकी शुरुआत उन्होंने 1994 में अनार की जैविक खेती से की. यह प्रयोग सफल रहा तो उन्होंने क्षेत्र के अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रेरित किया. उन्होंने अनार के उन्नत किस्म के डेढ़ लाख पौधों की नर्सरी तैयार की.

इतना ही नहीं अनार की खेती के गुर सिखाने वह कर्नाटक तक गए. जिसका परिणाम यह है कि उनको आज पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

English Summary: Farmer Premchandra Sharma honored with Padma Awards 2020
Published on: 09 November 2021, 01:41 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now