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Updated on: 24 July, 2024 3:34 PM IST
किसान संगठनों 15 अगस्त को देशभर में निकालेंगे ट्रैक्टर मार्च

किसान मंच एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने सभी फसलों पर सी2+50% के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के कानूनी अधिकार, कर्ज माफी और अन्य मांगों के लिए संघर्ष को और तेज करने के लिए 15 अगस्त को पूरे देश में ट्रैक्टर मार्च निकालने का फैसला किया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक किसान मंचों ने अगस्त और सितंबर में अन्य कार्यवाहियां करने का भी निर्णय लिया है. एमएसपी के मुद्दे पर सोमवार को दिल्ली में आयोजित सम्मेलन के बाद लिए गए कई निर्णयों में से एक यह है कि किसान केंद्र सरकार के पुतले और 1 अगस्त के नए आपराधिक कानूनों की प्रतियां जलाएंगे.

कार्यकर्ताओं ने 31 अगस्त को बड़ी भीड़ जुटाकर पंजाब और हरियाणा की सीमाओं शंभू और खनौरी में 200 दिन मनाने का निर्णय लिया है. वे 1 सितंबर को यूपी में रैली करेंगे. हरियाणा में दो किसान महापंचायतें- 15 सितंबर को जींद में और 22 सितंबर को पिपली में भी योजना बनाई गई है.

कृषि विशेषज्ञों ने अपने विचार रखते हुए कहा कि फसलों पर एमएसपी के कानूनी अधिकार से पानी की अधिक खपत वाले धान की रोपाई पर तनाव कम हो सकता है, जिसके कारण उत्तर भारतीय राज्यों पंजाब और हरियाणा में भूजल स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है. वही, सम्मेलन के बाद बारह सांसदों ने किसानों से मुलाकात की और समर्थन का आश्वासन दिया हैं जिनमें पंजाब से शिअद की हरसिमरत कौर बादल (शिअद), कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वारिंग और सुखजिंदर सिंह रंधावा, आप के अमर सिंह, मलविंदर सिंह कांग और विक्रमजीत सिंह साहनी, हरियाणा से कांग्रेस के वरुण चौधरी और जय प्रकाश; महाराष्ट्र से शिवसेना सांसद अरविंद सावंत, मध्य प्रदेश से भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राज कुमार रोत, श्रीनगर से जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी और उत्तर प्रदेश से सपा सांसद इकरा हसन आदि.

किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने इस मिथक को खारिज किया कि एमएसपी की कानूनी गारंटी से सरकार पर राजकोषीय भार बढ़ेगा. उन्होंने विपक्ष के सभी नेताओं, खासकर उन राजनीतिक दलों से, जिन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में एमएसपी की कानूनी गारंटी का वादा किया था, संसद में निजी सदस्यों के विधेयक पेश करने का आग्रह किया.

वही, कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने कहा कि दुनिया भर में, एक ठोस प्रयास चल रहा है कि छोटे और सीमांत किसानों की सीमित आबादी को कृषि से बाहर कर दिया जाए. शर्मा ने कहा कि हॉलैंड से लेकर इंग्लैंड, न्यूजीलैंड से लेकर भारत तक, 'किसान नहीं तो भोजन नहीं' का नारा दुनिया भर के सभी देशों के लिए प्रासंगिक है. उन्होंने कहा कि यह विचार कि कृषि उत्पादन बढ़ने से कृषि आय अपने आप बढ़ जाएगी, सही नहीं है क्योंकि "किसानों को श्रम और इनपुट के मूल्य नहीं मिल रहे हैं, जैसा कि तेजी से बढ़ती उपज में निवेश किया जाता है." डॉ. प्रकाश, जो पहले कर्नाटक कृषि विभाग में थे, ने कहा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी "किसानों पर राजकोषीय बोझ नहीं बढ़ाएगी, जैसा कि दावा किया जा रहा है."

केरल के पीटी जॉन ने कहा कि दूसरे किसान आंदोलन ने वास्तविक हलचल पैदा कर दी है और लोकसभा चुनावों में गति निर्धारित कर दी है. जॉन ने कहा, "एमएसपी दया नहीं बल्कि किसान का अधिकार और दावा है." मेवात के जफर हसन ने कहा कि किसानों के विरोध का सबसे बड़ा परिणाम यह है कि इसने किसानों को अपने-अपने धर्मों से ऊपर उठकर एकजुट होने में मदद की है. हरियाणा के अभिमन्यु कोहर ने कहा कि इस आंदोलन की सबसे बड़ी सफलता यह है कि किसान और मजदूर एक बड़ी ताकत के रूप में उभरे हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

English Summary: Farmer organizations will organize a tractor march nationwide on August 15.
Published on: 24 July 2024, 03:38 PM IST

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