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Updated on: 4 December, 2020 5:17 PM IST
Farmer of Chandauli Varanasi Earn Good Profit by Black Rise Farming

चंदौली इन दिनों काले चावल की खेती के लिए चारों तरफ चर्चाओं में बना हुआ है. अपने आप में ये बात हैरान कर देने वाली है कि आज से ठीक तीन साल पहले प्रायोगिक तौर पर शुरू की गई काले चावल की खेती इस क्षेत्र की पहचान बन चुकी है. यहां के किसानों को होने वाले लाभ का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि खुद पीएम मोदी इस बारे में अपने भाषण में बोल चुके हैं. चलिए आपको काले चावल और चंदौली के बारे में विस्तार से बताते हैं.

मेनका गांधी ने की थी पहल

आज से करीब तीन साल पहले भाजपा की वरिष्ठ नेता मेनका गांधी के सुझाव पर चंदौली जिले में काले चावल की खेती शुरू हुई. जानकारी के मुताबिक मणिपुर से इसके बीजों को पहली बार मंगवाया गया और प्रयोग के रूप में छोटे स्तर पर खेती की गई. किसानों की मेहनत और प्रशासन की मदद से इसमें कामयाबी मिली. आज चंदौली के काले चावल की डिमांड भारत के अन्य राज्यों में ही नहीं बल्कि आस्ट्रेलिया और अन्य देशों तक पहुंच गई है.

12 किसानों से शुरू हुआ था सफर

एक छोटा सा प्रयोग इतना सफल कैसे हो गया इस बारे कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि चंदौली की मिट्टी काले चावल के लिए उत्तम है और इस बात को समझने में डीएम नवनीत सिंह चहल और तत्कालीन उपकृषि निदेशक आरके सिंह सफल रहे.

हालांकि 2018 में जब मेनका गांधी मणिपुर से इन बीजों को लेकर आई थी, तब ऐसी सफलता की उम्मीद किसी को नहीं थी. इन बीजों को 12 सौ रुपये प्रति किलो की दर से यहां के 12 किसानों को दिया गया था. परिणाम बेहतर मिला तो किसानों की आय बढ़ने लगी और फिर इस प्रयोग से जिले के अन्य किसानों ने भी जुड़ना शुरू कर दिया.

अच्छी मेहनत के साथ अच्छी ब्रांडिंग लाई रंग

आप कह सकते हैं कि चंदौली की मिट्टी, तापमान और जलवायु आदि की वजह से काले चावल के अच्छे परिणाम मिले. लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि यहां के किसानों को मेहनत के साथ अच्छी ब्रांडिंग की भी समझ है. आज उन्हें अच्छा दाम इसलिए भी मिल रहा है, क्योंकि देश के हर कोने में इस चावल की अपनी एक अलग पहचान है.

सरकार का सहयोग अहम

छोटा सा प्रयास भी सरकार के सहयोग से रंग ले आता है. चंदौली के किसानों को प्रधानमंत्री द्वारा चलाए जा रहे नए कृषि कानूनों के समर्थन का भरोसा मिला. फिर इन किसानों की समिति बनाई गई. सरकारी संसाधनों और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से किसानों को लाभ मिला. आरंभ में 12 किसान ही इसकी खेती कर रहे थे, लेकिन आज 1 हजार से अधिक किसानों को इसका फायदा हो रहा है.

प्रधानमंत्री के मुंह से निकली तारीफ

इसमें कोई दो राय नहीं कि चंदौली के काला चावल को एक सफल कृषि प्रोजेक्ट के रूप में देखा जा सकता है. देव दीपावली पर वाराणसी के दौरे में पीएम मोदी खुद इन चावलों की तारीफ कर चुके हैं. अपने भाषण में उन्होंने इसे किसानों की आर्थिक सशक्तता का आधार बताते हुए कहा था कि पहली बार ऑस्ट्रेलिया को भारत चावल निर्यात कर रहा है. इन चावलों को करीब साढ़े आठ सौ रुपए किलो के हिसाब से निर्यात किया जा रहा है, जिससे चंदौली के किसानों की आय बढेगी. 

कैंसर से लड़ने में सहायक है काला चावल

चंदौली के काला चावल से बिस्किट आदि उत्पाद भी तैयार होते हैं. इसके साथ ही हृदय को स्वस्थ और मजबूत रखने में भी इनका योगदान है. विशेषज्ञों का मानना है कि इसके सेवन से फायटोकेमिकल कोलेस्ट्राल के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है. इतना ही नहीं पाचन से जुड़ी अन्य समस्याओं में भी ये लाभदायक है. कई रिसर्च में ये सामने आया है कि काले चावल में मौजूद एंथोसायनिन नामक एंटीऑक्सीडेंट कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने में सहायक है.

English Summary: farmer of chandauli varanasi earn good profit by black rise farming pm modi also praised them know more about it
Published on: 04 December 2020, 05:21 PM IST

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