कहीं उजड़ न जाए ये कायनात इसलिए गलियों को वीरान ही रखा गया. कहीं हमेशा के लिए खामोश न हो जाए ये खिलखिलाते चेहरे इसलिए पाबंदियों का लबादा पहना दिया गया है, मगर वीरान गलियों से गुजरती हर दम तोड़ते मरीजों की चित्कार से हुकूमत में बैठे सूरमाओं की नाकामियों का ही नतीजा है कि आज अस्पताल गुरबत में हैं. कहीं ऑक्सीजन की कमी है, तो कहीं बेडों का अभाव तो कहीं दवाओं की किल्लत और इन सब की गिरफ्त में आकर अगर कोई खुद को ठगा महसूस कर रहा है, तो वो है आम जनता. दम तोड़ते हर मरीज का अभी हुकूमत से महज यही कहना है कि जनाब, ऐसे भी क्या खता हो गई, हमसे की आप यूं खफा हो गए.
देश के हर शख्स का पेट भरने वाले एक किसान का अस्पतालों की बदइंतजामी देख इस कदर दिल पसीज उठा कि उसने अपने जीवन भर की कमाई महज इसलिए जिला प्रशासन को दे दी, ताकि अस्पताल में कोई मरीज ऑक्सीजन के अभाव में दम न तोड़ दें. जी हां.. हर रोज ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ते मरीजों की चित्कार को सुन उस किसान का दिल इस कदर पसीज उठा कि उसने जो जमा पूंजी अपनी बेटी की शादी के लिए पाई-पाई करके जोड़ी थी, उसे महज इसलिए जिला प्रशासन को दे दी, ताकि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी को पूरा किया जा सके.
बेटी की शादी के लिए रखे थे पैसे
यह जानकर आपकी आंखें नम हो जाएगी और दिल संवेदनाओं से भर उठेगा, जब आपको यह मालूम पड़ेगा कि मध्य प्रदेश के नीमच जिले में रहने वाले किसान चम्पालाल ने 2 लाख रूपए की यह रकम अपनी बेटी की शादी के लिए रखी थी. दिन रात अपने खून पसीने को एक कर चम्पालाल ने यह रकम जुटाई थी, मगर जब लगातार लोगों को ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ते देखा तो उनका दिल पसीज उठा. उनकी संवेदनाएं अंदर से झकझोर उठी. बेशक, अपनी बढ़ोतरी में से किसी की सहायता करना, तो बहुत आसान है, मगर यह यकीनन काबिल-ए--तारीफ है, जब आप अपनी घटी में किसी की मदद के लिए कुछ करते हैं.
खबरों की इस दुनिया मे अभी इस किसान की चर्चा हर किसी के जुबां पर छाई हुई है. यूं तो आपने खबरों की इस दुनिया में किसानों की बदहाली की बेशुमार खबरें पढ़ी होंगी, लेकिन आपकी निगाहों के सामने से बहुत ही कम ऐसी खबरें होकर गुजरती होंगी.