सोमानी क्रॉस X-35 मूली की खेती से विक्की कुमार को मिली नई पहचान, कम समय और लागत में कर रहें है मोटी कमाई! MFOI 2024: ग्लोबल स्टार फार्मर स्पीकर के रूप में शामिल होगें सऊदी अरब के किसान यूसुफ अल मुतलक, ट्रफल्स की खेती से जुड़ा अनुभव करेंगे साझा! Kinnow Farming: किन्नू की खेती ने स्टिनू जैन को बनाया मालामाल, जानें कैसे कमा रहे हैं भारी मुनाफा! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 7 January, 2019 6:20 PM IST

कृषि संकट की स्थिति के बीच देश के किसान नकली कीटनाशक दवाओं की समस्या से भी जूझ रहे हैं. मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक, देश में नकली कीटनाशक विक्रेता बड़े स्तर पर सक्रिय हैं. हर साल औसतन 1,665 नकली कीटनाशक निरीक्षकों द्वारा पकड़े जाते हैं. गत तीन साल में 4,949 नकली कीटनाशक पकड़े गए जिनमें 1,936 मामलों में कार्यवाही की गई. 'कृषि मंत्रालय' के मुताबिक कीटनाशी अधिनियम के अंतर्गत कीटनाशकों की गुणवत्ता परखने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा साझा निगरानी की जाती है.
बता दें कि कीटनाशकों का पंजीकरण मानव, पशु और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव तथा सुरक्षा पर विचार करने के बाद किया जाता है. पंजीकरण समिति कीटनाशकों पर लेबल लगाने के साथ सुरक्षित उपयोग की जानकारी स्पष्ट करने को कहती है ताकि किसान कीटनाशकों का सही ढंग से उपयोग कर सकें

गौरतलब है कि देशभर में इसके लिए कुल 182 प्रयोगशालाएं हैं तथा 10,354 कीटनाशक निरीक्षक नियुक्त हैं, जो बाजार में उपलब्ध सभी ब्रांड के कीटनाशकों के नमूने वर्ष भर में इकठ्ठा करके जाँच करते हैं. अगर इन नमूनों में तय मानकों का उल्लंघन करने और कीटनाशक के नकली होने की हकीकत सामने आती है. ऐसी स्थिति में सरकार द्वारा अभियोग चलाया जाता है. साथ ही कीटनाशी अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जाता है. जबकि कीटनाशक की गुणवत्ता सुनिश्चित नहीं होने पर 'उर्वरक नियंत्रण आदेश' (एफसीओ) के तहत कीटनाशक बनाने वाली कंपनी पर कार्यवाही की जाती है.

रिपोर्ट के मुताबिक, बीते तीन साल में नकली कीटनाशकों के सबसे अधिक मामले उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों से सामने आए हैं. मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2016-18 तक राज्य सरकारों द्वारा 1,92,043 नमूने लिए गए. इनमें से 4,864 नमूने नकली पाए गए और 1,906 के खिलाफ अभियोग शुरू किया गया. इस दौरान केंद्र द्वारा लिए गए नमूनों में 85 नकली पाए गए, जिनमें से 30 के खिलाफ मुकदमा शुरू किया गया है. हालांकि मंत्रालय द्वारा यह स्पष्ट नहीं बताया गया है कि कौन सी कंपनी की नकली कीटनाशक उत्पाद सबसे ज्यादा बाजार में है.

इस मामले में केंद्र का कहना है कि 'यह जानकारी राज्यों द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना में नहीं दी गई बल्कि गुणवत्ता के मामले में चार लाख से भी ज्यादा कीटनाशकों के नमूनों को जांचा गया. पिछले तीन साल में इनमें से 20,902 नमूने अमानक पाए गए जिनमें 13,597 मामलों में कार्यवाही शुरू कर दी गई है.

English Summary: fake pesticides found in these states
Published on: 07 January 2019, 06:21 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now