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Updated on: 13 March, 2020 11:45 AM IST

वैज्ञानिकों का मानना है कि ट्यूबवेल से सिंचाई करने में प्रति एकड़ (एक सेंटीमीटर ऊंचाई तक) तीन लाख लीटर से अधिक का पानी लग जाता है. खेत में अधिक पानी होने से जमीन में उपस्थित पोषक तत्व पानी के साथ नीचे चले जाते हैं, शेष बचे हुए पोषक तत्व खेत की सबसे ऊपरी परत पर जमा हो जाते हैं . अगर इस बात का सीधा मतलब समझा जाए तो खेत में ज्यादा पानी होने पर, फसल को मौजूद पोषक तत्व का 20 प्रतिशत मिल पता है. पोषक तत्व प्रचूर मात्रा में न मिल पाने की वजह से पैदावार प्रभावित होती है. वहीं ड्रिप व स्प्रिंकलर सिस्टम सिंचाई विधि से प्रति एकड़ 12 हजार लीटर पानी लगता है . सीधे तौर पर कहा जाए तो इस सिंचाई  विधि से दो लाख 88 हजार लीटर प्रति एकड़ पानी की बचत होती है. वहीं पोषक तत्व सीधे पौधे की जड़ में जाते हैं.

हरियाणा में अब जो भी सब्जी उत्पादक किसान ड्रिप (टपक) व स्प्रिंकलर सिस्टम से सिंचाई करेंगे, उन्हें सिंचाई पर 85 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाएगी .पहले इस योजना का लाभ प्रदेश के कुछ जिलों में ही मिल रहा था . अब इसका दायरा और बढ़ा दिया गया है.पानी की बचत करने के लिए बागवानी विभाग ने ऐसा फैसला लिया है.अभी यमुनानगर में इस विधि से 100 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई होती है.

ड्रिप सिस्टम बहुत ही फायदेमंद है:डॉ. रमेश

यमुना नगर के जिला बागवानी अधिकारी डॉ. रमेश पाल सैनी ने जानकारी दी है कि ड्रिप व स्प्रिंकलर सिस्टम से लाखों लीटर पानी बचत होती है. उन्होंने कहा है कि आगे भविष्य में पानी की कमी होने वाली है.अभी हमें पानी बचत के लिए कुछ नया करना होगा . ड्रिप व स्प्रिंकलर सिस्टम से सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए यमुना नगर एक समान 85 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी.

English Summary: Exclude tubewells irrigation through this method will get 85 percent subsidy
Published on: 13 March 2020, 11:48 AM IST

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