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Updated on: 11 January, 2022 4:38 PM IST
विधानसभा चुनाव 2022.

उत्तर प्रदेश में चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी जीत का दावा करती नजर आ रही हैं. चुनाव आयोग ने कुछ दिन पहले विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया है. मगर जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में चुनावी गर्मी बढ़ती नजर आ रही है, उसको देख लोग भी हैरान होने लगे हैं.

आपको बता दें कि कोरोना महामारी के बीच हो रहे विधानसाभ चुनाव को मद्देनजर रखते हुए चुनाव आयोग ने कई नियम कानून लागू कर दिए हैं. मगर क्या उसका पालन सभी राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं द्वारा नहीं किया जा रहा है? दरअसल, विधानसभा चुनाव से पहले किसी भी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार-प्रसार बहुत अहम होता है. ऐसे में चुनाव आयोग की तरफ से लगाई गई रोक ने राजनीतिक पार्टियों को एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने का मौका दे दिया है. हाल ही में, बीजेपी की एक बैठक हुई, जिसमें डोर टू डोर कैंपेन( Door-to-Door campaign) अभियान चलाया गया है. इसके बाद प्रदेश की विपक्षी दल इसको मोहरा बनाकर बीजेपी पर निशाना साध रही है.

बेरोजगारी और किसानों की समस्या

वहीं, सपा पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा यह पार्टी घर-घर जा कर कोरोना बाटने का काम कर रही है. जो आज तक किसानों को उनका हक, बेरोजगारों को रोजगार और गरीबी ना मिटा पाई. अब वो हर घर में जाकर कोरोना फैलाने का काम कर रही है.

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पक्ष और विपक्ष के बीच बढ़ता विवाद

सत्ता पार्टी को हटाने के लिए प्रदेश में अलग रणनीति, विपक्षों द्वारा तैयार किया जा रहा है. ऐसे में अखिलेश यादव की पार्टी बीजेपी पर वार करने का एक मौका नहीं छोर रही है.

चुनाव प्रचार के लिए सपा ने बीजेपी को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. ऐसे में देखने वाली बात अब यह है कि बीजेपी इसके पलटवार में क्या जवाब देती है.

English Summary: Election 2022: Political parties taunting each other under the guise of farmers
Published on: 11 January 2022, 04:44 PM IST

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