कृषि प्रधान राज्य पंजाब में भी चुनावी तनाव अब साफ़ तौर पर नजर आने लगा है.पंजाब चुनाव (Punjab Election) के लिए कांग्रेस पार्टी प्रदेश में काफी सक्रीय नजर आ रही है.
हालहीं में पंजाब में देश के प्रधानमंत्री के साथ जो हुआ उसको लेकर पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी इन दिनों सुर्ख़ियों में नजर आ रही है. ऐसे में एक बार फिर कांग्रेस ने प्रदेश में हलचल पैदा कर दिया है. कांग्रेस पार्टी के एक बयान के मुताबिक पार्टी अभी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं करेगी, बल्कि पार्टी ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
पार्टी में चल रहा जातीय समीकरण
हालांकि, कहा जा रहा है कि अभी इस पर अंतिम फैसला लिया जाना बाकी है. मिली ख़बरों के मुताबिक प्रदेश में कई नेताओं का मानना है कि पार्टी को जातीय समीकरण को साधने के लिए सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ना चाहिए. फिलहाल, कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठकें जारी हैं और लगातार इस विषय पर चर्चा चल रहा है.सूत्रों के हवाले से मिली ख़बरों के मुताबिक पार्टी के एक नेता ने बताया कि उन्होंने शीर्ष नेताओं के सामने इच्छा जताई है कि पार्टी को आगामी चुनाव के लिए सामूहिक नेतृत्व में काम करना चाहिए.
रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा लग रहा है कि इस कदम के साथ ही पार्टी वोटों के ध्रुवीकरण से बचना चाहती है. क्योंकि चरणजीत सिंह चन्नीसीएम चेहरा होते हैं, तो दलित वोट हासिल करने की संभावनाएं ज्यादा हैं.
राज्य की आबादी में जाट सिख और हिंदू वोटर की संख्या काफी ज्यादा है. डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा जाट सिख हैं. जबकि, अन्य डिप्टी सीएम ओपी सोनी हिंदू हैं. पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू जाट सिख हैं और सुनील जाखड़ जाट हैं. जाखड़ चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख हैं.
चुनाव से पहले ही पंजाब में कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी विधायक, सांसदों, मंत्रियों और नेताओं के साथ कई बैठकें कर चुकी है. उम्मीदवारों के चयन के लिए दिल्ली में कमेटी की दो बार बैठक हो चुकी है. साथ ही पार्टी ने परिवार के एक ही सदस्य को टिकट देने का फैसला किया है. सिद्धू भी यह साफ कर चुके हैं कि उम्मीदवारों को मेरिट के आधार पर ही टिकट दिया जाएगा.
कांग्रेस एक सेक्युलर पार्टी
सिद्धू के मुताबिक, ‘कांग्रेस सेक्युलर पार्टी है, जिसमें चर्चा और बहस उचित तरीके से होती है. मेरिट को देखते हुए टिकट देने का फैसला किया गया है. जीतने वाले उम्मीदवारों को टिकट दिए जाएंगे.
उम्मीवारों के चयन के लिए पार्टी हर सीट पर सर्वे कर रही है. माना जा रहा है कि सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ना पंजाब कांग्रेस के लिए काफी मुश्किल फैसला है, क्योंकि पार्टी ने सितंबर में चन्नी को सीएम बनाया था. वे पंजाब के पहले दलित सीएम हैं.