Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 31 January, 2019 10:02 AM IST
Mulberry

बिहार राज्य के किसान कैश क्रॉप के तौर पर केला या मक्के की फसल की खेती करते है. वही दूसरी तरफ पुरनिया जिले के सरसी गांव के एक किसान ने इस मिथ को तोड़ते हुए न केवल अपनी आय तीगुनी की बल्कि अन्य किसानों के लिए प्रेरणा के स्रोत भी बने.

दरअसल पुरनिया जिले के सरसी गांव के किसान बेचन पासवान पिछले 14 साल से रेशम की खेती कर रहे है. रेशम के खेती से उनकी आय तो बढ़ी ही बढ़ी बल्कि उनको क्षेत्र में अलग पहचान दिलाई.

लोग बताते है कि बेचन साल 2005 से पहले से ही वे पारंपरिक खेती करते आ रहे हैं जिससे उनकी सालना आय लगभग 40000 के तक ही हो पाती थी जिससे उनकी गरीबी दूर नहीं हो पाती थी. खबरों की माने तो उनकी रेशम की खेती में धीरे-धीरे इजाफा होना चालू हुआ. जिससे उनकी वार्षिक आय 1 लाख के करीब होने लगी.

पहले ये मक्का और धान की खेती करते थे धान की खेती से 10000 हजार और मक्के के खेती से 30000 रूपये मुश्किल से ही बच पाते थे. लेकिन जब से उन्होंने शहतूत की खेती करना चालू किया है  उनकी आय की साथ ही उनकी आर्थिक बजट भी सही हो गया है.

खबरों के अनुसार मंगलवार को पुरनिया जिले के टाउन हाल में मुख्यमंत्री कोशी मलवरी परियोजना एक आयोजन किया गया था. इस आयोजन का उट्घाटन जिला पंचायत अध्यक्षा क्रांति देवी द्वारा किया गया.

इस परियोजना में जिले के लगभग 500 किसानों ने हिस्सा लिया। यहीं पर रेशम उद्योग कि विशेषता बताई गई. इसके आलावा रेशम उद्योग कृषि पर आधारित कुटीर उद्योग, ग्रामीण क्षेत्र में कम लागत पर शीघ्र उत्पादन होने की खूबी व इसमें मिलने वाली आर्थिक सहायता आदि की जानकारी दी गई.

English Summary: Earn three times the profits of mulberry farming
Published on: 31 January 2019, 10:07 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now