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Updated on: 13 December, 2019 12:34 PM IST

अमेरिका की फिनटेक कंपनी, ड्रिप कैपिटल ने बाइंग एजेंट एसोसिएशन (बीएए) के साथ मिलकर लघु और मध्यम क्षेत्र के निर्यातकों को वित्तीय समाधान प्रदान करने के लिए एक समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. बाइंग एजेंट एसोसिएशन सभी क्षेत्रों में निर्यात को प्रोत्साहित करने वाला एनजीओ है. इन क्षेत्रों में एक्सेसरीज, एपरेल, कार्पेट, हैंडीक्राफ्ट्सत, ज्वे.लरी, लेदर, प्रोसेस्ड फूड, टेक्सटाइल और फर्निशिंग और दूसरे लेबर-इंटेसिव सेक्टोर्स शामिल हैं.

भारतीय निर्यात के इकोसिस्टम में शामिल हितधारकों को तकनीक और इनवॉयस फैक्टरिंग की ट्रेनिंग देने के लिए दोनों संस्थाओं ने साझेदारी की है. यह साझेदारी एसएमई निर्यातकों को अपने व्यवसाय की जरूरतों को पूरा करने के लिए वित्तीय समाधान मुहैया कराएगी. लघु और मध्यम क्षेत्र के उपक्रमों को बड़े पैमाने पर सरहद के पार कारोबार को बढ़ावा देने के सबसे प्रमुख कारकों में से एक माना जाता है. एसएमई निर्यातकों की जरूरतों को अक्सर बैंक नजरअंदाज कर देते हैं या जो निर्यातक खुद ही पारंपरिक बैंक सिस्टम तक पहुंच हासिल नहीं कर पाते, वह इन वित्तीय समाधानों से लाभ उठा सकते हैं. ड्रिप और बीएए के क्षेत्र में साझेदारी का उद्देश्य निर्यातकों और बाइंग एजेंट्स को उनके सामने आए अवसरों को बेहतर ढंग से समझाने में मदद करना है.

अगर निर्यात मूल्य के लिहाज से देखा जाए तो 7 बिलियन डॉलर से अधिक के निर्यात के साथ राजस्थान निर्यात के मामले में भारत का 12वां सबसे बड़ा राज्य है. कुल भारतीय निर्यात में राजस्थान का हिस्सा 2.14 फीसदी है. राजस्थान से सबसे ज्यादा तीन उत्पादों, जेम्सर एवं ज्वैनलरी, न्यूक्लियर रिएक्टर और फर्नीचर का निर्यात किया जाता है. अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी वह तीन सबसे बड़े मार्केट हैं, जहां राज्य से प्रॉडक्ट्स का निर्यात किया जाता है.

राजस्थान की राजधानी जयपुर से 1.9 बिलियन डॉलर का निर्यात किया जाता है. जयपुर से निर्यात होने प्रमुख आइटम्स में प्रीशियस/सेमी प्रीशियस स्टोरन्सत, मेटल्सन, ज्वै लरी, फर्नीचर, एपरेल और क्लॉटदिंग एसेरीज, सीमेंट, कार्पेट और अन्या टेक्सोटाइल फ्लोार कवरिंग्स् का निर्यात किया जाता है. अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी उन तीन प्रमुख व्यापपारिक देशों में है, जहां जयपुर से सामान का निर्यात किया जाता है.

ड्रिप कैपिटल के को-फाउंडर और को-सीईओ पुष्कर मुकेवार ने कहा, “निर्यातकों को वित्तीय समाधान मुहैया कराने का पुराना तरीका बेकार हो चुका है. यह प्रणाली छोटे निर्यातकों के साथ भेदभाव करती है. इन निर्यातकों को लोन लेने के लिए प्रशासनिक लालफीताशाही, लोन मिलने में काफी देर लगने और कोलेटरल-टाइम की मांग को पूरा करने में काफी संघर्ष करना पड़ता है. जबकि वह यह समय बिल्कुल भी बर्बाद नहीं कर सकते. ड्रिप कैपिटल का लक्ष्य छोटे निर्यातकों की इन्हीं समस्याओं का समाधान करना है. ड्रिप कैपिटल का ध्यान संपत्ति को गिरवी रखे बिना तकनीकी रूप से सक्षम वित्तीय समाधान मुहैया कराने पर है. हमारी योजना एक ऐसा ऑटोमेटेड प्लेटफॉर्म बनाने की है, जिससे भारत के ही नहीं, दुनिया भर के लघु और मध्यम उपक्रमों के कारोबारियों की वित्तीय जरूरतें पूरी हो सके.

छोटे कारोबारियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए हम उन्हें हर जगह वित्तीय समाधान तक पहुंच मुहैया कराना चाहते हैं.“

एसएमई निर्यातकों को आसानी से वित्तीय समाधान हासिल करने में मदद देने से ड्रिप कैपिटल का देश की पूरी अर्थव्यवस्था और जीडीपी के विकास को बढ़ावा देने का लक्ष्य पूरा होता है. विश्व बैंक जैसी बहुपक्षीय एजेंसियों ने पाया है कि किसी देश की अर्थव्यवस्था तभी फलती-फूलती है, जब एमएसएमई का कारोबार बढ़ता है.

बीएए की गवर्निंग बॉडी के सदस्य मनोज राणा ने कहा, “हालांकि कारोबार के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का सामना अकेले निजी कंपनियां नहीं कर सकतीं. बीएए एक केंद्रीय संस्था है, जो बाइंग एजेंट्स, निर्यातक समुदाय और उपभोक्ताओं को एक प्लेटफॉर्म पर लाती है. संस्था के तौर पर बीएए भारत में निर्यातक बिरादरी में जागरूकता फैलाने और उन्हें उपयोगी टिप्स देने के लिए प्रतिबद्ध है. हाल में इस क्षेत्र में तेज रफ्तार से विकास होने के बावजूद भारत की निर्यात इंडस्ट्री काफी असंगठित है और उनके कारोबारी ज्ञान में काफी अंतर है. आज भी पारंपरिक तरीके से कारोबार करने से निर्यातकों की उत्पादकता और मुनाफे पर उलटा असर पड़ता है.“

बीएए की जनरल सेक्रेटरी सुश्री आंचल कंसल ने कहा, “एक संस्था के तौर पर बीएए कारोबारियों में मौजूदा ज्ञान के अंतर को भरने और बेहतरीन उपायों को बढ़ावा देने के क्षेत्र में विवेकपूर्ण कदम उठाने का प्रयास कर रहा है. इस संदर्भ में कोलेटरल के बगैर निर्यात के लिए कर्ज लेने पर ड्रिप कैपिटल के नॉलेज सेशन एक सहयोग से भरपूर कदम है. इन नॉलेज सेशन से निर्यातक यह सीख पाएंगे कि वह फैक्टरिंग एजेंसी का लाभ उठाते हुए और जोखिम को कम से कम रखते हुए वह अपना राजस्व और नकदी का प्रवाह किस तरह बढ़ाएं?“

इस समझौता ज्ञापन के प्रावधानों के अनुसार, ड्रिप कैपिटल के साथ साझेदारी में बीएए देश भर में निर्यातक समुदाय में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए नॉलेज सेशन आयोजित करेगा. इस समझौते पर बीएए की जनरल सेक्रेटरी सुश्री आंचल कंसल और ड्रिप कैपिटल के को-फाउंडर और को-सीईओ पुष्क र मुकेवार ने हस्ताक्षर किए.

अब तक ड्रिप कैपिटल ने भारत से दुनिया भर के देशों को होने वाले निर्यात के लिए 500 मिलियन डॉलर का फाइनेंस मुहैया कराया है. देश भर के 60 से ज्यादा शहरों में ड्रिप कैपिटल लोगों की मदद कर रही है. बीएए के साथ होने वाली साझेदारी से ड्रिप को ज्यादा से ज्यादा संख्या में एसएमई निर्यातकों तक पहुंचने में मदद मिलेगी, जिन्हें अपने कारोबार को बढ़ावा देने के लिए वर्किंग कैपिटल की जरूरत है. इससे इन निर्यातकों के कारोबार के आर्थिक विकास का माहौल तैयार होगा.   

ड्रिप कैपिटल के विषय में : ड्रिप कैपिटल अमेरिका स्थित एक ट्रेड फाइनेंस कंपनी है, जो तत्काल अनुमोदन और न्यूनतम दस्तावेजीकरण के साथ एसएमई निर्यातकों को कोलेटरल-फ्री पोस्ट-शिपमेंट फाइनेंस उपलब्ध कराती है. विभिन्न उभरते हुए बाजारों में एसएमई निर्यातकों के लिए वर्किंग कैपिटल के अंतराल को पाटने के फलसफे के साथ पुष्कर मुकेवार और नील कोठारी ने कंपनी की स्थापना की थी.

बीएए के विषय में : बीएए एक एनजीओ है, जिसका औपचारिक रूप से गठन 14 जुलाई 2016 के किया गया था. यह संस्था सभी क्षेत्रों के बाइंग एजेंट्स/हाउसेज और लाइजेन हाउसेज का प्रतिनिधित्व करती है.इन क्षेत्रों में एक्सेसरीज, एपरेल, कार्पेट, हैंडीक्राफ्ट्सत,ज्वै लरी, लेदर, प्रोसेस्ड फूड, टेक्सटाइल और फर्निशिंग शामिल है. इसके अलावा यह दूसरे श्रम प्रधान क्षेत्रों का भी प्रतिनिधित्व करता है. बीएए का लक्ष्य एक ऐसी केंद्रीय संस्था के रूप में कार्य करने का है, जो एक ही प्लेटफॉर्म पर एक्सपोर्ट इंडस्ट्री की सभी जरूरतों को पूरा कर सके और जिससे बाइंग एजेंट्स, निर्यातक समुदाय के साथ उपभोक्ताओं को भी लाभ हो.

English Summary: Drip Capital partners with BAA to bring alternative financing solutions to Indian export community
Published on: 13 December 2019, 12:38 PM IST

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