डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा में चतुर्थ दीक्षांत समारोह का भव्य आयोजन किया गया. इस अवसर पर माननीय केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. समारोह में बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर, बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी, सांसद शांभवी, डेयर के सचिव डॉ. एम. एल. जाट और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रेम लाल गौतम सहित अनेक गणमान्य अतिथियों ने शिरकत की.
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पुण्यदत्त सुविमलेंद्र पांडेय ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने 882 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की, जिनमें 37 छात्रों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया. कुलपति ने कहा, ये विद्यार्थी न केवल विश्वविद्यालय की शान हैं, बल्कि भारतीय कृषि और ग्रामीण विकास के भविष्य के चिराग हैं.
कृषि क्षेत्र में विश्वविद्यालय की उपलब्धियां
डॉ. पांडेय ने विश्वविद्यालय की प्रगति को रेखांकित करते हुए बताया कि पुसा, जो वैदिक काल से कृषि का केंद्र रहा है, आज भी कृषि शिक्षा और अनुसंधान की जन्मस्थली है. विश्वविद्यालय ने 8 महाविद्यालयों, 14 अनुसंधान केंद्रों, और 16 कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से 10 स्नातक, 28 स्नातकोत्तर, और 16 पीएचडी कार्यक्रम संचालित किए हैं. इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय ने अरहर की उन्नत किस्में राजेंद्र अरहर-1 और राजेंद्र अरहर-2 तथा सरसों की राजेंद्र सुफलम किस्म विकसित की, जो देशभर में लोकप्रिय हो रही हैं.
नवाचार और प्राकृतिक खेती पर जोर
विश्वविद्यालय ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए स्कूल ऑफ नेचुरल फार्मिंग की स्थापना की और सत्र 2023-24 से बी.एससी. (ऑनर्स) नेचुरल फार्मिंग कोर्स शुरू किया. इसके साथ ही, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर मिलेट्स की स्थापना और मखाना अनुसंधान केंद्र की शुरुआत ने विश्वविद्यालय को कृषि नवाचार में अग्रणी बनाया है.
किसानों के लिए तकनीकी प्रगति
विश्वविद्यालय ने डिजिटल तकनीक को अपनाते हुए 5G लैब की स्थापना की, जिसका उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री द्वारा किया गया. इसके अलावा, 350 ड्रोन पायलट्स को प्रशिक्षित किया गया, जिनमें 35 महिला ड्रोन पायलट शामिल हैं. मशरूम उत्पादन में बिहार को देश का अग्रणी राज्य बनाने में विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिससे ग्रामीण महिलाओं में उद्यमिता को बढ़ावा मिला.
दीक्षारंभ और गुरुदक्षता: अनूठी पहल
विश्वविद्यालय ने दीक्षारंभ कार्यक्रम शुरू किया, जिसके तहत नवागंतुक छात्रों के समग्र विकास के लिए योग, खेल, कला, और सॉफ्ट स्किल्स पर जोर दिया जाता है. साथ ही, 'गुरुदक्षता' फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम के माध्यम से नए शिक्षकों को प्रभावी और प्रेरक नेतृत्वकर्ता बनाने का प्रयास किया जा रहा है.
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय के उत्पाद जैसे शहद, केले के तने से रेशा, मशरूम उत्पाद, और बायो-कम्पोस्ट ने 'आत्मनिर्भर भारत' और 'वोकल फॉर लोकल' योजनाओं को बल प्रदान किया है. हाल ही में शुरू किए गए राष्ट्रीय गोपाल मिशन के तहत मोतिहारी परिसर में पशु प्रजनन उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना भी एक महत्वपूर्ण कदम है.
राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता
विश्वविद्यालय ने 2024 में Indian Institutional Ranking Framework (IIRF) में केंद्रीय विश्वविद्यालयों की श्रेणी में 10वां स्थान हासिल किया. इसके अतिरिक्त, स्कूल ऑफ एग्री बिजनेस एंड रूरल मैनेजमेंट के 100% विद्यार्थियों का कैंपस प्लेसमेंट हुआ, और 200 से अधिक छात्रों ने राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में सफलता प्राप्त की.
मुख्य अतिथि का संदेश
मुख्य अतिथि शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की और कहा कि पूसा की यह धरती भारतीय कृषि के लिए एक प्रेरणा स्रोत है. उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने ज्ञान का उपयोग किसानों और ग्रामीण भारत के उत्थान के लिए करें.
समारोह का समापन कुलपति के आभार प्रदर्शन और जय हिंद, जय भारत के उद्घोष के साथ हुआ. यह आयोजन विश्वविद्यालय के लिए एक ऐतिहासिक क्षण रहा, जो कृषि शिक्षा, अनुसंधान, और नवाचार के क्षेत्र में इसके गौरवपूर्ण योगदान को रेखांकित करता है.