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Updated on: 21 January, 2024 10:30 AM IST
डॉ. राजाराम त्रिपाठी को मिला ‘रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया’ अवार्ड

MFOI Awards 2023: कहते हैं कि अगर कुछ कर गुजरने की चाह हो तो सफलता आपके कदम चूम ही लेती है. कुछ ऐसी ही कहानी है छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले से संबंध रखने वाले डॉ. राजाराम त्रिपाठी की, जो पेशे से एक किसान हैं. इन्हें हरित-योद्धा, कृषि-ऋषि, हर्बल-किंग, फादर ऑफ सफेद मूसली आदि की उपाधियों से नवाजा जाता है. इन्होंने किसानी के जरिए न सिर्फ अपनी जिंदगी बदली, बल्कि कई अन्य किसानों को भी आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है. अपनी मेहनत की बदौलत ही आज डॉ. राजाराम त्रिपाठी इस मुकाम पर पहुंच पाए हैं, जब वह सालाना करोड़ों का टर्नओवर जनरेट कर रहे हैं.

हाल में ही डॉ त्रिपाठी ने 40 लाख रुपए में तैयार होने वाले 1-एक एकड़ के ‘पाली हाउस’ का सस्ता टिकाऊ और बेहद सफल नैसर्गिक विकल्प एक लाख साठ हजार रुपये में ‘नेचुरल ग्रीन हाउस’ तैयार किया है. सोने में सुहागा तो यह है कि यह प्रतिवर्ष लगभग 10 लाख रुपए प्रति एकड़ तक की आमदनी भी देता है.

देश के लिए खुशी का विषय है कि डॉ. त्रिपाठी के इस सफल मॉडल को अंतरराष्ट्रीय पेटेंट हेतु भी स्वीकार कर लिया गया है. इनकी इन उपलब्धियों के लिए कुछ महीने पहले ही देश के केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा इन्हें देश के सर्वश्रेष्ठ किसान (Best Farmer Award-23) का अवार्ड भी प्रदान किया है.

यही वजह है कि कृषि जागरण आयोजित और महिंद्रा ट्रैक्टर्स द्वारा प्रायोजित ‘मिलेनियर फार्मर ऑफ इंडिया-2023 अवार्ड्स शो में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला द्वारा डॉ. राजाराम त्रिपाठी को ‘रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया’ का अवार्ड दिया गया.

इस दौरान केंद्रीय पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि देश के किसान अब समृद्धि की राह पर चल पड़े हैं. इन सफल प्रगतिशील करोड़पति किसानों के बारे में जानकर हम सबको बड़ी प्रसन्नता हुई है. डॉ राजाराम त्रिपाठी जैसे उद्यमी किसान देश के किसानों के लिए रोल मॉडल हैं.

उन्होंने आगे कहा, "मिलेनियर फार्मर 2023 के इस प्लेटफार्म के लिए मैं एम.सी. डोमनिक और कृषि को बधाई देता हूं. यह नया भारत है और इस नए भारत के किसान क्या कर रहे हैं, कृषि जागरण ने देश-दुनिया को इस बात से अवगत कराया है. कृषि में आगे बढ़ने का यह सही समय है और खासकर युवाओं के लिए इस क्षेत्र में काफी अच्छे अवसर हैं."

इस अवसर पर कृषि जागरण के संस्थापक और प्रधान संपादक एम.सी. डोमिनिक ने कहा, "मुझे ये घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि ब्राजील एम्बेसडर की तरफ से ‘रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया’ और वूमेन फार्मर कैटेगरी में एक-एक टूर टिकट दी गई है. जिसमें दोनों किसानों के लिए ब्राजील आना-जाना, खाना और रहना आदि सब कुछ फ्री रहेगा."

दरअसल, एमएफओआई अवॉर्ड-2023 के मंच पर ब्राजील सरकार के सौजन्य से ब्राजील के एम्बेसडर केनेथ फेलिक्स हजिंस्की दा नोब्रेगा द्वारा ‘रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया’ कैटेगरी में डॉ. राजाराम त्रिपाठी को सात दिनों के लिए ब्राजील टूर का टिकट भी दिया गया.

‘रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया’ अवार्ड मिलने के बाद डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि, “वह अपना यह अवार्ड ‘मां दंतेश्वरी हर्बल समूह’ के सभी साथियों तथा बस्तर के अपने आदिवासी भाइयों को अर्पित करते हैं. वे अपने समूह की आमदनी का पूरा हिस्सा बस्तर की आदिवासी भाइयों के विकास में ही खर्च कर रहे हैं और आगे इनके विकास के लिए एक ट्रस्ट बनाकर अपनी सारी खेती को उसके साथ जोड़कर आदिवासी भाइयों की बेहतरी के लिए अपनी आखिरी सांस तक कार्य करते रहेंगे.“

उन्होंने आगे कहा, “देखिए कृषि के क्षेत्र में बहुत निराशा छाई हुई है. ऐसे में देश के सफल किसानों को ढूढ कर लाना और उन्हें सम्मानित करने से किसानों में भी आशा का संचार होगा, और लाभकारी खेती की ओर ज्यादा से किसान आगे बढ़ेंगे. मैं ‘कृषि जागरण’ और एम.सी. डोमनिक जी को किसानों के लिए शुरू किए गए पहल एमएफओआई अवार्ड्स के लिए धन्यवाद देता हूं. बहुत अच्छा आयोजन है. इस तरह के आयोजन कृषि क्षेत्र में बेहद जरुरी हैं. आप आए दिन खेल-कूद में दुनियाभर के अवार्ड देखते हैं. लेकिन, खेती में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जो लगभग 70 प्रतिशत लोग शामिल हैं, जो आपका सुबह का ब्रेकफास्ट, दोपहर का लंच और शाम का डिनर देते हैं. उनके लिए ऐसे अवार्ड होना जरुरी है. वास्तव में मुझे आयोजन में मुझे बहुत अच्छा लगा.“ 

बी.एससी (गणित), एलएलबी के साथ हिंदी-साहित्य, अंग्रेजी-साहित्य, इतिहास, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान सहित पांच विषयों में एम. ए. तथा डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर चुके डॉ. त्रिपाठी ने कृषि जागरण से बातचीत में बताया कि वह और उनका परिवार पिछले कई दशकों से खेती कर रहा है. जिसमें वह मुख्य तौर औषधीय फसलों की खेती करते हैं. उन्होंने बताया कि वह अपने 6 भाइयों और पिताजी के साथ मिलकर औषधीय फसलों की खेती करते हैं और सालाना करोड़ों का टर्नओवर जनरेट करते हैं.

डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि उनके दादा भी एक किसान थे और खेती में कड़ी मेहनत किया करते थे. लेकिन,उन्होंने खेती में हमेशा घाटा देखा. जिसके चलते उनके मन में हमेशा से एक तड़प थी कि आखिर किसानी से अच्छा मुनाफा क्यों नहीं हो सकता. क्या किसान लखपति-करोड़पति नहीं बन सकते? इन्हीं सब सवालों ने उन्हें खेती करने के लिए प्रेरित किया और उन्होंने नौकरी छोड़ खेती की राह अपनाई.

उन्होंने बताया कि खेती में आने से पहले उन्होंने कई नौकरियां की है. पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने कॉलेज में बतौर प्रोफेसर और फिर बाद में ग्रामीण बैंक में मैनेजर के पद पर अपनी सेवाएं दी. लेकिन, खेती के प्रति उनका हमेशा से गहरा लगाव था. उन्होंने बताया कि उनके दादा ने 5 एकड़ जमीन खरीदकर खेती की शुरुआत की थी. तभी से उनका पूरा परिवार खेती करता आ रहा है.

उन्होंने बताया कि वैसे तो वह 1100 एकड़ जमीन पर नीजी खेती करते हैं. लेकिन, जब उन्होंने विदेशों की यात्रा की तो उन्होंने पाया कि बाहरी देशों में खेती एक बड़ा व्यवसाय है और वहां किसान 10-10 हजार एकड़ पर खेती कर रहे हैं. जिसके बाद उन्हें एक बात समझ आई की उनकी मंजिल अभी बहुत दूर है और उन्हें काफी मेहनत करनी होगी. जिसके बाद उन्होंने क्षेत्र के अन्य किसानों को भी अपने साथ जोड़ा और आज सभी किसान मिलकर लगभग एक लाख एकड़ पर खेती कर रहे हैं, जो अपने आप में ही एक बड़ी बात है.

उन्होंने बताया कि वह मुख्य तौर पर सफेद मूसली, अश्वगंधा, कालमेघ, इंसुलिन ट्री, स्टीविया, ऑस्ट्रेलियन टीक, पिपली, हल्दी, काली मिर्च समेत 22 जड़ी बूटियों की खेती करते हैं. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ समय में औषधीय फसलों की मांग काफी बढ़ी है. खासकर कोरोना काल में कई औषधीय पौधे काफी डिमांड में थे. उन्होंने बताया कि वह सीजन के हिसाब से इन औषधीय फसलों की खेती करते हैं.

डॉ. राजाराम त्रिपाठी के अनुसार, खेती के शुरुआती दौर में उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. खेती के लिए उन्होंने बैंक से लाखों रुपये का लोन ले रखा था. ज्यादा उपज और कम रेट के चलते कई बार उन्हें घाटा भी झेलना पड़ा. जिस वजह से उन्हें काफी दिक्कतें आईं. लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी. कई बार असफल होने के बाद भी उन्होंने अपना हौसल बनाए रखा. वह लगातार अपनी औषधीय फसलों के लिए मार्केट की तलाश किया करते थे. उन्होंने धीरे-धीरे अपनी खुद की मार्केट बनाई और आज उनकी औषधीय फसलें देश के अलावा विदेशों तक में जा रही हैं. उन्होंने बताया कि विदेशों में उनकी औषधीय फसलों की खूब डिमांड है.

डॉ. त्रिपाठी के पास है खुद का हेलीकॉप्टर 

डॉ. राजाराम त्रिपाठी एक और वजह से भी प्रसिद्ध हैं. दरअसल, वह देश के पहले ऐसे किसान हैं जिनके पास खुद का हेलीकॉप्टर है. उनके पास R-44 मॉडल की 4 सीटर हेलीकॉप्टर है, जिसकी कीमत लगभग 7 करोड़ रुपये है.

उन्होंने बताया कि औषधीय फसलों पर लागत फसल के हिसाब से आती है. जो 20 हजार रुपये से लेकर 2.5 लाख लाख एकड़ तक जाती है. वही वह सालाना 25 करोड़ रुपये का टर्नओवर जनरेट करते हैं. अगर उनके साथ जुड़े किसानों की बात की जाए,  किसानों का पूरा समूह करीब 2.5 हजार करोड़ रुपये का टर्नओवर हर साल जनरेट कर रहा है.

डॉ. त्रिपाठी की कुछ विशेष उपलब्धियां जो बस्तर छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरे देश को गौरवान्वित करती हैं:-

  • डॉ. त्रिपाठी के नेतृत्व में “मां दंतेश्वरी हर्बल” को आज से 22 साल पूर्व, देश के पहले “सर्टिफाइड आर्गेनिक स्पाइस एंड हर्ब्स फार्मिंग का अंतरराष्ट्रीय प्रमाण पत्र” हासिल करने का गौरव प्राप्त है.

  • दो दशकों से अपने मसालों तथा हर्बल उत्पादों का यूरोप, अमेरिका आदि देशों में निर्यात में विशिष्ट गुणवत्ता नियंत्रण हेतु ‘राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड’ भारत सरकार द्वारा “बेस्ट एक्सपोर्टर का अवार्ड” भी मिल चुका है.

  • डॉ. त्रिपाठी दो दर्जन से ज्यादा देशों की यात्रा करके वहां की कृषि एवं विपणन पद्धति का अध्ययन कर चुके हैं.

  • डॉ. त्रिपाठी ने भारत सरकार के सर्वोच्च शोध संस्थान CSIR-IHBT के साथ करार कर जीरो कैलोरी वाली ‘स्टीविया’ की बिना कड़वाहट तथा ज्यादा मिठास वाली प्रजाति के विकास करने और इसकी पत्तियों से शक्कर से 250 गुना मीठी स्टीविया की ‘जीरो कैलोरी शक्कर’ बनाने का करार किया है.

  • डॉ. त्रिपाठी ने जैविक पद्धति से देश के सभी भागों में विशेष रूप से गर्म क्षेत्रों में भी न्यूनतम देखभाल में भी परंपरागत प्रजातियों से ज्यादा उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता देने वाली काली मिर्च की नई प्रजाति मां दंतेश्वरी काली मिर्च-16, पीपली की नई प्रजाति- मां दंतेश्वरी पीपली -16 एवं स्टीविया की नई प्रजाति- मां दंतेश्वरी स्टीविया-16 आदि नई प्रजातियों का विकास किया है.

  • डॉ. त्रिपाठी देश के पहले ऐसे किसान हैं, जिन्हें देश के सर्वश्रेष्ठ किसान होने का अवार्ड अब तक चार बार, भारत सरकार के अलग-अलग कृषि मंत्रियों के हाथों मिल चुका है.


खेत बने तीरथ

देश के सबसे अमीर किसान डॉ. राजाराम से खेती में सफलता की गुरु सीखने के लिए प्रतिदिन   किसान उनके खेतों में आते हैं. इनके खेत किसानों के लिए तीर्थ से कम नहीं है. डॉ. त्रिपाठी तथा उनके संस्था के सदस्य सभी किसानों निशुल्क मार्गदर्शन तथा अपनी कृषि पद्धति का निःशुल्क प्रशिक्षण देते हैं. छोटे आदिवासी किसानों को अब तक लाखों पौधे निशुल्क बांट चुके हैं.

उन्होंने कृषि जागरण के माध्यम से किसानों को संदेश दिया कि वे जैविक खेती की ओर बढ़ें और रसायनों पर अपनी निर्भरता छोड़ें. उन्होंने कहा कि अगर हम अच्छा खाएंगे तभी स्वस्थ रहेंगे. इसलिए जहर मुक्त और लाभदायक खेती करें. बाजार आधारित खेती करें, ताकि लोगों के साथ-साथ किसानों का खुद का भी फायदा हो.

English Summary: Dr Rajaram Tripathi received Richest Farmer of India award at MFOI Awards 2023 won ticket for Brazil tour
Published on: 21 January 2024, 10:32 AM IST

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