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Updated on: 27 September, 2024 6:02 PM IST
Dr. Pranjib Kumar Chakrabarty

डॉ. प्रांजीब कुमार चक्रवर्ती के एक दशक लंबे अभियान का भारतीय फसलों पर ऑफ-लेबल कीटनाशक उपयोग के खिलाफ बड़ा असर दिखने लगा है, जिससे कृषि मंत्रालय ने कीटनाशकों के लिए फसल समूह-आधारित दृष्टिकोण अपनाने का फैसला किया है. उनके इस प्रयास से सुरक्षित खाद्य उत्पादन और बेहतर कृषि पद्धतियों का रास्ता खुल रहा है.

डॉ. चक्रवर्ती ने पिछले 10 सालों से भारतीय फसलों पर हो रहे भारी मात्रा में ऑफ-लेबल कीटनाशक उपयोग को रोकने के लिए लगातार प्रयास किया है. यह समस्या भारत की लगभग 85% फसलों को प्रभावित कर रही थी. उनकी कोशिशें अब रंग ला रही हैं, जिससे भारतीय कृषि में सुधार और सुरक्षित खाद्य उत्पादन का मार्ग प्रशस्त हो रहा है.

उनकी सफलता का श्रेय  IR4, PMC, GMUF, CCPR जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ किए गए व्यापक सहयोग को जाता है, साथ ही घरेलू संस्थाओं जैसे ICAR, CIBRC, MoA, FSSAI और उद्योग जगत के नेताओं के साथ हुई लगातार चर्चा ने भी इस अभियान में बड़ी भूमिका निभाई है. उनके सहयोगियों जैसे आईसीएआर के डॉ. केके शर्मा, प्रधान वैज्ञानिक (एसडब्ल्यूसीई), डॉ. वंदना त्रिपाठी, डॉ. टीपी राजेंद्रन, डॉ. दुबे, डॉ. पूनम जसरोतिया, सहायक महानिदेशक (पौधा संरक्षण और जैव सुरक्षा), और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों जैसे डॉ. डैन कुंकल, डॉ. कार्लोस, डॉ. जेपी सिंह और डॉ. अन्ना गोरे ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

कृषि मंत्रालय ने अब फसलों के लिए अधिकतम अवशेष सीमा (एमआरएल) और अच्छे कृषि अभ्यास (जीएपी) नियमों को समान रूप से लागू करने के लिए फसल समूह-आधारित दृष्टिकोण को अपनाने की मंशा जताई है. डॉ. चक्रवर्ती और उनकी टीम के नेतृत्व में यह कदम उठाया गया है, जिससे भारत की कृषि पद्धतियों में बड़ा सुधार होगा और वैज्ञानिक रूप से समर्थित दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित होगा.

यह दृष्टिकोण फसल सुरक्षा और उत्पादकता में सुधार करेगा, खासकर उन कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करके जो छोटे उपयोग के कार्यक्रमों पर आधारित हैं—जो भारत की विशाल फसल विविधता में कीटों से होने वाले नुकसान को रोकने में मदद करेंगे. भारत की 554 फसलों में से 85% से अधिक फसलें, जिनमें बागवानी फसलें, मसाले और जड़ी-बूटियां शामिल हैं, छोटी फसलें मानी जाती हैं, और इन पर कीटनाशक उपयोग को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए डेटा-संचालित प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है.

Dr. Pranjib Kumar Chakrabarty, Dr. Himanshu Pathak along with other experts in meeting

डॉ. चक्रवर्ती ने बताया कि यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, लेकिन उनका काम अभी खत्म नहीं हुआ है. वह यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत हैं कि सदस्य फसलों के लिए डेटा आवश्यकताओं को अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप प्रोत्साहन मिल सके. इसके बिना, उद्योग छोटी फसलों पर कीटनाशकों का पंजीकरण करने में रुचि नहीं दिखाएंगे क्योंकि पंजीकरण की लागत बहुत अधिक होती है.

छोटी फसलों पर कीटनाशकों के उपयोग को लेकर कोडेक्स और आईआर4 (यू.एस. आधारित प्रोजेक्ट) द्वारा लागू किया गया यह कार्यक्रम एक मॉडल है, जिसे भारत अपने कृषि परिदृश्य के अनुसार ढालने की योजना बना रहा है. डॉ. चक्रवर्ती एक देश-विशिष्ट दृष्टिकोण अपनाने के पक्षधर हैं, और आईसीएआर और ग्लोबल माइनर यूज़ फाउंडेशन (जीएमयूएफ), यूएसए के बीच संभावित समझौता ज्ञापन के माध्यम से भारत अपनी कीटनाशक उपयोग नीतियों को अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ संरेखित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.

Dr. Pranjib Kumar Chakrabarty

डॉ. चक्रवर्ती के लिए यह उपलब्धि उनके जीवन की सबसे बड़ी संतोषजनक और राहत देने वाली सफलता है. उनका यह कार्य भारत की कृषि में एक स्थायी प्रभाव डालेगा, जो सुरक्षित खाद्य उत्पादन और एक बेहतर पर्यावरण की दिशा में योगदान करेगा. ऑफ-लेबल कीटनाशक उपयोग के खिलाफ उनका यह अभियान सहयोग, विज्ञान समर्थित विनियमन और भारत में कृषि मानकों को बेहतर बनाने की प्रतिबद्धता के महत्व को उजागर करता है. हालांकि काफी कुछ हासिल किया जा चुका है, डॉ. चक्रवर्ती की कीटनाशक नियमों के सामंजस्य के लिए लड़ाई अभी भी जारी है.

उनका ध्यान इस बात पर है कि उद्योगों को फसल समूह-आधारित एमआरएल (अधिकतम अवशेष सीमा) प्रणाली अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए, जिससे भारत की फसलों की सुरक्षा और उत्पादकता में सुधार हो सके.

Dr. Pranjib Kumar Chakrabarty

डॉ. चक्रवर्ती के निरंतर प्रयास रंग ला रहे हैं. कृषि मंत्रालय ने औपचारिक रूप से फसल समूह-आधारित दृष्टिकोण को अपनाने की मंशा जाहिर की है, ताकि कीटनाशकों के एमआरएल (अधिकतम अवशेष सीमा) और जीएपी (गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिस) नियमों में सामंजस्य स्थापित किया जा सके.

English Summary: Dr. Pranjib Kumar Chakrabarty’s Decade-Long Campaign Against Off-Label Pesticide Use in Indian Crops Yields Breakthrough
Published on: 27 September 2024, 06:09 PM IST

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