भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के गुरुग्राम के शिकोहपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के पौध संरक्षण विशेषज्ञ डॉ. भरत सिंह को कर्नाटक के मैसूर विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान वर्ष 2025 का उत्कृष्ट कीट वैज्ञानिक अवार्ड, पूर्व वाइस चाइंसलर प्रोफ़ेसर (डॉ) ए. पी. गर्ग शोभित डीम्द यूनिवर्सिटी, मेरठ के द्वारा, प्रोफ़ेसर शिवनंदा मूर्थी, प्रो. जनार्धना, प्रो. जीगिंदर सिंह, डॉ. के. एन. अमरूथेश प्रोफ़ेसर एवं निदेशक वॉटनी डिपार्टमेंट ओफ़ मैसूर यूनिवर्सिटी की उपस्थिती में प्रदान किया गया। यह अवॉर्ड उनके गत दशकों में किये गये फसलों में जैविक कीट व समेकित कीट प्रबंधन के प्रचार प्रसार के सफलतम प्रयोग तथा अनुसंधान पर आधारित उत्कृष्ट कार्य हेतु प्रदान किया गया।
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कर्नाटक के मैसूर विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का किया गया आयोजन
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डॉ. भरतसिंह को प्रदान गया वर्ष 2025 का “उत्कृष्ट कीट वैज्ञानिक अवॉर्ड”
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जैविक कीट नियंत्रण, समन्वित कीट प्रबंधन तथा अनुसंधान के क्षेत्र में किया विशेष सराहनीय कार्य
यह इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस “एडवांस इन एग्रीकल्चरल बायोलोजिकल एंड बायोडायवर्सिटी कॉन्सर्वेशन फ़ोर सस्टेनेबल डवलपमेंट” विषय पर मैसूर विश्वविद्यालय (कर्नाटक), यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चरल साइन्सेस, बंगलुरु, एग्रीकल्चरल टेक्नॉलोजी डवलपनेंट सोसायटी,
स्वेरीगिजा इजिप्त, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, कोलकाता, हेमवती नंदन बहुगुणा यूनिवर्सिटी गढ़वाल (उत्तराखंड) इत्यादि संस्थाओं के द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया, जिसमें नेपाल, बंगलादेश, उज़बेकिस्तान, इटली तथा भारत देश के लगभग सभी राज्यों के 500 से अधिक वैज्ञानिकों, प्राध्यापकों, शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों व अन्य प्रतिभागियों ने भाग लिया।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के गुरुग्राम के शिकोहपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र पर कार्यरत डॉ. भरत सिंह हमेशा अपने अध्ययन और कार्य के प्रति प्रतिभाशाली रहे, उनका जन्म पूर्वतः ज़िला अलीगढ़ जो कि वर्तमान में हाथरस के गाँव जिरौली (सासनी) में वर्ष 1967 में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा, ग्रामीण अंचल से हुयी। डॉ. सिंह ने बी.एस. सी. कृषि (ऑनर्स) की डिग्री आगरा विश्वविद्यालय से हासिल की एवं एम. एस. सी. कीट विज्ञान, में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से प्राप्त की, तथा पी. एच. डी. की उपाधी एमिटी यूनिवर्सिटी, नॉएडा, (उ. प्र.) पूर्ण की।
डॉ. भरतसिंह ने सरकारी सेवा के क्षेत्र में प्रथमत: भारत सरकार के उपक्रम “केंद्रिय भंडारण निगम” खंडवा (मध्य प्रदेश) में वर्ष 1991–1992 के दौरान कार्य किया, तत्पश्चात कृषि एवं किसान मंत्रालय (भारत सरकार) के केंद्रीय एकीक्रत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, गंगटोक (सिक्किम) में 6 वर्ष तक जो कि 1992 से 1998 तक समन्वित कीट प्रबंधन के क्षेत्र में विशेष महत्वपूर्ण कार्य किया। डॉ. सिंह वर्ष 1999 से लगातार पूसा संस्थान, नई दिल्ली के गुरुग्राम जनपद के शिकोहपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में कीट वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञ (पौध संरक्षण) के पद पर कार्यरत हैं जहां पर उन्होंने फसल उत्पादन प्रणाली के अंतर्गत समन्वित कीट प्रबंधन तथा कृषक प्रशिक्षणों की दिशा में सराहनीय कार्य किये हैं।
डॉ. भरतसिंह को मिली विशेष ख्याति
डॉ. भरत सिंह, कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं के रोजगार सृजन के क्षेत्र में पौध संरक्षण सेवायें, मशरूम उत्पादन, वैज्ञानिक पद्धति से मधुमक्खी पालन जैविक तथा प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में हमेशा कृषकों व युवाओं को प्रशिक्षित करते रहे हैं। उनके द्वारा गत 27 वर्षों के दौरान जिला गुरुग्राम एवं आसपास के क्षेत्र में कृषकों के लिए 118 व्यवसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसके तहत 1250 कृषक एवं युवा लाभान्वित हुए। फसल सुरक्षा के लिए मोबाइल सलाह सेवायें व फार्म परीक्षणों के माध्यम से लगभग 3000 से अधिक कृषकों को वैज्ञानिक जानकारी प्रदान की गयी।
कृषि विभाग, गुरुग्राम एवं आसपास के क्षेत्रों में मौजूद एनजीओ इत्यादि विभागों द्वारा कृषकों के हितार्थ संचालित कार्यक्रमों में 1275 व्याख्यान प्रस्तुत किए जिससे 7500 से अधिक कृषकों को कृषि से सम्बंधित नवीनतम पद्धति पर आधारित जानकारी प्रदान की गयी। डॉ. सिंह के द्वारा विभिन्न फसलों के कीट व रोग प्रबंधन के क्षेत्र में 16 शोध पत्र तथा 12 शोध शारांश प्रकाशित किये गये हैं, इसके साथ ही 22 प्रचार पुस्तिका (पैम्फ़्लेट्स) 8 किताबें एवं प्रशिक्षण पुस्तिका, 112 प्रचलित लेख तथा विभिन्न फसलों के कीट व रोग प्रबंधन पर आधारित 362 की संख्या में नियमित लेख जो कि मासिक, त्रिमासिक व साप्ताहिक प्रसिद्ध कृषि पत्रिकाओं तथा कृषि समाचार पत्रों व कृषि खबरों में प्रकाशित कर एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है।
डॉ. भरत सिंह ने उत्कृष्ट कीट वैज्ञानिक अवॉर्ड की उपलब्धि पर पूसा संस्थान नई दिल्ली के निदेशक, संयुक्त निदेशक (प्रसार) निदेशक, आईसीएआर-अटारी जोधपुर (राजस्थान) एवं कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार सिंह तथा सहयोगी वैज्ञानिकों, केवीके के समस्त स्टाफ, कृषि सूचनाओं के प्रचार प्रसार में शामिल समस्त प्रिंट मीडिया एवं और ज़िले के सभी कृषक बंधुओं के प्रति धन्यवाद व आभार प्रकट किया है।