KJ Chaupal: अगर किसानों को कृषि से संबंधित समसामयिक जानकारी दी जाए, तो कृषि क्षेत्र को और बढ़ावा दिया जा सकता है. इसी के मद्देनजर विगत 27 वर्षों से कृषि क्षेत्र में निर्बाध रूप से कार्यरत कृषि जागरण कंपनी किसानों के लिए एक समयांतराल पर ‘केजे चौपाल’ का आयोजन करती रहती है. इसमें कृषि क्षेत्र से जुड़ीं कंपनियों के गणमान्य लोग और प्रगतिशील किसान बतौर मेहमान आकर अपने कार्यों, अनुभवों और नवीनतम तकनीकों को साझा करते हैं.
इसी कड़ी में सोमवार (15 अप्रैल) को आयुरवेट रिसर्च फाउंडेशन के सीईओ और क्यूसीएस हर्बल्स और अल्टरनेट ग्रीन एनर्जी सॉल्यूशंस के निदेशक डॉ. अनूप कालरा और आयुरवेट रिसर्च फाउंडेशन के प्रबंध ट्रस्टी मोहनजी सक्सेना ने केजे चौपाल का दौरा किया. इस दौरान दोनों अतिथियों ने पशु स्वास्थ्य, पोषण और निदान और अन्य क्षेत्रों पर अपनी बहुमूल्य विचार साझा किए.
केजे चौपाल सत्र की शुरुआत दोनों मेहमानों के स्वागत से हुई. केजे टीम ने स्नेह और सौभाग्य के प्रतीक के रूप में एक छोटा पौधा भेंट करके दोनों का स्वागत किया, जबकि संस्थापक और प्रधान संपादक एमसी डोमिनिक ने कृषि क्षेत्र में उनके व्यापक ज्ञान और अनुभव की सराहना करते हुए गर्मजोशी से स्वागत किया. इस दौरान कृषि जागरण की शुरुआत से लेकर वर्तमान तक की यात्रा पर प्रकाश डालती एक लघु फिल्म भी दिखाई गई. फिल्म में पिछले कुछ वर्षों में कृषि जागरण द्वारा शुरू की गई विभिन्न परियोजनाओं पर चर्चा की गई, जिसमें ' फार्मर द जर्नलिस्ट ' से लेकर 'फार्मर द ब्रांड-ऑर्गेनिक' तक शामिल है. लघु वीडियो का मुख्य आकर्षण मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड 2023 की सफलता का जश्न मनाना और एमएफओआई 2024 के लिए नियोजित नवीन पहलों का पूर्वावलोकन करना था.
बता दें कि आयुर्वेद रिसर्च फाउंडेशन (एआरएफ) एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट है जो जानवरों और व्यापक समुदाय के लाभ के लिए पशु स्वास्थ्य, पोषण, निदान और संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान करने के लिए समर्पित है. अपनी स्थापना के बाद से एआरएफ ने पर्यावरण के अनुकूल और लागत प्रभावी प्रौद्योगिकियों की वकालत करते हुए "सतत कृषि और पशुपालन प्रथाओं" का समर्थन किया है.
अपने संबोधन में, मोहनजी सक्सेना ने कृषि जागरण के प्रयासों की सराहना की और भारत के करोड़पति किसान पहल के सकारात्मक प्रभाव पर उत्साहपूर्वक चर्चा की. उन्होंने कृषक समुदाय और कृषि पेशेवरों के लिए इसके लाभों पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि यह कैसे जमीनी स्तर से जुड़ने के लिए एक मंच प्रदान करता है.
मोहनजी सक्सेना ने कहा, "कृषि और खाद्य उत्पादन पारिस्थितिकी तंत्र को पानी की कमी, अत्यधिक गर्मी की लहरें और मिट्टी की बांझपन से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इस संदर्भ में, कृषि क्षेत्र के अस्तित्व पर सवाल उठाया जा रहा है. भारत में, पशुधन और कृषि कृषि अर्थव्यवस्था के दो परस्पर जुड़े हुए पहलू हैं, जो एक-दूसरे पर सह-निर्भर हैं."
सक्सेना ने सुझाव दिया कि कृषि संबंधी मुद्दों पर ऐतिहासिक दृष्टिकोण वर्तमान चुनौतियों का स्थायी समाधान प्रदान कर सकता है. अब, कृषि क्षेत्र की प्राथमिक चुनौती खाद्य सुरक्षा के बजाय पोषण सुरक्षा है, जो ऊर्जा आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि एवं पशुधन का महत्व
वहीं, डॉ. अनूप कालरा ने अपने संबोधन में हमारी खाद्य प्रणालियों के महत्व पर प्रकाश डाला और किसानों को खाद्य उत्पादन में प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में महत्व दिया. उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि और पशुधन क्षेत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि पशुधन क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 5% और कुल कृषि सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 30% योगदान देता है.
डॉ. कालरा ने गुणवत्तापूर्ण भोजन सुनिश्चित करने के लिए पशुधन को स्वस्थ बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक के रूप में भारत की स्थिति के बावजूद यौगिक फीड की अपर्याप्त उपलब्धता पर अफसोस जताते हुए, गुणवत्तापूर्ण दूध पैदा करने के लिए गायों और भैंसों के लिए उचित पोषण की आवश्यकता पर बल दिया.