समस्तीपुर डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के रजिस्ट्रार डॉ. मृत्युंजय कुमार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 68वें वार्षिक मक्का कार्यशाला में मक्का अनुसंधान में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया है. यह कार्यशाला कोयंबत्तूर में आयोजित की गई थी. डॉ. मृत्युंजय कुमार की इस उपलब्धि से विश्वविद्यालय को गर्व है. उनके अनुसंधान कार्य ने मक्का की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उनकी इस उपलब्धि से न केवल विश्वविद्यालय बल्कि पूरे कृषि समुदाय को लाभ होगा. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पुण्यव्रत सुविमलेंदु पांडेय ने डॉ. मृत्युंजय कुमार को बधाई देते हुए कहा कि उनकी इस उपलब्धि से विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा बढ़ी है. उन्होंने कहा कि डॉ. मृत्युंजय कुमार की मेहनत और समर्पण ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है.
डॉ. मृत्युंजय कुमार को यह सम्मान मिलने से विश्वविद्यालय के अनुसंधान कार्यों को और भी मजबूती मिलेगी. उनकी इस उपलब्धि से विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं और छात्रों को प्रेरणा मिलेगी और वे भी अपने अनुसंधान कार्यों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित होंगे.
इधर दूसरी ओर डॉ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में साइलेज मक्का को बढ़ावा हेतु संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री, वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार गिरिराज सिंह ने कहा कि नेशनल टेक्निकल टेक्स्टाइल मिशन और कृषि एक साथ मिलकर काफी काम कर सकता है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर नेशनल टेक्निकल टेक्स्टाइल मिशन और पूसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के साथ एक एम ओ यू भी किया जा रहा है. यह ऐतिहासिक है. उन्होंने कहा कि इससे अतिरिक्त विश्वविद्यालय मशीना बीज के साथ साइलेज मक्का को बढ़ावा देने को लेकर भी एक समझौता किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से मक्का के एक ऐसे प्रभेद का विकास किया गया है जिसकी उंचाई लगभग चौदह फीट होती है. एक हेक्टेयर में इसका उत्पादन तीन सौ टन से ज्यादा है. जबकि अभी वर्तमान प्रभेद चालीस से पचास टन ही उत्पादन दे पाते हैं. इसके अतिरिक्त इस मक्का में इथेनॉल का प्रतिशत भी चालीस से अधिक है जो कि एक रेकार्ड है. उन्होंने इस प्रभेद के विकास के लिए कुलपति डॉ पी एस पांडेय और वैज्ञानिक डॉ मृत्युंजय कुमार की तारीफ की और कहा कि पिछले दो वर्षों से विश्वविद्यालय में काफी अच्छा कार्य हो रहा है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को आक (मंदार)से धागा बनाने पर भी शोध करना चाहिए.
कुलपति डॉ पी एस पांडेय ने वस्त्र मंत्रालय को विश्वविद्यालय के साथ समझौता के लिए धन्यवाद दिया.उन्होंने कहा कि टेक्स्टाइल का माडर्न एग्रीकल्चर में क्या उपयोग हो सकता है इसका प्रदर्शन वस्त्र मंत्रालय के इस केंद्र के माध्यम से किया जायेगा.उन्होंने विश्वविद्यालय के डिजिटल एग्रीकल्चर के क्षेत्र में विकास के बारे में भी जानकारी दी.
वस्त्र मंत्रालय के संयुक्त सचिव अजय गुप्ता ने कहा कि उन्हें यह देखकर खुशी हुई कि पूसा विश्वविद्यालय में कई ऐसे नये अनुसंधान चल रहे हैं जो आने वाले समय में देश की कृषि को एक नई दिशा देंगे. वैज्ञानिक इसकी चर्चा पेटेंट हासिल करने के बाद ही करना चाहते हैं ताकि कोई अनुसंधान का दुरूपयोग न कर सके. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय और वस्त्र मंत्रालय संयुक्त रूप से मिलकर नई सफलता हासिल करेगा. कार्यक्रम की शुरुआत में निदेशक अनुसंधान ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और विश्वविद्यालय के अनुसंधान के बारे में विस्तार से जानकारी दी.