धानुका एग्रीटेक लिमिटेड पिछले कई दशकों से कृषि हित में काम कर रहा है. इसके उत्पाद किसानों में सबसे भरोसेमंद हैं. धानुका कृषि और फसल सुरक्षा क्षेत्र में लगातार नये-नये उत्पाद पेश करता है. कृषि जागरण ने 30 दिसम्बर को चार दशकों से कृषि क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी धानुका एग्रीटेक लिमिटेड के सहयोग से "Onion Crop Solution” यानि प्याज़ की फ़सल की पूरी तरह सुरक्षा कैसे की जाए....इस विषय पर वेबिनार आयोजित किया था जिसमें प्याज फसल समस्या को लेकर गंभीर चर्चा और इसके समाधान पर बात की गई. इस दौरान धानुका से हमारे साथ चर्चा में मौजूद थे- Subodh Gupta, Chief Marketing Manager और आरके धूरिया, सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट, यूपी वेस्ट एंड सेंट्रल राजस्थान और उत्तराखंड नॉर्थ और SMS Plant Protection KVK Ambuja Cement Foundation,Ambujanagar,Kodinar.. Dist.Gir Somnath से Ramesh Rathod.
चर्चा की शुरुआत में धानुका के आरके धूरिया ने किसानों को समर्पित धानुका के कैम्पेन “इंडिया का प्रणाम-हर किसान के नाम” के बारे में विस्तार से ज़िक्र करते हुए कहा कि किसान सिर्फ़ अन्नदाता नहीं है बल्कि देश की ग्रोथ का मुख्य स्तंभ है. कोविड के दौरान जब सब कुछ बंद था तब भी खेती कर के लोगों का पेट भर के किसानों ने इसे साबित भी किया है. हम किसानों के जज़्बे को प्रणाम करते हैं. इस दौरान धानुका द्वारा किसानों के लिए बनाया गया एक वीडियो भी दर्शकों को दिखाया गया.
इस कार्यक्रम में सबसे पहले योगेश ने अपनी विचरों के साथ किसानों को बताया कि प्याज के उत्पादन में किस प्रकार की जलवायु की आवश्यकता होती है और साल में इसकी खेती कितनी बार इस फसल को लगाया जा सकता है. इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि प्याज बहुत महत्वपूर्ण फसल है. यह महाराष्ट्र में तीन सीजन में लगाई जाती है. खरीफ सीजन, लेट खरीफ सीजन, रबी सीजन .
इसके अलावा उन्होंने बताया कि प्याज खरीफ सीजन में सबसे कम आती है. क्योंकि इस सीजन में सबसे अधिक बारिश होती है, जिसके चलते खेतों में पानी भर जाता है और फसल नष्ट होने लगती है. इसी के साथ उन्होंने खरपतवार को लेकर भी बताया कि देखा जाए तो इस फसल के लिए बहुत सारे टाइप के अलग-अलग केमिकल कम करते हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि खरपतवार बचाव के लिए मार्केट में बहुत से केमिकल मौजूद है, जो इसके प्रभाव को कम करते हैं.
धानुका के आरके धूरिया ने इस प्रोग्राम में बताया कि धानुका ने एक Special श्रृंखला तैयार की है, जिसमें प्याज के खेत में सफाई यानी खरपतवारों का खात्मा One Kill के साथ किया जा सके.
प्याज की फसल में खरपतवार नियंत्रण क्यों आवश्यक है
उच्च पैदावार और विपणन योग्य उत्पादन प्राप्त करने के लिए
प्याज की संकरी सीधी पत्तियां खरपतवारों से अच्छी तरह प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाती.
खरपतवारों का बहाव बल्ब के निर्माण को प्रभावित करता है.
प्याज की फसल धीमी गति से बढ़ने वाली और उथली जड़ वाली होती है, खरपतवार प्रतिस्पर्धा से गंभीर उपज हानि के लिए अतिसंवेदनशील होती है.
प्याज में निकट दूरी और उथली जड़ प्रणाली के कारण हाथ से निराई करना मुश्किल हो जाता है और जड़ें भी कर सकती है.
वन किल क्या है और विशेषताएं
प्याज की फसल में सकंरी और चौड़ी पत्ती बाले खरपतवारों का संपूर्ण समाधान करने में सक्षम है. जैसे कि-
दोहरी कार्यप्रणाली
लंबी कवर्धा तक नियंत्रण
वर्षा में भी स्थिरता
फसलों पर सुरक्षित
वन किल कार्रवाई की विधि
वनकिल (One kill) 10% ईसी दोहरी कार्रवाई ( Contact & Systemic) और उत्तम स्थान्तरण गतिविधि द्वारा कार्य करता है.
1. यह पत्तियों के माध्यम से अवशोषित होता है और फ्लोएम के माध्यम से नीचे की ओर बढ़ता है.
2. यह जड़ों द्वारा भी अवशोषित होता है और जाइलम द्वारा ऊपर की ओर बढ़ता है.
वन किल छिड़काव का समय
वन किल के डोज प्याज की प्रति एकड़ फसल में 400ml इस्तेमाल कर सकते हैं, पानी की मात्रा 150 लीटर होनी चाहिए. इसका इस्तेमाल तभी करें जब खरपतवार 2 से 3 पत्ती की अवस्था का हो. रोपण के 15 से 20 दिनों के पौधे में वनकिल का इस्तेमाल निश्चिंत होकर किया जा सकता है. ये चौड़ी और सकरी प्रकार के सभी खरपतवारों को नियंत्रित करने में सक्षम है.
वन किल का छिड़काव करते समय सावधानी
वनकिल प्रयोग के समय खेत में पर्याप्त नमी सुनिश्चित करें छिड़काव के लिए हमेशा फ्लड जेट या फ्लैट फैन नोजल का उपयोग करें.
छिड़काव करते समय हाथ न हिलाएं.
कम से कम 150 लीटर स्प्रे घोल प्रति एकड़ सुनिश्चित करें.
उचित और समान कवरेज सुनिश्चित करें और दोहराने से बचें.
वन किल के लाभ
-
सकरी और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार का एक साथ नियंत्रण
-
मजदूरी खर्च में कटौती
-
प्याज की गुणवत्तापूर्ण उपज जिससे मंडी में अधिक कीमत मिलेगी
-
अधिक उपज और साथ ही किसानों को अधिक लाभ मिलता है.
बता दें कि इस प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए Ramesh Rathod ने कहा कि प्याज के उत्पादन को हम सबसे अधिक लंबे समय तक नहीं रख सकते हैं. इसमें सबसे अधिक लागत किसानों की केमिकल व अन्य कई कार्यों पर आती है. हमारे देश में ऐसे कई राज्य हैं, जहां यहां फसल उगाई जाती है. फिलहाल प्याज की फसल को किसान भाई 12 महीने उगा सकते हैं. इसके अलावा उन्होंने बताया कि जो भी पेस्टीसाइड और केमिकल किसान खेत में डालते हैं, उसे पूरा इंटीग्रेटेड को लागू करें. इसके बारे में किसानों को सही जानकारी का पता होना चाहिए. तभी वह लाभ प्राप्त कर पाएंगे.
इसके अलावा राजेश राठौर ने यह भी बताया कि वह कैसे अपने खेत में गुस्से अधिक पानी से फसल को बचा सके. उन्होंने कहा कि अधिक बारिश होने से खेत में गुस्से पानी को किसानों को कहीं न कहीं अपने खेत में पानी को निकाली की व्यवस्था करनी चाहिए. इसके अलावा वह प्याज की फसल को बारिश के मौसम के थोड़ा आगे-पीछे लगा सकते हैं.
Dist.Gir Somnath ने इस प्रोग्राम में बताया कि किसान भाई अपनी फसल में जो भी खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं वह इसके साथ MYCORe or MyCorrhizal Fungi का इस्तेमाल करना चाहिए. इसी के साथ उन्होंने इस प्रोग्राम में कहां कि जब जड़ों में होगी जान तभी तो बढ़ेगी उपज और किसान.
ये भी पढ़ेंः प्याज की फसल में खरपतवार को नियंत्रित कैसे करें?
MYCORe या Mycorrhiza क्या है
माइकोराइजा में बीजाणु और फंगल फिलामेंट्स के टुकड़े शामिल हैं.
यह फसल फायदेमंद कवक के साथ एक सहजीवी संबंध बनाती है. जड़ें फंगस द्वारा उपनिवेशित होती हैं, जो मिट्टी के माध्यम से भी फैलती हैं.
जड़ें कवक द्वारा उपनिवेश होती हैं, जो मिट्टी के माध्यम से भी फैलती हैं. जड़ तथा कवक के संयोग को माइकोराइजा कहते हैं.
MYCORE कैसे काम करता है?
लगाने पर माइकोराइजा के बीजाणु फसलों की जड़ों में प्रवेश कर जाते हैं और जड़ के अंदर स्थापित हो जाते हैं.
यह गहरी मिट्टी के माध्यम से कांटा जाता है और फसल को अधिक पोषक तत्वों (नाइट्रोजन, फास्फोरस, कैल्शियम जिंक, मैग्नीशियम और आदि) और पानी की सुविधा प्रदान करता है.
Mycore एक अरबस्कुलर Mycorrhizal Fungi (AMF) है जिसमें दानेदार फॉर्मूलेशन में एंडो Mycorrhizal spores होते हैं. यह जड़ों के सतह क्षेत्र को बढ़ाता है और मिट्टी के पोषक तत्वों (फास्फोरस, नाइट्रोजन, जिंक, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि) और पानी के बढ़ते अवशोषण की सुविधा देता है. यह फसल को मजबूत और जैविक तनाव के खिलाफ प्रतिरोध होने में मदद करता है. अंततः यह फसल की उपज और उत्पादकता को बढ़ाता है.
Conika in Onion
साथ ही इस वेबिनार में Subodh Gupta ने कोनिका (Conika in Onion) की भी जानकारी साझा की.
फ़ायदे:
स्वस्थ पत्तियां मजबूत गर्दन
टिप ब्लाइट और पर्पल ब्लॉच पर उत्कृष्ट नियंत्रण
मजबूत बल्ब स्वास्थ्य
इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया की इसका इस्तेमाल किसानों को कैसा करना है.
इसका स्प्रे के 2 राउंड य़ानी दो बार में करना है.
पहला स्प्रे पर बुवाई के 25-30 दिन बाद
प्याज/लहसुन बैंगनी धब्बा/टिप ब्लाइट
वहीं दूसरा छिड़काव यानी स्प्रे बुवाई के 50-60 दिन बाद करें.
किसान भाई इन सभी प्रोडक्ट की अधिक जानकारी के लिए कृषि जागरण के वेबिनार को फेसबुक पर देख सकते हैं.