धानुका एग्रीटेक लिमिटेड पिछले कई दशकों से कृषि हित में काम कर रहा है. इसके उत्पाद किसानों में सबसे भरोसेमंद हैं. धानुका कृषि और फ़सल सुरक्षा क्षेत्र में लगातार नये-नये उत्पाद पेश करता है. कृषि जागरण ने 15 दिसम्बर को चार दशकों से कृषि क्षेत्र में काम करने वाली कम्पनी धानुका एग्रीटेक लिमिटेड के सहयोग से "प्याज़ की फ़सल में खरपतवार प्रबंधन" विषय पर एक वेबिनार आयोजित किया था, जिसमें खरपतवार पर गंभीर चर्चा और इसके समाधान पर बात की गई. इस दौरान धानुका से हमारे साथ चर्चा में मौजूद थे- मयूर अमेटा, सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट, एमपी, गुजरात, घनश्याम इंगले, सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट, महाराष्ट्र, आरके धूरिया, सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट, यूपी वेस्ट एंड सेंट्रल राजस्थान और उत्तराखंड नॉर्थ, इसके अलावा डॉ. संकेत जे मोरे, साइंटिस्ट, वनस्पति विज्ञान, ICAR, Directorate on onion and garlic research, pune, Maharashtra, डॉ. वी प्रताप सिंह, प्रोफ़ेसर एग्रोनॉमी, Govind Ballabh Pant University, Pantnagar, Uttarakhand और डॉ. एसएस पूनिया, EX-Senior Agronomist, Chaudhary Charan Singh Haryana agriculture university, hisar Haryana.
चर्चा की शुरूआत में धानुका के आरके धूरिया ने किसानों को समर्पित धानुका के कैम्पेन “इंडिया का प्रणाम-हर किसान के नाम” के बारे में विस्तार से ज़िक्र करते हुए कहा कि किसान सिर्फ़ अन्नदाता नहीं है बल्कि देश की ग्रोथ का मुख्य स्तंभ है. कोविड के दौरान जब सबकुछ बंद था तब भी खेती कर के लोगों का पेट भरके किसानों ने इसे साबित भी किया है. हम किसानों के जज़्बे को प्रणाम करते हैं. इस दौरान धानुका द्वारा किसानों के लिए बनाया गया एक वीडियो भी दर्शकों को दिखाया गया.
चर्चा के दौरान एग्रोनॉमी के प्रोफ़ेसर डॉ. वी प्रताप सिंह ने प्याज़ की फ़सल में लगने वाले खरपतवारों के बारे में विस्तार से समझाया. उन्होंने तीन मुख्य खरपतवारों को बारे में बताया और किसान उनकी पहचान कैसे करें इसकी भी जानकारी दी. डॉ. एसएस पूनिया ने किसानों को बताया कि किस तरह से खरपतवारों को कंट्रोल कर सकते हैं. उन्होंने धानुका के उत्पादों का भी ज़िक्र किया जिनसे खरपतवारों को नष्ट किया जा सकता है. प्याज़ एवं लहसुन अनुसंधान केंद्र के साइंटिस्ट डॉ. संकेत जे मोरे ने केंद्र द्वारा खरपतवारों के नियंत्रण को लेकर किए जा रहे कामों का उल्लेख किया गया।
इसके बाद धानुका एग्रीटेक लिमिटेड के प्रतिनिधियों ने खरपतवार समस्या से छुटकारा पाने के लिए धानुका के उत्पादों का ज़िक्र किया. कार्यक्रम में बोलते हुए धानुका के घनश्याम इंगले (सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट, महाराष्ट्र) कम्पनी के वनकिल प्रोडक्ट के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि वन किल दो रसायनों का मिश्रण है, इसके इस्तेमाल से चौड़ी और सकरी दोनों ही पत्तियों वाले खरपतवारों को नष्ट किया जा सकता है. किसानों को इन दो खरतपतवारों को नष्ट करने के लिए अलग-अलग रसायन की ज़रूरत नहीं होगी. वन किल की ख़ास बात यह है कि इसका प्याज़ पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ता और फ़सल अच्छे से बढ़ती है. वन किल का स्लोगन है- “एक वार, खरपतवारों की हार”. धानुका के एमपी, गुजरात सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट मयूर अमेटा ने वन किल के डोज़ के बारे में बात करते हुए बताया कि इसे प्याज़ की प्रति एकड़ फ़सल में 400ml इस्तेमाल कर सकते हैं, पानी की मात्रा 150 लीटर होनी चाहिए. इसका इस्तेमाल तभी करें जब खरपतवार 2 से 3 पत्ती की अवस्था का हो. रोपण के 15 से 20 दिनों के पौधे में वनकिल का इस्तेमाल निश्चिंत होकर किया जा सकता है. ये चौड़ी और सकरी प्रकार के सभी खरपतवारों को नियंत्रित करने में सक्षम है. अंत में धानुका के आरके धूरिया (सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट, यूपी वेस्ट एंड सेंट्रल राजस्थान और उत्तराखंड नॉर्थ) ने कहा कि वनकिल का एक वार खरपतवारों की हार के लिए काफ़ी है. इसका इस्तेमाल करें और खरपतवारों को नष्ट कर ज़्यादा से ज़्यादा उत्पादन पाएं.
देश में प्याज़ की फ़सल की स्थित-
हमारे देश में प्याज़, आलू के बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण व्यावसायिक फ़सल है. प्याज़ का कंदवर्गीय सब्ज़ियों में प्रमुख स्थान है. भारत में महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, बिहार, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश और आंध्र प्रदेश में प्याज़ का उत्पादन सबसे ज़्यादा होता है.... प्याज़ की खेती देश में 1.28 लाख हेक्टर क्षेत्रफल में होती है और इससे क़रीब सवा 23 लाख टन उत्पादन प्राप्त होता है।
हमारे प्याज़ की मांग विदेशों में भी बहुत है. हमारा देश प्याज़ का प्रमुख निर्यातक भी है, लेकिन खरपतवार इसकी खेती में गंभीर ख़तरा पैदा करते हैं. ये प्याज़ की पैदावार में बाधा डालते हैं और खेती की लागत को भी बढ़ाते हैं.
वेबिनार लिंक- प्याज़ की फ़सल में खरपतवार प्रबंधन
प्याज़ की फ़सल में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के साथ सकरी पत्ती वाले खरपतवारों की समस्या भी होती है, जिसकी वजह से प्याज़ की पैदावार में भारी कमी आती है. खरपतवारों की अधिकता से फ़सल में कई तरह के रोग और कीटों के प्रकोप की संभावना भी बढ़ जाती है. इसलिए प्याज़ फसल चक्र के दौरान अच्छी उपज और बिक्री योग्य उत्पाद प्राप्त करने के लिए खरपतवार नियंत्रण महत्वपूर्ण है।